रिया मिश्रा एक साधारण लड़की नहीं थी, बल्कि मुगलपुर जिले की एक बहादुर और ईमानदार एसडीओ (सब-डिविजनल ऑफिसर) थी। वह अपने काम में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से लगी रहती थी, लेकिन आज वह अपनी सहेली की शादी में आम लड़की की तरह जाने के लिए मोटरसाइकिल पर निकली थी। उसने कोई सरकारी गाड़ी नहीं ली थी, न ही उसके साथ कोई सुरक्षा कर्मी थे। वह चाहती थी कि लोग उसे एक सामान्य नागरिक की तरह देखें, न कि एक अधिकारी के रूप में।
रिया जैसे ही मुगलपुर शहर के पास पहुँची, उसे एक पुलिस चेक पोस्ट दिखाई दिया। वहां तीन-चार पुलिसकर्मी सड़क पर खड़े थे, जिनमें इंस्पेक्टर मुकेश भी था। मुकेश अपनी वर्दी में खड़ा था और उसने हाथ में लाठी उठाकर रिया को रोकने का इशारा किया। रिया ने मोटरसाइकिल सड़क के किनारे लगाई और शांत मन से खड़ी हो गई।
मुकेश ने सख्त आवाज में पूछा, “कहां जा रही हो?” रिया ने सरलता से कहा, “एक सहेली की शादी में जा रही हूं।” मुकेश ने उसे सिर से पांव तक देखा, उसकी आंखों में घमंड था। वह हंसते हुए बोला, “अच्छा, सहेली की शादी में खाना खाने जा रही हो? लेकिन हेलमेट क्यों नहीं पहना? और यह बाइक भी बहुत तेज चली थी। चलो, अब चालान कटेगा।” उसने चालान की पर्ची निकालनी शुरू कर दी।

रिया समझ चुकी थी कि यह सब बहाना है। उसने कहा, “सर, मैंने कोई कानून नहीं तोड़ा है।” मुकेश चिल्लाया, “हमें कानून मत सिखाओ।” उसने पास खड़े एक कांस्टेबल की ओर देखा और कहा, “इसे सबक सिखाना होगा।” अचानक उसने रिया के गाल पर जोर से थप्पड़ मारा। रिया का सिर एक पल के लिए घूम गया, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। उसकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था।
मुकेश ने हंसते हुए कहा, “अब भी तेरी आंखों में घमंड है। ऐसे कितनों को ठीक कर चुका हूं। इसे अच्छी तरह से सबक सिखाना होगा।” कांस्टेबल आगे बढ़ा और बोला, “सर इसे थाने ले चलते हैं। वहीं इसका इलाज होगा।” एक और कांस्टेबल ने रिया का हाथ पकड़ लिया, लेकिन रिया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से में कहा, “हाथ लगाने की कोशिश मत करना, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा।”
मुकेश और भी भड़क गया। उसने कांस्टेबल को कहा, “देखो इसका घमंड।” कांस्टेबल ने रिया के बाल पकड़ लिए और खींचने लगा। रिया दर्द से कराह उठी, पर उसने अपनी असली पहचान अभी तक नहीं बताई थी। वह देखना चाहती थी कि ये लोग प्रशासन की कितनी बदनामी कर सकते हैं और आम नागरिक पर कितना जुल्म ढा सकते हैं।
इसी बीच एक पुलिसकर्मी ने गुस्से में उसकी बाइक पर लाठी मारी और बोला, “बड़ी आई साधु बनने वाली, अब तुझे खिलौना बनाकर खेलेंगे।” रिया अब अच्छी तरह समझ चुकी थी कि उसके साथ क्या होने वाला है। इंस्पेक्टर मुकेश ने जोर से चिल्लाया, “तेरे जैसे बहुत होशियार देखे हैं। पुलिस से पंगा लेगी, आज मजा चखाएंगे। चलो, इसे थाने ले चलते हैं।”
रिया चुप थी। उसने अब भी अपनी पहचान उजागर नहीं की। वह देख रही थी कि यह लोग कितने नीच और भ्रष्ट हैं। इंस्पेक्टर मुकेश ने जोर से कहा, “चलो, खींचो इसे।” उसे जबरन सड़क पर घसीटा गया। उसके गाल पर थप्पड़ के निशान थे, बाल खींचे गए थे, पर वह एक मूर्ति की तरह शांत खड़ी थी, न कोई चीख, न आंसू।
थाने पहुंचते ही इंस्पेक्टर मुकेश ने कहा, “देखते हैं इस जिद्दी और घमंडी औरत का इलाज।” चौकी इंचार्ज ने हंसते हुए कहा, “अब इसकी जुबान भी चलने लगी है, चलो थाने देखेंगे कितनी चलती है इसकी जुबान।” थाने में घुसते ही मुकेश ने जोर से कहा, “ओए, कहां गए सब? चाय-पानी लगाओ जल्दी, आज एक खास माल आया है।”
रिया चुप थी, बस दीवारों को देख रही थी। वह देख रही थी कि यह लोग निरीह लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं जो कभी आवाज नहीं उठाते। एक कांस्टेबल ने फुसफुसाते हुए पूछा, “सर, केस क्या है?” मुकेश ने हंसते हुए कहा, “कुछ नहीं, स्पीड ब्रेक या हेलमेट का बहाना। जो मन हो लिख दो। बस अनवर करना है और इसका घमंड तोड़ना है।”
रिया सब सुन रही थी, लेकिन उसकी आंखें चुप थीं। इंस्पेक्टर ने नाम पूछा, लेकिन रिया चुप रही। उसने जोर से मेज पर हाथ मारा और चिल्लाया, “नाम बता जल्दी!” रिया ने मुंह घुमाकर कहा, “जी, सुजीता शर्मा।” इंस्पेक्टर ने हंसते हुए कहा, “ओ बड़ी चालाक लड़की है, झूठ बोलने में तुझे तजुर्बा है, लेकिन ज्यादा होशियारी महंगी पड़ेगी।”
रिया को जबरदस्ती एक सड़ी हुई हवालात में डाल दिया गया, जहां पहले से दो कैदी थे। एक कैदी ने पूछा, “बहेन, क्या गुनाह किया?” रिया ने हल्की मुस्कान दी लेकिन कुछ नहीं बोली। वह देख रही थी कि यह पूरा सिस्टम कितना सड़ा हुआ है। अगर एसडीओ को बिना वजह अंदर किया जा सकता है, तो आम आदमी की हालत क्या होगी।
इंस्पेक्टर मुकेश ने झूठी रिपोर्ट बनाई और आदेश दिया कि चोरी और ब्लैकमेलिंग का केस ठोक दो। एक कांस्टेबल ने हिचकते हुए पूछा, “सर, बिना सबूत?” मुकेश हंसते हुए बोला, “इस थाने में सबूत बनाए जाते हैं, लाए नहीं।” कुछ देर बाद कांस्टेबल कोठरी में आया और रिया के कंधे पर हाथ मारा। मुकेश भी हाथ उठाने वाला था कि दरवाजे पर भारी आवाज गूंजी, “रुको!”
सभी लोग दरवाजे की ओर देखने लगे। वहां सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह खड़ा था। उसकी छवि बाकी अफसरों से बेहतर मानी जाती थी। उसने अंदर झांका और महिला की हालत देखकर सख्त स्वर में पूछा, “यह सब क्या हो रहा है?” मुकेश ने हंसते हुए कहा, “कुछ नहीं सर, एक सड़क की औरत ज्यादा अकड़ दिखा रही थी, सबक सिखा रहा हूं।”
राकेश सिंह ने रिया को ध्यान से देखा, उसका व्यवहार किसी आम महिला जैसा नहीं था। उसने पूछा, “इसका अपराध क्या है?” मुकेश ने कहा, “चेकिंग में बदतमीजी।” राकेश ने रिया से नाम पूछा, लेकिन वह चुप रही। मुकेश ने हंसते हुए कहा, “नाम भी नहीं बता रही।” राकेश ने आदेश दिया, “इसे अलग कोठरी में रखो, मैं खुद इसके पास रहूंगा।”
रिया को एक और बदबूदार, अंधेरी कोठरी में ले जाया गया। वहां उसने सड़े-गले सिस्टम का असली चेहरा करीब से देखा। हर पल उसकी आंखें समझ रही थीं कि कानून अब सिर्फ फाइलों तक सीमित रह गया है। तभी एक कांस्टेबल दौड़ा आया और बोला, “सर, बाहर एक बड़ी सरकारी गाड़ी खड़ी है।” मुकेश घबराया और बाहर गया।
गाड़ी के अंदर झांकते ही उसके होश उड़ गए। वह भाग कर वापस आया और बोला, “सर, कमिश्नर साहब आए हैं।” राकेश सिंह सतर्क हो गया। कमिश्नर साहब थाने में दाखिल हुए, उनके चेहरे पर गुस्सा था। उन्होंने मुकेश से पूछा, “यह क्या तमाशा है?” मुकेश घबरा गया, “कुछ नहीं सर, एक छोटा केस है।”
कमिश्नर ने फाइल उठाई और पढ़ने लगे। माथे पर शिकन आ गई। उन्होंने कोठरी की तरफ देखा और पूछा, “यह कौन है?” मुकेश बोला, “इस महिला पर 420 और धोखाधड़ी का केस है।” कमिश्नर ने पूछा, “सबूत?” मुकेश फंसा हुआ था। कमिश्नर ने सीधे रिया से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?” पहली बार रिया ने मुस्कुरा कर कहा, “एसडीओ रिया मिश्रा।”
थाने में सन्नाटा छा गया। मुकेश के हाथ-पांव कांपने लगे। बाकी पुलिसकर्मी हैरान थे। वह महिला जिसे सड़क पर घसीटा गया था, जिसके बाल खींचे गए थे, जिसने थप्पड़ खाया था, वह एसडीओ थी। कमिश्नर ने गुस्से से कहा, “मुकेश, तुझमें इतनी हिम्मत कैसे आई कि तू सीनियर ऑफिसर पर झूठा आरोप लगाये?”
मुकेश कुछ कहने लगा, लेकिन सीनियर इंस्पेक्टर राकेश सिंह ने कहा, “सर, मैंने पहले कहा था कि कुछ गड़बड़ है।” अब मुकेश अकेला पड़ चुका था। रिया ने दृढ़ स्वर में कहा, “मुकेश, तेरी नौकरी गई, सस्पेंशन पक्का और केस चलेगा।” मुकेश का चेहरा सफेद पड़ गया।
दो कांस्टेबल उसे पकड़ने आगे बढ़े, लेकिन मुकेश ने एक चाल चली। उसने कागज निकाला और बोला, “रुको मैडम, यह देख लो। मेरा ट्रांसफर ऑर्डर है, तीन दिन पहले हुआ है। अब मुझे नौकरी से नहीं निकाल सकती।” कमिश्नर ने राकेश सिंह को जाँचने को कहा। राकेश ने कंप्यूटर रिकॉर्ड देखा और बोला, “यह असली है, पर नए इंस्पेक्टर को चार्ज नहीं सौंपा गया। यानी अभी तक यह इंस्पेक्टर है।”
रिया ने मुकेश की आंखों में आंखें डालकर कहा, “अब तेरा नया ठिकाना वही होगा जहां तू दूसरों को डालता था।” कमिश्नर ने सहमति दी। जैसे ही कांस्टेबल उसे पकड़ने आए, मुकेश ने कहा, “मैं अकेला नहीं हूं, यह सब मेरे साथ थे, ऊपर तक सब शामिल है।” कुछ पुलिसकर्मियों के चेहरे उड़े हुए थे।
राकेश सिंह ने एक-एक करके सबकी ओर शक की नजरों से देखा। रिया ने कमिश्नर से कहा, “अब पूरे थाने को साफ करना होगा, कोई नहीं बचेगा।” कमिश्नर ने आदेश दिया, “जो हुक्म मैडम, एक-एक करके सबका हिसाब लिया जाएगा।”

थाने के बाहर पत्रकार पहले से खड़े थे। खबर सुनते ही उन्होंने ब्रेकिंग न्यूज़ वायरल कर दी। तभी एसपी साहब चमकती गाड़ी में आए। उन्होंने थाने के अफसरों को घूरा और पूछा, “यह तमाशा कब से चल रहा है?” लेकिन कमिश्नर और थाना इंचार्ज चुप थे।
रिया ने एसपी की आंखों में आंखें डालकर कहा, “क्या तुम्हें लगता है तुम बच जाओगे?” राकेश ने एक फाइल दी जिसमें एसपी के काले कारनामों का पर्दाफाश था। रिया ने फाइल एसपी को देते हुए कहा, “देखो, इसमें तुम्हारे हर गुनाह का किराया लिखा है।” एसपी के माथे से पसीना बहने लगा।
कमिश्नर ने आदेश दिया, “इसे तुरंत गिरफ्तार करो।” पूरा थाना स्तब्ध रह गया। एसपी की गिरफ्तारी के साथ ही पूरे जिले में तूफान आ गया। मामला दिल्ली तक पहुंचा। मुख्यमंत्री तक खबर गई और आदेश आया कि जिले के सभी भ्रष्ट अफसरों को गिरफ्तार किया जाए।
अगले दो दिनों में 40 से अधिक पुलिस अफसर, 10 से ज्यादा बड़े अधिकारी और कुछ राजनीतिक नेता गिरफ्तार हुए। मुगलपुर की हवा बदल गई। अब हर जुबान पर एसडीओ रिया मिश्रा का नाम था। उनकी ईमानदारी और साहस की चर्चा हर जगह थी। उन्होंने पूरे सड़े गले सिस्टम को हिला दिया था।
प्रशासन में नई सोच, नई गति और एक नया डर पैदा हो गया था। अब कोई भी यह नहीं कह सकता था कि उसे कुछ नहीं होगा। रिया मिश्रा ने साबित कर दिया था कि अगर मन साफ हो और नियत सच्ची हो, तो पूरे देश को सुधारा जा सकता है। उनकी यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा थी जो न्याय और ईमानदारी की राह पर चलना चाहता है।
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