देखो बहू। मुझसे और नहीं रहा जाता। मुझसे यह तनहाई बर्दाश्त नहीं हो रही। नहीं सुसुर जी, मैं ऐसा नहीं कर सकती। यह गुनाह है और आपके बेटे के साथ यह धोखा होगा। मेरे बेटे को तुम्हारी कोई परवाह नहीं है। वो दुबई में छुप कर बैठा है और तुम्हारी जवानी जाया हो रही है। आप क्या चाहते हैं कि मैं आपकी माशूका बन के रहूं। नहीं। मैं चाहता हूं तुम मेरी बीवी बनके रहो। मैं भी अकेला हूं और तुम भी। अगर यह बात आपके बेटे को पता चल गई फिर क्या होगा? बेफिक्र हो जाओ मेरी जान। मैं उसका बाप हूं। वो मेरा नहीं। 1 घंटे के बाद सासर जी सच पूछे तो आज मजा ही आ गया। सोचा
नहीं था आपने भी इतना दम है। मेरी नादान बहू या शुरुआत है आगे देखना। कराची का एक बूढ़ा आदमी रहीम खान अपने बेटे अहमद को रुखसत कर रहा था। अहमद को दुबई में नौकरी मिल गई थी। जाते वक्त अहमद अपनी खूबसूरत बीवी साइमा को अपने बाप के हवाले कर गया। रहीम खान के चेहरे पर खुशी की हल्की झलक थी। अहमद ने अपनी बीवी का हाथ पकड़ कर कहा। बाबा साइमा का ख्याल रखिएगा। वो बहुत हंस है। रहीम खान ने आगे बढ़कर कहा बेटा बेफिक्र रहो। साइमा को मैं अपनी बेटी की तरह चाहूंगा। अहमद ने साइमा को गले लगाया और गाड़ी में बैठकर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया। अगले दिन जब साइमा
अपने ससुर को चाय दे रही थी। रहीम खान ने कहा बहू जरा इधर आओ। मेरे पास बैठो। मुझे तुमसे कुछ कहना है। रहीम खान बोला। बहू पता नहीं क्यों आजकल खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगा हूं। मैं चाहता हूं कोई ऐसा हो जो मेरे पास रहे। मेरी तनहाई बांटे और मुझे खुश रखे। मैं सोच रहा हूं कि शायद मुझे फिर से शादी कर लेनी चाहिए। साइमा ने नरमी से कहा ससुर जी यह आप कैसी बातें कर रहे हैं? मैं हूं ना आपका ख्याल रखने के लिए। आपको खुश रखने के लिए। आप जो कहेंगे मैं वही करूंगी। रहीम खान के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई। वो उठा और धीरे से साइमा के करीब बैठ गया। उसने साइमा के
कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ठीक है बहू देखते हैं तुम मुझे खुश रखने के लिए क्या कर सकती हो। साइमा ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा, ससुर जी, इतनी जल्दी भी क्या है? अब तो हम दोनों ही इस घर में अकेले हैं। मैं रात को आपको एक खास तोहफा दूंगी। यह कहकर वह चाय के बर्तन उठाकर किचन की तरफ चली गई। रहीम खान उसकी जाती हुई पीठ को देखकर मुस्कुरा रहा था। अब वह अक्सर छुपकर साइमा को देखता। जब वह झाड़ू लगाती, कपड़े धोती या घर के काम करती। वह कहता बहू यह दुपट्टा उतार दिया करो ताकि काम आसानी से कर सको। रहीम खान की निगाहें शिकारी की
तरह उस पर जमी रहती। एक रात वो आहिस्ता कदमों से अपने कमरे से निकला और साइमा के कमरे की तरफ बढ़ा। साइमा आईने के सामने खड़ी अपने बाल सवार रही थी। उसका दुपट्टा धीरे से कंधे से सरक गया था। अचानक कदमों की आहट सुनकर साइमा चौंक गई। वो घबरा कर मुड़ी और बोली, ससुर जी, क्या हुआ? आपको किसी चीज की जरूरत है क्या? रहीम खान धीरे-धीरे आगे बढ़ा। मगर अचानक उसका पांव फिसल गया या शायद उसने जानबूझकर गिरने का बहाना किया। वो सीधे साइमा की बाहों में आ गिरा और दोनों बिस्तर पर गिर पड़े। साइमा का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वो घबराहट में फौरन उठी। अपना दुपट्टा संभाला और
हापती हुई बोली ससुर जी यह क्या था? रहीम खान ने फौरन नरमी से कहा माफ करना बहू मेरा पांव फिसल गया था। दरअसल मैं तो बस अपनी दवाई पूछने आया था कि वह कहां रखी है। मगर उसकी आंखों में वही रहस्यमई चमक अब भी मौजूद थी। साइमा के दिल में एक तूफान सा उठ रहा था। उसने जल्दी से कहा ससुर जी आप अपने कमरे में जाइए। मैं दवाई लेकर आती हूं और वह तेजी से कमरे से बाहर निकल गई। शाम को जब साइमा अपने शौहर अहमद से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी तो उसकी आवाज में वही पुराना प्यार वही नरमी थी। वो अहमद को अपनी बातों से हंसाती। कभी नए कपड़े पहन कर दिखाती। कभी अपनी वीडियो
बनाकर अहमद को भेजती। वो हंसते हुए अहमद को चूमती और दिल की बातें करती रही। मगर उसे क्या खबर थी कि रहीम खान खिड़की के पीछे छुपकर यह सब देख रहा था। उसकी आंखों में हवस की आग भड़क उठी थी और चेहरा गुस्से और जलन से लाल हो गया था। वो खामोशी से वहां से हट गया। मगर उसके दिल में अब कुछ और ही चल रहा था। अगले दिन जब साइमा अपने कमरे में मोबाइल में मशरूफ थी। अचानक बाहर से एक औरत की हंसी की आवाज आई। वो हैरान हुई और फौरन बाहर निकली। सामने रहीम खान एक औरत के साथ हंसहंस कर बातें कर रहा था। साइमा ने हैरत और गुस्से से पूछा, ससुर जी, यह औरत कौन है? रहीम खान
ने इत्मीनान से जवाब दिया, “बहू, मैंने तुमसे कहा था ना कि मैं दूसरी शादी करना चाहता हूं।” यह खातून रिश्ते करवाती हैं। मैंने इनसे कहा है कि मेरे लिए कोई अच्छी खूबसूरत बीवी ढूंढे। उसकी आवाज में एक अजीब सा गुरूर और सुकून था। यह सब एक चालाकी थी। जैसे रहीम खान जानबूझकर साइमा को तंग कर रहा हो। साइमा के दिल में गस्से की लहर उठी। उसका चेहरा लाल हो गया। मगर वह कुछ कहे बिना पलट कर अपने कमरे में चली गई। साइमा के दिल में एक तूफान मचा हुआ था। वो नहीं चाहती थी कि रहीम खान दूसरी शादी करे क्योंकि उसके ज़हन में रहीम खान की बेहिसब जायदाद और दौलत का ख्याल घूम
रहा था। अगर रहीम खान ने शादी कर ली तो सारी दौलत उसकी नई बीवी के नाम हो जाएगी और साइमा के हाथ खाली रह जाएंगे। यही डर उसे रात के सन्नाटे में रहीम खान के कमरे तक ले आया। वो हाथ में दूध का गिलास लिए दरवाजा खटखटाने लगी। रहीम खान बिस्तर पर लेटा हुआ था। उसके हाथ में एक पुराना खत और कुछ तस्वीरें थी जिन्हें वह गहरी सोच में डूब कर देख रहा था। दरवाजे की आहट सुनकर उसने फौरन वह खत और तस्वीरें तकिए के नीचे छुपा दी। साइमा धीरे से अंदर आई। उसकी आवाज में एक अजीब सी नरमी थी। ससुर जी आप थक गए होंगे। क्या मैं आपका सर दबा दूं? रहीम खान ने चुपचाप सर हिलाया। साइमा
ने जानबूझकर अपना दुपट्टा जमीन पर गिरा दिया और सर दबाते हुए धीरे से अपना सर रहीम खान के सीने पर रख दिया। रहीम खान के जिस्म में हल्की सी लजिश दौड़ गई। वो घबराकर बोला बहू यह यह क्या कर रही हो? साइमा ने अपनी आवाज में मधुर चालाकी भरते हुए कहा ससुर जी मैं तो आपका दिल बहला रही हूं। आपको खुश कर रही हूं। आप फिक्र मत करें। मेरे होते हुए आपको दूसरी शादी की जरूरत नहीं पड़ेगी। रहीम खान की आंखों में एक अजीब सी चमक उभर आई। उसने साइमा को अपनी बाहों में भर लिया और धीमी आवाज में बोला बहू अगर तुम मेरी ख्वाहिशें पूरी करती रहो तो मैं तुम्हें सब कुछ दूंगा।
मेरी दौलत मेरी जायदाद। रहीम खान आहिस्ता से उठा। उसके कदम सन्नाटे में हल्की सी आहट पैदा कर रहे थे। वह सीधा साइमा के कमरे में गया और वहां की तलाशी लेने लगा। उसकी नजरें तेजी से हर कोने में घूम रही थी जैसे वह कोई गहरा राज ढूंढ रहा हो। आखिरकार उसकी नजर अलमारी के ऊपर पड़ी जहां एक फूलों वाला छोटा सा गुलदान रखा था। रहीम खान ने उसे उठाया, हाथ में घुमाया और उसके चेहरे पर एक डरावनी रहस्यमई मुस्कान फैल गई। वो चुपचाप वापस अपने कमरे में गया और बिस्तर पर लेट गया जैसे उसे कोई बड़ा रहस्य मिल गया हो। दिनभर सायामा अपनी अदाओं से रहीम खान को रिझाने की कोशिश
करती रही। कभी वह उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेती। कभी उसकी गोद में बैठ जाती और कभी उसकी गर्दन में अपनी बाहें डालकर मुस्कुराते हुए बात करती। मगर अब रहीम खान कुछ झिझकने लगा था। उसकी नजरें सायमा से मिलती लेकिन वो तुरंत पलट जाता जैसे उसके मन में कोई नया मंसूबा पल रहा हो। सायमा उसकी इस ठंडी बेरुखी से उलझने लगी। मगर उसने अपनी चालाकी जारी रखी। अगली रात अचानक सायमा के कमरे से दर्द भरी रुलाई की आवाजें आने लगी। वह आवाजें ऐसी थी कि दिल चीर दें। रहीम खान जो अपने कमरे में बेचैनी से टहल रहा था। यह आवाज सुनते ही भागता हुआ सायमा के कमरे की तरफ लपका।
उसने दरवाजा खोला और घबराई हुई आवाज में बोला। बहू क्या हुआ? क्यों रो रही हो? सब खैरियत तो है? उसकी आवाज में सच्ची चिंता थी। जैसे वो जानता हो कि यह रुलाई किसी मामूली बात की नहीं। सायमा बिस्तर पर बैठी थी। चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ। उसकी सिसकियां और तेज हो गई जैसे उसका दिल टूट गया हो। वो हिचकियों के बीच बोली ससुर जी आपने यह क्या कर दिया? मेरी तो जिंदगी बर्बाद हो गई। मैं कहीं की नहीं रही। आपने मेरी इज्जत लूट ली है। उसकी आवाज में दर्द और इल्जाम दोनों थे। रहीम खान का चेहरा पीला पड़ गया। दिल में सन्नाटा भर गया। वो धीरे से आगे बढ़ा और सायमा के पास बैठते
हुए बोला, बहू बताओ तो सही हुआ क्या है? तुम ऐसी बातें क्यों कर रही हो? सायमा ने आंसू पोंछे मगर रोना और तेज कर दिया। ससुर जी सुबह से मुझे उल्टियां हो रही हैं। मैं हामिला हो गई हूं और यह सब आपकी वजह से हुआ है। आपने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। अब मैं दुनिया को क्या मुंह दिखाऊंगी? रहीम खान घबरा गया। बहू यह यह कैसे हो सकता है? मैंने तो कुछ भी नहीं किया। तुम गलतफहमी में हो। उसकी आवाज में सफाई थी मगर सायमा ने उसे बीच में ही रोक दिया। लगता है ससुर जी आपकी याददाश्त बहुत कमजोर हो गई है। रात को आपने अपने कमरे में मेरे साथ वह सब कुछ किया जो एक
शौहर अपनी बीवी के साथ करता है और अब आप मासूम बन रहे हैं। साइमा की आवाज अब रोने से बदलकर चीख में तब्दील हो गई थी। जैसे वह पूरे मोहल्ले को जगा देना चाहती हो। यह नाटक अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका था। रहीम खान घबरा गया। वो झटके से उठा। दरवाजे की तरफ देखा। फिर सायमा की ओर पलटा और धीमी आवाज में बोला। अच्छा बहू ठीक है। तुम सही कह रही हो। लेकिन तुम फिक्र मत करो। मैं सब संभाल लूंगा। तुम जो कहोगी वैसा ही होगा। उसकी आवाज में अब एक अजीब सी मानने की झलक थी। जैसे वह अपने गुनाह को स्वीकार कर रहा हो। वो आगे बढ़कर साइमा के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,
लेकिन इस राज का किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए। वरना हम दोनों बर्बाद हो जाएंगे। साइमा ने आंसू पोंछते हुए अपना सिर रहीम खान के कंधे पर रख दिया और बोली, ठीक है ससुर जी। मुझे कभी अकेला मत छोड़ना। लेकिन अगली ही सुबह घर में ऐसा झटका लगा कि साइमा का पूरा वजूद हिल गया। रहीम खान जब घर में दाखिल हुआ तो उसके साथ एक खूबसूरत औरत थी जिसने दुल्हन जैसा लिबास पहना हुआ था। दोनों हंसहंस कर बातें कर रहे थे। साइमा ने यह मंजर देखा तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। वो चीखते हुए बोली ससुर जी यह कौन है? रहीम खान ने बड़े इत्मीनान से जवाब दिया। बहू यह मेरी बीवी
है। मैंने शादी कर ली है। आज से यह तुम्हारी सास है। सायमा हैरान रह गई। वो सोच में डूब गई। मैं तो इन्हें खुश रखने के लिए सब कुछ देने को तैयार थी। फिर इन्होंने शादी क्यों कर ली? उसकी आंखें गुस्से से लाल पीली हो गई। वो धीमे लेकिन सख्त लहजे में बोली। ससुर जी आप जरा मेरे कमरे में आइए। मुझे आपसे कुछ बात करनी है। वो तेजी से अपने कमरे की तरफ चली गई। जब रहीम खान सायमा के कमरे में पहुंचा तो वह गुस्से में पागल हो रही थी। उसने कहा ससुर जी आपने मेरे साथ धोखा किया है। अब मैं आपकी असलियत सबको बताऊंगी। रहीम खान ने नरम आवाज में कहा बहू पागल मत बनो। मैंने
शादी इसलिए की है कि यह औरत तुम्हारी खिदमत करेगी। अब तुम्हें घर का कोई काम नहीं करना होगा। सारे काम यह करेगी। मैं और तुम बस एक दूसरे से प्यार करेंगे। यह सुनते ही साइमा का गुस्सा ठंडा पड़ गया। उसके चेहरे पर एक इत्मीनान और खुशी की मुस्कान फैल गई। मगर साइमा को क्या मालूम था? उसकी जिंदगी में अब एक ऐसा तूफान आने वाला है जो उसे बर्बादी की आखिरी हद तक ले जाएगा। रहीम खान की नई बीवी जो अब इस घर की नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं थी। सायमा के पैर दबाती उसका सिर मलती और घर के सारे काम खामोशी से करती रहती। साइमा अपनी चालाकी पर खुद को जीतने वाला महसूस करती
थी। साइमा को ऐसा लगने लगा था जैसे उसने रहीम खान की सारी दौलत और जायदाद अपनी मुट्ठी में कर ली हो। लेकिन रहीम खान के चेहरे पर अब एक अजीब सी खामोशी थी। उसकी आंखों में हैरानी और छिपा हुआ गुस्सा झलक रहा था। जैसे उसने कोई बड़ा राज पकड़ लिया हो। रहीम खान अब साइमा से दूर-दूर रहने लगा था। उसकी नजरों की ठंडक, उसके रवैया की बेरुखी सब साइमा को चुभने लगी। उसे लगने लगा कि उसकी सारी चालें अब बेअसर हो रही हैं। रहीम खान की दौलत और ताकत उसके हाथों से फिसल रही थी। एक दिन जब रहीम खान अपनी नई बीवी के साथ ज्यादा वक्त बिता रहा था। सायमा ने उसे तन्हाई में रोक लिया।
उसकी आवाज में जहर घुला हुआ था। ससुर जी यह क्या हो रहा है? आप मुझसे दूर क्यों रहते हैं? अपनी बीवी को इतना वक्त देते हैं। क्या आपको वह वादा याद नहीं जो आपने मुझसे किया था? रहीम खान ने एक पल के लिए उसकी तरफ देखा और ठंडे लहजे में कहा साइमा मुझे कुछ याद नहीं जो करना है कर लो अब मैं तुम्हारी कोई बात नहीं मानूंगा साइमा का चेहरा गुस्से से लाल पड़ गया वो 30 कदमों से अपने कमरे की तरफ भागी दरवाजा जोर से बंद किया और कांपते हाथों से अपने शौहर अहमद को फोन मिलाया। उसकी आवाज सिसकियों और गुस्से से भरी हुई थी। अहमद तुम जहां भी हो फौरन वापस आओ। मेरी जिंदगी
बर्बाद हो गई है। मेरी इज्जत लुट गई है। उसकी आवाज टूट रही थी। तुम्हारे अब्बू उन्होंने मेरे साथ वो सब किया जो नहीं करना चाहिए था। उन्होंने मुझे हामिला कर दिया। अहमद उन्होंने तुम्हें जानबूझकर दुबई भेजा ताकि पीछे से मुझे हासिल कर सकें। अहमद के कानों में जैसे बिजली गिर पड़ी। उसकी सांसे तेज हो गई। कांपती आवाज में उसने कहा। क्या क्या कह रही हो सायमा अब्बू ऐसा नहीं कर सकते झूठ मत बोलो सायमा ने गहरी सांस ली और ठंडी आवाज में बोली अहमद मैं तुम्हें सबूत भेजती हूं खुद देख लो उसने अपना मोबाइल उठाया और वो वीडियो खोल ली जिसमें वो रहीम खान के साथ कमरे में थी
उसके सीने पर सिर रखे लेटी हुई वो वीडियो जो उसने छुपकर कैमरा ऑन करके रिकॉर्ड की थी वो वीडियो अहमद की पूरी दुनिया तबाह करने के लिए काफी थी। उसने वीडियो भेज दी। जैसे ही अहमद ने वो वीडियो देखी, उसका दिल फट गया। उसकी सांसे रुकने लगी। आंखों के आगे अंधेरा छा गया। उसने कांपते हाथों से फिर साइमा को कॉल की। साइमा मेरी जान फिक्र मत करो। मैं जितनी जल्दी हो सके आ रहा हूं। बस मेरी जान थोड़ा इंतजार कर लो। अहमद की यह बात सुनकर साइमा की आंखों में उम्मीद की एक हल्की चमक उभरी। अगली सुबह घर का माहौल बारूद के ढेर जैसा था। बस एक
चिंगारी की देर थी कि सब कुछ फट पड़ता। रहीम खान, उसकी बीवी और सायमा डाइनिंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे। कमरा खामोशी से भरा था। रहीम खान के चेहरे पर सोच की परतें जमी थी। अचानक घर की घंटी बजी। एक तीखी दिल दहला देने वाली आवाज। साइमा की सांस रुक गई। रहीम खान की आंखों में अजीब सी चमक आई जैसे वह इस पल का इंतजार कर रहा हो। घंटी दोबारा बजी। रहीम खान उठा और दरवाजा खोला। सामने अहमद खड़ा था। उसकी आंखों में गुस्से की आग और दर्द की चिंगारियां जल रही थी। सायमा उछल कर खड़ी हुई। दौड़कर अहमद के गले लग गई। जोर-जोर से रोने लगी। रहीम खान ने अपनी
आवाज को नरम करते हुए कहा बेटा तुम यहां कैसे खैर तो है वापस क्यों आ गए लेकिन इससे पहले कि वो जुमला पूरा करता अहमद ने जैसे विस्फोट कर दिया उसने अपने बाप का गिरेबान पकड़ लिया आवाज गुस्से से कांप रही थी तुम बाप नहीं दरिंदा हो तुमने मेरी मासूम बीवी की इज्जत लूटी उसके साथ ज्यादती की मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा अहमद ने जोर से धक्का मारा रहीम खान जमीन पर गिर पड़ा। कुछ पल बाद वो लड़खड़ाते हुए उठा। गहरी सांस ली और शांत लहजे में बोला। बेटा मुझे जान से मार देना। लेकिन पहले मेरी बात सुन लो। फिर जो सजा देना चाहो मुझे मंजूर है। रहीम खान ने
अपनी जेब से एक पुराना तय किया हुआ खत निकाला और कुछ तस्वीरें अहमद के हाथ में थमा दी। यह खत मेरे पुराने दोस्त ने भेजा था। इन तस्वीरों को देखो। तुम्हारी बीवी कोई इज्जतदार औरत नहीं है और यही सच्चाई उसने मुझे बताई थी। अहमद की आंखें हैरानी से फैल गई। उसने तस्वीरें देखी। सायामां किसी अजनबी जगह पर रंगीन कपड़ों में हंसती मुस्कुराती है जैसे वह अपने धंधे की रानी हो। अहमद का दिमाग घूम गया। अब्बू यह यह क्या है? उसकी आवाज कांप रही थी। रहीम खान ने गहरी सांस लेकर कहा, बेटा बताओ। जब तुम दुबई में थे। सायमा ने तुम्हें कितनी बार
कॉल की? कितनी बार वीडियो भेजी? अहमद ने कुछ सोच कर कहा, अब्बू उसने बस एक आध बार कॉल की थी। वीडियो नहीं कोई वीडियो नहीं भेजी। रहीम खान के होठों पर एक ठंडी मुस्कुराहट आई। ठीक है बेटा। अब एक और खौफनाक राज देखो। वो उठा अपने कमरे में गया। और कुछ देर बाद हाथ में एक खूबसूरत फूलों वाला गिलास जैसा गमला। गुलदान लेकर लौटा। आया यह गुलदाना नहीं बेटा। इसमें कैमरा छुपा था जो मैंने साइमा के कमरे में लगवाया था। रहीम खान ने उठकर फोन निकाला और एक वीडियो चलाई। अहमद की नजरें स्क्रीन पर जम गई। वीडियो में साइमा का कमरा था। रात का सन्नाटा। खिड़की से मंद रोशनी आ
रही थी। अचानक एक नौजवान लड़का चुपके से अंदर खुदा। साइमा ने उसे देखते ही अपनी बाहों में भर लिया। फिर दोनों बिस्तर पर लेट गए। अहमद की सांस थम सी गई। वीडियो में वह नजारा बार-बार दिख रहा था। साइमा और वह लड़का एक दूसरे में गुम। दुपट्टा हवा में उछल रहा था। बेगुनाही पर छुरा तुलने वाली ऐसी तस्वीरें जो अहमद के दिल को चीर रही थी। रहीम खान ने ठंडी आवाज में कहा। बेटा यह साइमा सारा दिन सारा रात्रि उसी आशिक से बात करती थी। उसे प्यार भरे संदेश भेजती। नए कपड़े बदलकर गंदी वीडियो बनाती और उसे भेजती और दिखावा करती थी कि वह तुम्हें ही बात कर रही है। फिर उसने
कहा मैंने जानबूझकर इस बेइज्जत औरत के साथ एक झूठा रिश्ता बनाया ताकि उसकी सच्चाई पता चल सके। अगर यह इज्जतदार होती तो मेरे पास नहीं आती। मेरे कमरे में नहीं आती। मेरे साथ नहीं सोती। मगर दौलत की लालच ने उसे अंधा कर दिया। उसने एक और चौंकाने वाला राज खोला। और जो मेरी बीवी है वह कोई आम बीवी नहीं है बल्कि एक लेडी डॉक्टर है। जब साइमा ने मुझ पर यह इल्जाम लगाया कि मैंने उससे हामिला किया तो मैंने उस डॉक्टर को अपनी झूठी बीवी बनाकर घर लाया। उसने साइमा का इम्तिहान किया और साबित किया कि यह सब झूठ था। साइमा ने मुझे ब्लैकमेल करने के लिए यह ड्रामा रचा था
ताकि वह मेरी जायदाद छीन सके। अहमद की आंखों में आंसू थे पर चेहरा गुस्से से लाल था। वह उठा पीछे मुड़ा और जोरदार थप्पड़ मारकर साइमा को जमीन पर गिरा दिया। उसकी आवाज घर की दीवारों में गूंजी। गंदी बेहया तुमने मुझे धोखा दिया। मैंने तुम्हें कितना प्यार किया। तुम्हें खुश रखने के लिए दुबई गया और तुमने मेरे साथ यह किया। साइमा का जी मुंह को पाकर रह गया। आंखें फटी की फटी रह गई। जैसे उसका सारा तमाशा धराशाई हो गया हो। अहमद चिल्लाते हुए बोला, अब्बू, तुरंत पुलिस बुलाइए और इस औरत को हवाले कर दीजिए। मैं उसकी शक्ल नहीं देखना चाहता। रहीम खान ने कड़क स्वर
में कहा, बेटा नहीं ऐसा नहीं होगा। पुलिस को बुलाओगे तो पूरा घर और मोहल्ला बदनाम हो जाएगा। हमें शोहरत नहीं चाहिए। सजा के लिए यही ठीक है कि वह अपने कोठे पर वापस जाए। इसी गंदगी में। कमरे में सन्नाटा छा गया। जैसे किसी काली तर्जनी ने फांसी की रस्सी पकड़ी हो। अहमद की आंखों में बदला था। रहीम खान की सर्द मुस्कान में संतुष्टि थी और साइमा बस निस्तब्ध खड़ी थी। टूट चुकी बर्बाद। जुल्म और रुसवाई की जिंदगी जियो। भागो मेरे घर से। जाओ और अपने उस आशिक के पास रहो। उसी कोठे पर अपना धंधा करो। मैंने तुम्हें इज्जत दी। घर दिया। यह मेरी गलती थी। सायमा जमीन पर
बैठ गई और अहमद के पांव पकड़ लिए। अहमद ऐसा मत करो मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हारी बीवी हूं। अहमद ने कठोर आवाज में तीन बार कहा मैं तुम्हें तलाक देता हूं। तलाक देता हूं। तलाक देता हूं। और सायमा को धक्का देकर घर से बाहर निकाल दिया। दरवाजा जोर से बंद कर दिया। फिर अहमद ने अपने पिता रहीम खान को गले लगाया। आंखों में आंसू थे। अब्बू मुझे माफ कर दें। मुझे सच्चाई का पता नहीं था। रहीम खान ने रोते हुए कहा, बेटा कोई बात नहीं। यह एक बड़ा धोखा था। लेकिन शुक्र है कि समय रहते हमारी आंखें खुल गई। मैंने तुम्हें दुबई इसलिए भेजा क्योंकि तुम उस औरत की झूठी मोहब्बत
में पागल हो चुके थे। तुम्हारे यहां होने पर यह सच कभी सामने नहीं आ सकता था। यह धोखा यह झूठ शायद हमें भुलाने में समय लगेगा। अंत में कॉल टू एक्शन वीडियो चैनल। अगर आपको हमारी आज की कहानी पसंद आई तो चैनल को सब्सक्राइब करें और वीडियो को लाइक और शेयर करना ना भूलें। आपका साथ हमारे लिए बहुत मायने रखता है।
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