राजा की सात रानियां थी। राजा अपने गुरु के पास जा रहे थे। रास्ते में एक पन्हारी की लड़की मिली। उसने राजा से पूछा, “आप रोज कहां जाते हैं?” राजा ने कहा, “मैं ज्ञान के लिए आश्रम जाता हूं।” पन्हारी की लड़की बोली, क्या आपने त्रियचरित्र पढ़ा है? राजा कुमार ने ना में सर हिलाया। पन्हारी की लड़की हंसते हुए बोली, “क्या फायदा यह सब पढ़ने का जब यही नहीं पढ़ पाए? राजा कुमार को बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह अभी तक यह क्यों नहीं पढ़ा। राजा सीधे गया अपने गुरु के पास। गुरु जी प्यार से बोले क्या हुआ राजकुमार? आप इतने गुस्से में क्यों हैं? राजकुमार ने गुस्से में
कहा आपने हमें अब तक त्रियचरित्र क्यों नहीं पढ़ाया? गुरु जी बोले क्योंकि इसमें बहुत खतरा है। इससे आपकी जान भी जा सकती है। और राजा बोले आप इसकी चिंता मत कीजिए। मैं यह देख लूंगा। आप बस मुझे यह पढ़ाइए। मुझे पढ़ना है। अब गुरु जी उन्हें कैसे मना कर सकते थे? वह बोले ठीक है। पूरे एक साल बाद गुरु जी बोले अब आपकी पढ़ाई पूरी हो गई है। अब आप जा सकते हैं। साथ ही उन्होंने एक सुपारी दी और कहा आप इसे मुंह में रख लेना। आपके ऐसा करने से आपको कोई भी नहीं पहचान पाएगा। लेकिन आप सबको पहचान सकेंगे। जब सब सो गए तो रात को 12:00 बजे
अपने राज के पूर्व दिशा में सुपारी मुंह में रखकर खड़ा हो गया। थोड़ी देर खड़ा रहने पर उसने देखा कि वही पन्हारी की लड़की जिसने उनसे यह सब पढ़ने को कहा था। वहां लड़की मंदिर के निकट बनी एक कुटिया में चली गई। राजा चुपके से देखने लगे कि यह क्या कर रही है। उसने देखा कुटिया के अंदर एक साधु बैठा है। उसे देखते ही गुस्से से बोला तुम्हें आने में इतनी देर क्यों लगी? लड़की बोली, “मेरा पति मुझे लेने आया है। अपने पति को सुलाने के बाद मैं आपके पास आई हूं इसलिए देर हो गई।” इतना सुनते ही साधु ने उसकी खाने की थाली को एक तरफ फेंकते हुए कहा, जब तुझे उसके
साथ रहना है तो मेरे पास क्यों आई है? लड़की बोली, बस आप ही हैं। उसकी बात सुनकर साधु ने कहा, ठीक है। यदि तू चाहती है मैं तेरी बात का विश्वास करूं, तो ले यह चाकू। जा अपने पति का सर काट के ला। लड़की बिना कुछ सोचे इस चाकू को लेकर घर आई और सोते हुए पति का गला काट के मार दिया। फिर उसका सर लेकर साधु के पास आ गई। साधु ने जैसे ही देखा वो उसे धक्का मारकर अपनी कुटिया से निकाल दिया और बोला जो औरत सात फेरे लेने के बाद अपने पति की नहीं हुई वो मेरी क्या होगी। अपना चेहरा कभी मत दिखाना। अब मरता क्या ना करता। वो अपने पति का सर
लेकर वापस आई और उसके धड़ से सर को जोड़कर रख दिया। सुबह उठकर झोर-जोर से रोने लगी। पता नहीं कौन मेरे पति को मार गया। जब लोग उसके पति को ले जाने लगे तो वह कहने लगी कि मैं उनके साथ सती हो जाऊंगी। क्योंकि उनके अलावा अब मेरे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। यह सुनते ही राजा को हंसी आ गई। वो झड़ से हंसते हुए बोले त्रिय चरित्र जाने नहीं कोई पति मार के सती हुई पनह्हारी की लड़की समझ गई और वो राजा से बोली है राजा तुम मुझे बोल रहे हो जहां भी जाना चटाई या झाड़कर ही बैठना रात को फिर राजा उसी चौराहे पर खड़ा हो गया तो उसने
देखा कि उसकी सात पत्नियां अपने हाथ में खाने से भरी थाली लेकर उसी कुटिया की तरफ जा रही हैं। राजा को रानियां पहचान नहीं पाई और उसे चौराहे पर खड़ा देख बोली ये लड़का इधर आ। थोड़ा यह थालियां इस कुटिया तक पहुंचा दे। राजा ने बिना कुछ कहे जैसा उन्होंने कहा वैसे ही किया। वो उसी साधु के पास गई और साधु से कहा। उसने मेरी मदद की है। इसीलिए इसको आज रात यहीं रहने की व्यवस्था कर दीजिए। साधु ने अपने एक चेले को इशारा किया और वह राजा को लेकर एक कमरे में गया जहां सिर्फ एक चटाई बिछी हुई थी। राजा चटाई पर बैठने वाला था कि उसे पनहारी
की लड़की की बात याद आई। राजकुमार ने सोचा मैं एक राजकुमार हूं। फिर भी आज रात यही रुकने के लिए मुझे एक चटाई पर सोना होगा। क्यों ना एक बार उस पन्हाहारी की बात मान लूं। यह सोचते हुए उसने चटाई झाड़ने के लिए उठाई। चटाई हटाते ही उसके होश उड़ गए क्योंकि चटाई के नीचे कुआं था। राजा ने मन ही मन उस पनहारी का शुक्रिया किया और उस कुएं में झांक के देखा तो पाया कि उसमें बहुत से जीवित पुरुष हैं। उनमें से एक ने राजा को देखते ही कहा अरे राजा आप यहां कैसे आ गए? राजा बोले मेरी छोड़ो। तुम लोग बताओ यहां कैसे हो? उसमें से एक ने कहा ए
राजा अभी बात करने और बताने का टाइम नहीं है। थोड़ी देर में तुम्हारी वो सात रानियां यहां आती होंगी। तुम्हें जिंदा पा गई तो मार डालेंगी। यहां से जल्दी से जल्दी माफ जाओ। राजा वहां से भाग निकला। पर साधु ने उसे देख लिया और कहा इसे जल्दी से पकड़ो। अगर इसने किसी को बता दिया तो मेरा पता ही कट जाएगा। सभी रानियां उसके पीछे दौड़ पड़ी। लेकिन वो रहा राजा कैसे पकड़ में आता। पर यहां रानियां भी हार नहीं मान रही थी। तभी रास्ते में एक नदी पड़ी। क्योंकि राजा तैरना जानता था इसलिए जल्दी से नदी में छलांग लगा दी। नदी गहरी थी। ऊपर से रानियों को तैरना नहीं आता था
इसलिए वह इस पार ही रह गई। राजा जब नदी पार कर उस पार गया तो जोर से हंसा जिससे राजा के सोने के दांत चमक उठे। उधर रानियां दौड़ती हुई साधु के पास आई और बोली वो तो भाग गया। देखें यह कहां है। साधु ने अपनी जादू की पोटली में देखा तो पाया कि वह राजा तोता बन गया है। रानियां बोली अब क्या करेंगे? साधु बोला कोई नहीं ऐसा करो कि पूरे राज में घोषणा करवा दो कि जो कोई तोता ले आएगा उसे पांच अशरफियां दी जाएंगी। रानियों ने वैसे ही किया। बहेलिया जंगल से तोते पकड़ के लाते और रानियां उन्हें मारने लगती। उधर राजा एक गोंद के पेड़ पर रहने लगा। जिस पेड़ पर रहता था उस
पर पहले से 15 तोते रहते थे। राजा जब वहां गया तो उन लोगों ने राजा को अपना राजा बना लिया। कुछ दिन बाद एक बहेलिया उस पेड़ के पास आया जिस पर राजा रहता था। उसने देखा कि इतने सारे तोते उस पेड़ पर रहते हैं। बहेलिया ने सोचा अगर मैं सभी तोते को लेकर रानी के पास जाऊंगा तो मैं एक ही दिन में मालामाल हो जाऊंगा। लेकिन समस्या यह थी कि इन तोतों को एक साथ पकड़ना मुश्किल था। इसलिए उसने एक योजना बनाई। जब सुबह के समय सभी तोते दाना की खोज में चले गए। तब बहेलिया ने उस पेड़ की डाली को थोड़े-थोड़े जगह से काट दिया जिससे गोंद पूरे पेड़ पर फैल गया। रात के समय जब सभी
तोते आए और बैठे तो उस पेड़ में ही चिपक गए। सब बोले अब क्या करें? तो राजा जो तोता बना था बोला चिंता मत करो। जब बहेलियां आएगा तो तुम सब ऐसे लटक जाना जैसे मर गए हो। फिर वो हमें मरा समझ के नीचे फेंक देगा। जब सबको नीचे फेंकेगा तो एक साथ सभी उड़ जाना। सभी ने कहा, ठीक है। जैसे ही बहेलिया आया, सभी तोते उल्टा लटक गए। बहेलिया को लगा कि इस जगह पर पूरी रात रहने से सभी तोते मर गए। उसे बड़ा दुख हुआ कि एक तो पैसा भी नहीं मिला और ऊपर से तोते मरने का पाप भी लग गया। वो पेड़ पर चढ़ा और सभी तोते को गोंद से निकाल निकाल कर नीचे फेंकने लगा। राजा को छोड़कर जब
सभी तोते नीचे आए, तो वो एक साथ उड़ गए। जैसे ही वो उड़े, उन्हें ध्यान आया कि राजा तोता तो है ही नहीं। उनमें से कुछ ने कहा चलो चलते हैं। राजा को हमारी मदद की जरूरत है। कुछ ने कहा नहीं राजा बुद्धिमान है। उन्हें कुछ नहीं होगा। वो सब देख लेंगे। उधर बहेलिया ने जब देखा कि सभी तोते उड़ गए तो उसे समझ आ गया कि यह सब नाटक कर रहे हैं। तभी उसकी नजर राजा तोते पर पड़ी। वो बोला कोई नहीं इतनी मेहनत का कुछ तो फल मिलेगा। मैं उसे लेकर रानी के पास जाऊंगा। बहेलिया उस तोते को उतार कर अपने पिंजरे में बंद कर दिया और रानी के पास जाने लगा। तब राजा ने कहा अरे बहेलिया
तुम मुझे रानी के पास ले जाओगे तो तुम्हें क्या मिलेगा? बहेलिया खुश होते हुए बोला पांच अशरफियां। तोता बोला मैं तुम्हें 500 अशरफियां दिलाऊंगा। अगर तुम मेरा कहना मानोगे। तब बहेलिया बोला क्या? तोता बोला मुझे सघोल राजा के बाजार में ले चलो। वहां अगर कोई तुमसे बोले कि इस तोते का दाम क्या है तो बोलना तोता अपना दाम खुद बताएगा। बहेलिया मान गया और उसे सगोल राजा के बाजार में ले गया। राजा सगोल के बाजार का यह नियम था कि जो भी व्यापारी अपना सामान बेचने आता वो दिन भर बेचता और शाम को जो बच जाता राजा खरीद लेता। शाम के समय बाजार की सभी वस्तुएं बिक गई। केवल उस
तोते को छोड़कर क्योंकि तोता अपना दाम इतना महंगा बताता कि कोई उसे लेता ही नहीं। अंत में राजा के दरबारी राजा के पास आए। राजा ने उनसे बाजार का हाल पूछा तो वो बोले महाराज आज बाजार में एक विचित्र तोता आया है जो अपना दाम खुद बताता है। उसको छोड़कर सब कुछ बिक गया है। राजा ने कहा क्या दाम है तोते का? दरबारी बोले 50 हजार अशरफियां। राजा बोले ठीक है ले लो। वरना राज में यह खबर फैल जाएगी कि राजा के बाजार से सामान वापस आता है। इससे मेरी बदनामी होगी। परंतु इस तोते को खरीदने मैं खुद जाऊंगा। राजा रथ पर सवार होकर चल पड़ा। बहेलिया के पास पहुंचा और बोला बताओ
बहेलिया तोते का दाम। बहेलिया के तो पसीने छोड़ गए वो हाथ जोड़ के बोला महाराज तोता अपना दाम खुद बताएगा। राजा ने तोते से कहा बताओ तोता अपना दाम। तोता बोला 500 अशरफियां। राजा मान गया और तोते को लेकर राज दरबार में आ गया। पूरे राज में यह खबर फैल गई कि राजा ने एक तोता खरीदा है जो 500 अशरफियों का है। सभी राजा दरबार में उसे देखने आए। यह बात साधु और रानियों को भी पता चल गई। रानियां बोली अब क्या करें? साधु बोला अब एक ही उपाय है। मैं तबला बजाना सीखता हूं और तुम लोग नाचना सीख लो। फिर चलो राजा के पास और उन्हें खुश करके उस तोते को मांग लेंगे क्योंकि उनके राज
में और उनकी बिना इजाजत के हम तोते तक नहीं जा सकते। उन्होंने अपनी सहमति जताई और काम में लग गए। उधर जब रानी की तबीयत खराब हो गई तो वह अपनी बेटी से बोली जो कि 16 साल की थी। आज तुम तोते को नहलाकर खाना दे देना और ध्यान रखना। उसकी बेटी ने हां कहा और तोते को लेकर नहलाने के लिए चली गई। जब वह तोते को नहला रही थी तो उसे तोते के सर पर कुछ कटा सा महसूस हुआ। उसने सोचा कि तोते को कहां से चोट लग गई। अब तो माताजी जानेंगी तो गस्सा करेंगी। यह सोचकर उसने उसे निकाल दिया। वो एक कील थी जो गुरु जी ने राजा को तोता बनाने के लिए लगाई थी। कील के निकलते ही वह तोता एक 21
साल का जवान लड़का बन गया। राजकुमारी देखते ही डर गई। और जैसे ही चिल्लाने को हुई राजा ने उसका मुंह बंद कर दिया और कहा तुम डरो मत मैं एक राजा हूं कुछ कारण है जिससे मैं ऐसा बना हूं। राजकुमारी बोली मुझे बताओ वरना मैं सबको बता दूंगी। राजा बोला अभी नहीं अभी तुम वही कील जहां मेरे सर में लगी थी वहीं लगा दो। जब सब सो जाएंगे तब उसे निकालना। राजा ने सब कुछ बता दिया। इसलिए वो उससे दोस्ती कर बैठी। अब हर रोज राजकुमारी और राजकुमार बात करने लगे। उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई। एक दिन दरबार में एक पत्र आया। राजा ने मंत्री से पढ़ने के लिए कहा। मंत्री पढ़ने
लगा। मेरे प्रिय मित्र मैं अपने चार राजकुमारों को तुम्हारे पास भेजूंगा। मैंने चारों को उत्तम शिक्षा दिलाई है और अब मैं बूढ़ा हो चुका हूं। इसलिए चाहता हूं कि मेरे किसी एक पुत्र को अपने राज सिंहासन के लिए चुनो। तुम अपनी बुद्धि परीक्षा करके जो उसका हकदार है उसे हमें बताओ। राजा ने हर तरीके से उन चारों राजकुमारों का परीक्षण किया। सभी एक से बढ़कर एक थे। जब राजा परेशान हो गया कि कैसे कहें और क्या निर्णय लें? क्योंकि सब अपने आप में ही बेहतरीन थे। सब हर विषय में समान थे। राजा ने फिर तोते को बुलाया और सारी बात बताई। तोता बोला राजा एक काम
कीजिए। आज रात उन्हें एक साथ एक कमरे में रहने की व्यवस्था कीजिए। दो दिन बाद मैं बताऊंगा। जब रात को चारों राजकुमार एक साथ खाना खाकर सोने गए तो आपस में बातें करने लगे। पहला राजकुमार बोला, अरे भाई खाना खा के मजा ही आ गया। पर अगर पके धान का चावल और दही मिल गया होता तो और मजा आ जाता। तोता उनके कमरे की खिड़की पर बैठा उनकी बातें सुन रहा था। तभी दूसरा राजकुमार बोला, “अरे भाई, मुझे इतना कुछ नहीं चाहिए। मुझे तो बस एक रात के लिए राजा की राजकुमारी के साथ सोना है। तो तीसरा बोला, “अरे बाप रे! राजा ने सुन लिया ना तो जान से मार देगा।” मुझे इतना भारी कुछ अच्छा
नहीं लगता। मैं तो बस यह चाहता हूं कि कोई वाराणसी से बना पान खिला दे। तो चौथा बोला, “मुझे तो नींद ही नहीं आती।” कितना दिन हो गया? मैं चाहता हूं कि चार बड़े और कोमल गद्दों पर सो जाऊं। चारों अपनी-अपनी बातें करके सो गए। अगली सुबह तोते ने राजा से उनकी इच्छा अनुसार सामग्री तैयार करने को कहा। रात को उनकी इच्छा अनुसार सब किया गया। सब बहुत खुश हुए। अगली रात को तोता उनके कमरे की खिड़की पर बैठकर उनकी बातें सुनने लगा। पहला राजकुमार बोला क्या यार राजा कैसा दही खिला दिया। दही में दूध था? तो दूसरे ने कहा तुम्हें पता है रात को
मैं ही किनारे सो के गुजार दिया क्योंकि राजा की लड़की से मुझे तेली के जैसा बदबू आ रहा था। वहीं तीसरा बोला अरे यार यह तो छोड़ो मेरी तो इच्छा ही छोटी थी पर राजा ने वो भी पूरी नहीं की। चौथा अपनी पीठ दिखाते हुए बोला तुम सबको अपनी-अपनी पड़ी है। यह देखो मेरी पूरी पीठ ही छिल गई है। गद्दे के नीचे बाल था शायद। तोते ने राजा से सब बताया। राजा ने दही जमाने वाली को बुलाया और पूछा तो वह बोली, “मुझे माफ कर दीजिए राजा जी।” उस समय मैं अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। मेरे तन से निकलकर एक दूध दही में गिर गया। फिर राजा रानी के पास गया और पूछा तो रानी बोली अपने मंत्री
जो जात के तेली हैं उनकी पुत्री के साथ राजकुमारी की मित्रता है। फिर राजा ने पन्हारी को बुलाया। वो बोला महाराज इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। मैं तो उसी दिन के पत्ते का पान बनाया था। इसमें पान का पत्ता लाने वाले का दोष है। राजा ने उसे बुलाया तो वो बोला महाराज पत्ता तो उसी दिन तोड़े थे लेकिन सफर दूर होने के कारण अगले दिन पहुंचे हैं। इसके बाद राजा उस घर में गए जहां चौथा राजकुमार सोया था। उस पर बिछे गद्दे को बहुत बारीकी से देखा तो पाया कि सबसे नीचे वाले गद्दे में एक बाल लगा है। राजा ने तोते से कहा तब क्या किया जाए? तोते ने कहा चौथे को राजा घोषित कर
दें। राजा बोले क्यों और कैसे? तोता बोला राजा जी पहले ने छक कर दूसरे ने सूंघ कर तीसरे ने चबा कर बताया। परंतु चौथे ने बिना देखे बता दिया है। इसलिए उसे राजा बनना चाहिए। राजा तोते के निर्णय से खुश हो गया। उधर जब साधु और राजा की रानियों ने नाचना गाना सीख लिया तो वह भी गए। राजा सगोल के दरबार में आए और कहा महाराज हम आपको अपनी कलाकारी प्रस्तुत करना चाहते हैं। हमें अनुमति दीजिए। राजा ने अनुमति दे दी। सभी रानियां और वह साधु नाचगान करने लगे। उधर तोते को जब पता चला तो वह समझ गया। उसने राजकुमारी को अपने पास बुलाया और बोला राजकुमारी आपके पिता के
दरबार में जो आते हैं वह वही साधु और रानियां हैं जो मुझे मारना चाहते हैं। वह अपनी कला से आपके पिता को प्रसन्न करके मुझे मांगेंगे। राजकुमारी बोली नहीं मैं बिल्कुल नहीं दूंगी। तब तोता बोला आपको देना पड़ेगा क्योंकि अगर आप पिता की बात का मान नहीं रखोगी तो जग हंसाई होगी। राजकुमारी बोली परंतु तुम चिंता मत करो। राजा जब तुमसे मुझे मांगेंगे तो तुम गुस्से में मेरा पिंजरा आंगन में फेंक देना। मैं अपनी जान बचा लूंगा। वही बात हुई भी। जब नाच गान से साधु और रानियों ने राजा को खुश किया तो राजा बोले कहो क्या चाहिए? साधु बोला महाराज मुझे वो तोता
चाहिए जो आपके राजमहल में रहता है। राजा बोले अरे यह कैसी छोटी सी चीज मांग रहे हो। कहो तो सोना चांदी यह तुम्हें तोल दूं। तोता तो बहुत ही कम पैसे का है। साधु बोला नहीं महाराज मुझे बस वही चाहिए। राजा बोले ठीक है। अपने दरबारी को आदेश दिए कि जाओ राजमहल में से तोता लेकर आओ। दरबारी चला गया। जब वो महल पहुंचा और राजकुमारी से तोता मांगा तो उसने मना कर दिया। राजा अपनी लड़की के पास राजमहल में आए और उनके पीछेछे सभी रानियां आई और साधु भी। राजा ने राजकुमारी से पिंजरा मांगा, तो पहले वह मना कर दी। पर राजा जब उस पर गुस्सा हुए,
तो वह भी गुस्से में उस पिंजरे को आंगन में फेंक दी। उसके फेंकते ही तोता सरसों का दाना बन गया और पूरे आंगन में बिखर गया। तभी साधु कबूतर बनके उन दानों को चुगने लगा। लेकिन एक दाना पास की नाली में चला गया। जिसमें राजा के प्राण थे। कबूतर बना साधु ने उसे भी चुगने का सोचा। जैसे ही उधर गया और चुगने के लिए झुका, तोता सरसों से बाज बन गया और वहीं कबूतर बने साधु को मार गिराया। यह सब देख रानियां भाग खड़ी हुई और राजा सगोल के आश्चर्य की सीमा नहीं रही। यहां तक कि राजा बेहोश हो गया। उन्हें उनके कमरे में ले जाया गया। और बाज वापस तोता बनके पिंजरे में बैठ
गया। जब राजा को होश आया तो उन्होंने राजकुमारी और तोते को पिंजरा सहित अपने कमरे में बुलाया और राजकुमारी से बोले सच-सच बताओ यह सब क्या था। राजकुमारी बोली पिताजी इससे पहले कि मैं आपको बताऊं आपको मैं कुछ दिखाना चाहती हूं। राजा ने कहा ठीक है फिर दिखाओ। राजकुमारी ने तोते को पिंजरे से निकाल उसके सर से कील निकाल दी। कील निकलते ही तोता राजा में परिवर्तित हो गया। अब तो राजा को और आश्चर्य हुआ। उन्होंने तोते से सारा माजरा पूछा तो राजा ने शुरू से अब तक जो कुछ हुआ वो सब बता दिया। राजा बोले तो अब क्या करना चाहते हो क्योंकि साधु तो मर चुका है और साधु के
बिना रानियां तुम्हारा कुछ नहीं कर पाएंगी। वो बोला महाराज मैं जानता हूं वह मेरा कुछ नहीं कर सकती। लेकिन अब मैं उनके साथ नहीं रहना चाहता और अब मैं आपकी पुत्री से प्रेम करता हूं और वह भी मुझसे। अगर आप अनुमति दें तो हम दोनों शादी कर लें और इसके बाद मैं उन्हें लेकर अपने राज लौट जाऊंगा। राजा कुछ बोलने को हुए। इससे पहले राजकुमारी बोली पिताजी मैं भी इनसे बहुत प्रेम करती हूं। अगर इनके साथ नहीं हुई मेरी शादी तो मैं किसी के साथ नहीं करूंगी। राजा ने उनकी शादी करा के विदा कर दिया। यह खबर सुनते ही तीनों रानियां रुपया पैसा गहना लेकर भागने लगी। तो राजा
ने अपने सैनिकों से उन्हें पकड़वाया और उसी कुएं में गिरा दिया। राजकुमारी ने उनसे कहा, धन्य है विद्या, धन्य है यह नारी। पति मारने को बनी लजारी। जिस कुएं में सबको मारा, उनको भी उसी की बलिहारी।
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