शाम का वक्त था। शहर की रोशनी धीरे-धीरे जगमगा रही थी। लेकिन सड़क के उस कोने पर अंधेरा गहराता जा रहा था। वही कोना जहां लोग नजरें फेर कर निकल जाते थे। वहीं बैठी थी एक छोटी सी लड़की। उम्र शायद 10 या 11 साल। बाल बिखरे हुए, कपड़े मैले और फटे हुए, चेहरे पर धूल और थकान की परतें। लेकिन उसकी आंखों में एक चमक थी। उम्मीद की जो अब भी बुझी नहीं थी। उसका नाम रानी था। रानी तीन दिन से भूखी थी। मां को गुजरे हुए साल भर हो चुका था। पिता ने उसे बहुत पहले ही सड़क पर छोड़ दिया था। तब से वह मंदिरों और बाजारों के कोनों में पेट भरने की कोशिश करती थी। कभी कोई रोटी फेंक
देता, कभी कोई अधखाया बर्गर वही उसका खाना था। उस दिन वह मॉल के बाहर बैठी थी। अंदर बड़े-बड़े शीशे के पीछे लोग हंस रहे थे। खाना खा रहे थे। बच्चों के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे। ठंडी हवा में फ्राइड चिकन और बेक्ड ब्रेड की खुशबू फैल रही थी। रानी का पेट जोर से गुड़गड़ाया लेकिन उसने खुद को रोक लिया। तभी उसकी नजर एक औरत पर पड़ी। लंबी सजी धजी हाथ में महंगा पर्स, बालों में हल्की खुशबू। वो एक फूड कोट के टेबल पर बैठी थी। उसके सामने प्लेट में आधा खाना बचा था। वो मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी। हां, बस डाइट में हूं। ज्यादा नहीं खा सकती। रानी बस वहीं खड़ी
रही। दिल में डर था लेकिन भूख डर से बड़ी थी। उसने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे आगे बढ़ी। मैडम उसकी आवाज कांप रही थी। क्या मैं आपका बचा हुआ खाना खा सकती हूं? औरत ने मोबाइल से नजर उठाई। उसकी आंखों में पहले तो झुंझुलाहट थी। फिर हैरानी। उसके सामने खड़ी थी एक नन्ही लड़की जो गंदगी में लिपटी थी। लेकिन उसकी आंखें किसी टूटे तारे की तरह चमक रही थी। क्या कहा तुमने? उसने पूछा। रानी ने सिर झुकाया। बस थोड़ा खाना। मैं तीन दिन से कुछ नहीं खाई। टेबल के पास लोग अब देखने लगे थे। कुछ हंस रहे थे। कुछ कैमरा निकाल रहे थे। जैसे यह भी कोई तमाशा हो। महिला को शर्म आई। उसने
जल्दी से पर्स उठाया और कहा। “यह लो ₹100 ले लो। जाकर कुछ खरीद लो। रानी ने सिर हिलाया। नहीं मैडम, मैं पैसे नहीं चाहती। बस वो खाना। वो शब्द जैसे सीधे दिल में उतर गए। महिला का हाथ रुक गया। उसने प्लेट की तरफ देखा। आधा सैंडविच, थोड़ा सलाद और एक कप जूस। उसने कभी नहीं सोचा था कि यह बचे हुए टुकड़े किसी के लिए जिंदगी हो सकते हैं। उसने धीरे से प्लेट रानी के सामने रख दी। लो खा लो। रानी ने कांपते हाथों से खाना उठाया। उसने एक टुकड़ा मुंह में डाला। फिर आंसू टपक पड़े। धन्यवाद। वो बस इतना ही कह पाई। महिला चुपचाप देखती रही। उसके भीतर कुछ टूट रहा था। उसे याद
आया। कुछ साल पहले उसकी भी बेटी थी। ठीक इसी उम्र की एक कार एक्सीडेंट में वह चली गई थी और तब से उसने किसी बच्चे को अपने पास आने नहीं दिया था। उसे लगता था कि कोई भी उसकी उस कमी को नहीं भर सकता। लेकिन आज इस छोटी सी लड़की के क्या मैं आपका बचा हुआ खाना खा सकती हूं? ने उसकी दीवारें तोड़ दी। तुम्हारा नाम क्या है? उसने पूछा रानी लड़की ने कहा कोई घर है तुम्हारा? नहीं। मैं वहीं पुल के नीचे रहती हूं। जहां बाकी बच्चे रहते हैं। महिला कुछ पल सोचती रही। फिर उठकर बोली चलो मेरे साथ चलो। रानी डर गई। नहीं मैं परेशानी नहीं बनना चाहती। तुम परेशानी नहीं याद दिलाने
आई हो कि इंसानियत अब भी जिंदा है। महिला ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। रानी ने झिझकते हुए उसका हाथ पकड़ा और वह पल दोनों की जिंदगी बदल गया। महिला का नाम मीरा था। उसने रानी को अपने घर ले जाकर नहलाया। नए कपड़े पहनाए और गर्म खाना खिलाया। पहली बार रानी ने चार दीवारी के अंदर बिस्तर पर सिर रखा। उसकी आंखों से नींद नहीं। आंसू बहते रहे। लेकिन वह आंसू सुकून के थे। अगले दिन मीरा उसे एनजीओ में ले गई। जहां गरीब बच्चों की शिक्षा होती थी। उसने वहां के हेड से कहा, “यह मेरी जिम्मेदारी है।” इसे मैं यहीं पढ़ाऊंगी। रानी ने पढ़ना शुरू किया। धीरे-धीरे लिखना सीखा और कुछ
सालों में स्कूल की सबसे होशियार छात्रा बन गई। मीरा हर शाम उसे देखने आती। कभी कहानी सुनाती, कभी बस चुपचाप बैठती। एक दिन रानी ने उससे पूछा आपने उस दिन मुझे क्यों नहीं भगाया? मीरा मुस्कुराई क्योंकि तुमने मुझसे सिर्फ खाना नहीं मांगा था। तुमने मुझे जिंदा महसूस करवाया था। वक्त बीता। 10 साल बाद रानी खुद एक सोशल वर्कर बनी। उसने खुशबू नाम की संस्था शुरू की। जहां रोजाना सैकड़ों बेघर बच्चों को खाना और शिक्षा दी जाती थी। उद्घाटन के दिन मीरा भी वहां थी। उसने देखा अब वही छोटी लड़की मंच पर खड़ी है। लोगों से कह रही है कभी किसी से मत पूछो कि वह कौन है या कहां
से आई है। बस पूछो क्या वो भूखी है? सारा हॉल तालियों से गूंज उठा। मीरा की आंखों से आंसू बह निकले। उसने रानी को गले लगाया और कहा जिस दिन तुमने वह पूछा था, क्या मैं आपका बचा हुआ खाना खा सकती हूं? उसी दिन तुमने मुझे मेरी इंसानियत लौटा दी थी। कभी-कभी दुनिया बदलने के लिए बड़े काम नहीं चाहिए होते। बस एक भूखी बच्ची की सच्ची आवाज काफी होती है जो किसी अमीर के दिल की खामोशी को तोड़ दे।
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