दोस्तों क्या आपने कभी सुना है कि 10 साल की लड़की आईपीएस बन सकती है? सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन यह कहानी आपकी सोचने का नजरिया बदल देगी। आज की कहानी नन्ही 10 साल की अनवी की है जो 10 साल की उम्र में ही आईपीएस बन जाती है। आइए जानते हैं इस पूरी कहानी को। सूरज की पहली किरण जब सहवालपुर गांव की मिट्टी को छूती थी, तो दूर-दूर तक फैले खेतों में एक अजीब सी खामोशी होती थी। यह खामोशी डर की थी, उम्मीदों के टूटने की थी और सबसे बढ़कर आवाज ना उठा पाने की लाचारी की थी। इसी गांव की तंग गलियों में जहां बिजली के खंभे तो लगे थे, लेकिन रोशनी कभी कभार ही
आती थी। रहती थी 10 साल की अनवी शर्मा। छोटे से घर में, जहां एक ही कमरे में पूरा परिवार रहता था। अनवी की मां रोज सुबह 4:00 बजे उठकर पानी लेने निकलती थी। आधा किलोमीटर दूर हैंडपंप तक का सफर भारी मटके के साथ। अनवी भी कभी-कभी मां के साथ जाती और देखती कि कैसे दूसरी औरतें भी यही हालत में थी। अम्मा हमारे घर में नल क्यों नहीं है? अनवी ने एक दिन पूछा था। मां ने आंसू छुपाते हुए कहा था। बिटिया हम गरीब है ना? हमारी बात कौन सुनता है? लेकिन अनवी के दिल में कुछ और ही चल रहा था। वह रोज स्कूल जाते समय देखती थी कि गांव के बड़े
जमींदार कैसे गरीब किसानों से उनकी जमीन छीन लेते थे। कैसे लड़कियों को स्कूल आने से डराया जाता था। कैसे थाने में जाकर भी कोई उनकी शिकायत नहीं सुनता था। स्कूल में भी हालात अच्छे नहीं थे। मास्टर साहब अक्सर कहते लड़कियों को ज्यादा पढ़ने की क्या जरूरत? घर का काम सीखो। लेकिन अनवी की क्लास टीचर सुमित्रा मैम अलग थी। वे हमेशा बच्चों से कहती सपने देखो बड़े सपने दुनिया बदलने के सपने एक दिन अनवी ने देखा कि गांव की सबसे गरीब लड़की मीरा स्कूल नहीं आई। पता चला कि जमींदार के बेटे ने उसे परेशान किया था और डराया था कि स्कूल मत आना। उस दिन अनवी के दिल में कुछ जल
उठा। मैडम अनवी ने सुमित्रा मैम से कहा अगर मैं पुलिस वाली बन जाऊं तो क्या मैं सबकी मदद कर सकूंगी? सुमित्रा मैम मुस्कुराई। हां बिटिया लेकिन पुलिस बनना आसान नहीं है। बहुत पढ़ना पड़ता है। तो मैं आईपीएस बनूंगी। अनवी ने दृढ़ता से कहा सबसे बड़ी पुलिस वाली। उस दिन के बाद से अनवी का व्यवहार बदल गया। वह और भी मेहनत से पढ़ने लगी। गांव की हर समस्या को ध्यान से देखने लगी। मां-बाप से पूछती रहती कि आखिर क्यों हमारी बात कोई नहीं सुनता। एक शाम जब अनवी पढ़ाई कर रही थी। बाहर से शोर आया। पता चला कि जमींदार के आदमी फिर से किसी गरीब की जमीन हड़पने आए हैं। अनवी की
मां डर से कांप रही थी। चुप रह बिटिया हमारा कुछ नहीं बस चलता लेकिन अनवी से रहा नहीं गया। वह बाहर निकली और देखा कि कैसे रामू काका जो सब्जी बेचकर अपना घर चलाते थे उनसे उनकी छोटी सी दुकान छीनी जा रही थी। पुलिस भी वहां थी लेकिन जमींदार के साथ खड़ी थी। यह गलत है। अनवी ने चिल्लाकर कहा। सब ने अनवी की तरफ देखा। जमींदार का बेटा हंसा। अरे छोटी सी बच्ची को पुलिस बनने का शौक है। उस दिन अनवी को समझ आ गया कि सिर्फ सपने देखना काफी नहीं है। कुछ करना भी पड़ता है। अगले दिन स्कूल में एक खास घटना हुई। सुमित्रा मैम ने सभी बच्चों
से कहा आज हम एक स्पेशल एक्टिविटी करेंगे। तुम सबको एक चिट्ठी लिखनी है प्रधानमंत्री जी को। अगर तुम्हें कुछ मांगना हो, कुछ कहना हो तो लिखो। बाकी बच्चे खुश हो गए। किसी ने खेल का मैदान मांगा, किसी ने कंप्यूटर, किसी ने मिठाई। लेकिन अनवी कुछ और ही सोच रही थी। वह अपनी छोटी सी कॉपी में बड़े ध्यान से लिखने लगी। परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार। मैं अनवी शर्मा कक्षा पांच सहवालपुर गांव से लिख रही हूं। मैं आपसे कुछ अलग मांगना चाहती हूं। मुझे खिलौने नहीं चाहिए, मिठाई नहीं चाहिए। मैं सिर्फ एक दिन के लिए आईपीएस बनना चाहती
हूं। सिर्फ एक दिन के लिए। मैं देखना चाहती हूं कि कैसे एक दिन में भी किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है। हमारे गांव में अमीर लोग गरीबों की जमीन छीन लेते हैं। लड़कियों को स्कूल आने से डराया जाता है। कोई हमारी बात नहीं सुनता। लेकिन अगर मुझे एक दिन का मौका मिले तो मैं सबको दिखा दूंगी कि पुलिस वर्दी सिर्फ डराने के लिए नहीं होती बल्कि भरोसा दिलाने के लिए होती है। मैं चाहती हूं कि हर बच्ची बेटर होकर स्कूल आए। हर गरीब आदमी को यकीन हो कि उसकी भी आवाज सुनी जाएगी। एक दिन बस सिर्फ एक दिन आपकी छोटी बहन अनवी शर्मा जब अनवी ने यह चिट्ठी सुमित्रा मैम को दी तो वे
चौंक गई। उन्होंने दो-तीन बार चिट्ठी पढ़ी। फिर अनवी के पास आकर बैठी। अनवी यह चिट्ठी मैम की आंखें नम हो आई थी। यह सिर्फ चिट्ठी नहीं है बिटिया। यह तो पूरे गांव की आवाज है। उस दिन शाम को सुमित्रा मैम ने अनवी की चिट्ठी की फोटो खींची और अपने Facebook पेज पर डाल दी। साथ में लिखा मेरी छात्रा की आवाज। क्या यह आवाज दिल्ली तक पहुंचेगी? रात भर में वह पोस्ट 500 लोगों ने शेयर किया। अगले दिन तक 5000। दो दिन में पूरे देश में वायरल हो गई। न्यूज़ चैनल वाले सहवालपुर पहुंचने लगे। अखबारों में अनवी की तस्वीर छपने लगी। लेकिन सबसे बड़ी खुशी की बात तब हुई
जब तीसरे दिन अनवी के घर के बाहर सरकारी गाड़ी रुकी। अनवी का जीवन बदलने वाला था। लेकिन वह नहीं जानती थी कि यह सिर्फ शुरुआत है। तीसरे दिन की सुबह सहवालपुर गांव में कुछ अलग ही माहौल था। मीडिया की गाड़ियां, कैमरे और रिपोर्टर्स से पूरा गांव भरा हुआ था। अनवी के छोटे से घर के बाहर भीड़ लगी थी। हर कोई उस 10 साल की बच्ची से मिलना चाहता था जिसकी चिट्ठी ने पूरे देश को हिला दिया था। अनवी की मां सुनीता देवी डर और खुशी के मिलेजुले एहसास से कांप रही थी। पता नहीं क्या हो रहा है। वह पड़ोसियों से कह रही थी, कल तक कोई हमारी बात नहीं सुनता था। आज पूरी दुनिया
हमारे घर के सामने खड़ी है। अनवी के पिता राम प्रसाद शर्मा जो रोज मजदूरी करके घर चलाते थे, अब तक समझ नहीं पाए थे कि उनकी बेटी की एक चिट्ठी ने इतना बड़ा तूफान कैसे मचा दिया। सुबह 10:00 बजे जब काली गाड़ी रुकी, तो पूरा गांव सन्नाटे में आ गया। गाड़ी से उतरे तीन अधिकारी, एक डीएम साहब, एक एसपी साहब और एक केंद्र सरकार का प्रतिनिधि। अनवी शर्मा कहां है? डीएम साहब ने पूछा, भीड़ से अनवी का छोटा सा हाथ उठा। वह डर भी रही थी और उत्सुक भी। एसपी साहब ने अनवी के सामने झुककर कहा, बेटा, तुमने बहुत अच्छी चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री जी ने खुद इसे पढ़ा है। अनवी
की आंखें चमक उठी। सच में? हां बिटिया। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि ने कहा और प्रधानमंत्री जी ने आदेश दिया है कि तुम्हें एक दिन के लिए आईपीएस बनाया जाए। कल तुम उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय में चाइल्ड आईपीएस फॉर ए डे बनोगी। पूरा गांव तालियां बजाने लगा। अनवी की मां की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। पहली बार लगा था कि उनकी बेटी की आवाज दिल्ली तक पहुंची है। लेकिन असली काम अभी शुरू होना था। शाम तक अनवी के साथ तैयारी शुरू हो गई। उसे बताया गया कि कल वह लखनऊ पुलिस मुख्यालय जाएगी। वहां उसे स्पेशल आईपीएस वर्दी दी जाएगी और फिर वह अपने गांव वापस आकर एक
दिन के लिए आईपीएस के तौर पर काम करेगी। रात को अनवी ने अपनी डायरी में लिखा कल मैं आईपीएस बनूंगी सिर्फ एक दिन के लिए। लेकिन इस एक दिन में मैं जो करूंगी वो मेरी पूरी जिंदगी को बदल देगा। मैं सबकी मदद करूंगी। हर गरीब की आवाज सुनूंगी। हर बच्ची को स्कूल आने का हौसला दूंगी। अगली सुबह अनवी को एक खास कार में बिठाकर लखनऊ ले जाया गया। रास्ते में उसने देखा कि लोग सड़क के किनारे खड़े होकर उसे देख रहे थे। कुछ लोग तालियां भी बजा रहे थे। लखनऊ पुलिस मुख्यालय पहुंचकर अनवी का दिल जोर से धड़कने लगा। इतनी बड़ी बिल्डिंग इतने सारे पुलिस वाले सब उसे देख रहे थे। पुलिस
मुख्यालय के गेट पर एक बैनर लगा था। स्वागत है चाइल्ड आईपीएस अनवी शर्मा का। डीजीपी साहब खुद अनवी से मिलने आए। अनवी बेटा आज तुम हमारी खास मेहमान हो। तुम्हारी चिट्ठी ने हम सबको बहुत कुछ सिखाया है। फिर अनवी को एक खास कमरे में ले जाया गया। जहां उसके लिए स्पेशल छोटी साइज की आईपीएस वर्दी तैयार थी। नेवी ब्लू रंग की कमीज, पैंट, काली टोपी, और सबसे खास एक छोटा सा बैज, जिस पर लिखा था, आईपीएस, एनबी शार्मा, वन डे स्पेशल। जब अनवी ने वर्दी पहनी और आईने में खुद को देखा तो उसकी आंखें चमक उठी। वाह मैं तो सच में आईपीएस लग रही हूं। डीजीपी साहब ने
उसके कंधे पर हाथ रखा। अनवी यह सिर्फ वर्दी नहीं है। यह जिम्मेदारी है। आज तुम जो भी करोगी पूरा देश देख रहा होगा। अनवी ने सीधे खड़े होकर कहा सर मैं अपनी जिम्मेदारी समझती हूं। आज मैं अपने गांव के हर गरीब आदमी की आवाज बनूंगी। दोपहर में अनवी को वापस सहवालपुर ले जाया गया। लेकिन इस बार वह एक आम लड़की नहीं थी। वह आईपीएस अनवी शर्मा थी। गांव में उसका स्वागत जबरदस्त तरीके से हुआ। पूरा गांव सड़क पर निकल आया था। बच्चे तालियां बजा रहे थे। औरतें खुशी के गीत गा रही थी। लेकिन सबसे अहम बात तब हुई जब जिले के एएसपी साहब और सभी थाने के दरोगा अनवी को
सैल्यूट करने के लिए लाइन में खड़े हुए। यह परंपरा है। एसपी साहब ने कहा, आज अनवी हमारी सबसे छोटी लेकिन सबसे खास आईपीएस ऑफिसर है। हम सब उसका सम्मान करेंगे। एक-एक करके सभी पुलिस अधिकारियों ने अनवी को सैल्यूट किया। अनवी पहले तो शर्मा गई। फिर उसने भी वापस सैल्यूट किया। अब मैं क्या करूं? अनवी ने एसपी साहब से पूछा। जो तुम्हारा दिल कहे वही करो। आज तुम कमांडर हो। अनवी ने गहरी सांस ली। फिर उसने अपना पहला आदेश दिया। सबसे पहले मैं गांव के स्कूल जाना चाहती हूं। वहां जो बच्चियां और डर की वजह से नहीं आ रही हैं उनसे मिलना चाहती हूं। स्कूल पहुंचकर अनवी ने
देखा कि आज कई बच्चियां आई थी जो महीनों से नहीं आई थी। मीरा भी आई थी। मीरा अनवी ने कहा अब तुम्हें कोई नहीं डराएगा। आज मैं यहां हूं। फिर अनवी ने अपना दूसरा आदेश दिया। इस स्कूल में रोज एक पुलिसकर्मी रहेगा ताकि कोई भी बच्चा या बच्ची डरे नहीं। तीसरा आदेश था। जो जमींदार लोग गरीबों की जमीन छीन रहे हैं उनके सारे कागजात की जांच होगी। आज ही शाम तक अनवी के तीनों आदेश लागू हो गए। स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड लगा दिया गया। जमींदार के कागजात की जांच शुरू हो गई और सबसे बड़ी बात अनवी ने घोषणा की कि हर शनिवार थाने में जन सुनवाई होगी। जन
सुनवाई यानी किसी ने पूछा। यानी हर शनिवार गांव का कोई भी आदमी थाने में आकर अपनी समस्या बता सकेगा। बिना किसी डर के, बिना पैसे दिए बस अपनी बात कह सकेगा। रात होते-होते पूरे गांव में एक नई उम्मीद की लहर दौड़ गई। लोग कह रहे थे, अरे यह छोटी सी बच्ची ने एक दिन में वह कर दिया जो बड़े-बड़े नेता सालों में नहीं कर पाए। लेकिन अनवी के लिए असली चुनौती अभी आने वाली थी। अगले दिन उसे दिल्ली जाना था प्रधानमंत्री से मिलने। चौथे दिन की सुबह अनवी के लिए किसी सपने के सच होने जैसी थी। आज वह दिल्ली जाने वाली थी। प्रधानमंत्री कार्यालय में छोटे से
सेहवालपुर गांव से निकलकर देश की राजधानी तक का यह सफर सिर्फ अनवी का नहीं था बल्कि हर उस गरीब बच्चे का था जो कभी सपना भी नहीं सोच सकता था कि उसकी आवाज इतनी दूर तक पहुंच सकती है। सुबह 6:00 बजे ही अनवी तैयार हो गई थी। उसकी आईपीएस वर्दी स्त्री की हुई। जूते चमकाए हुए और बैज पर उसका नाम चमक रहा था। मां ने उसके बालों में तेल लगाकर दो चोटियां बनाई थी। बिटिया मां ने आंसुओं के साथ कहा, आज मेरी बेटी प्रधानमंत्री जी से मिलने जा रही है। भगवान का लाख-लाख शुक्र है। पिताजी भी भावुक हो गए। अनवी याद रखना आज तू सिर्फ हमारी बेटी नहीं है। तू हर गरीब के घर की
बेटी है। हर उस बच्चे की आवाज है जिसे कोई सुनता नहीं। 9:00 बजे स्पेशल फ्लाइट से अनवी दिल्ली के लिए रवाना हुई। साथ में थे डीएम साहब, एसपी साहब और सुमित्रा मैम। हवाई जहाज में बैठकर अनवी ने कहा, “मैम, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मैं हवाई जहाज में बैठूंगी।” सुमित्रा मैम मुस्कुराई। अनवी, यह सिर्फ शुरुआत है। तुम्हारे पास अभी और भी बड़े सपने देखने हैं। दिल्ली पहुंचकर अनवी का स्वागत और भी शानदार तरीके से हुआ। एयरपोर्ट पर मीडिया की भीड़, सैकड़ों कैमरे और रिपोर्टर्स। सबका एक ही सवाल था। अनवी प्रधानमंत्री जी से मिलकर कैसा लग रहा है? अनवी ने माइक के
सामने कहा, अभी तो मिली नहीं हूं लेकिन बहुत खुशी हो रही है। आज मैं अपने गांव की अपने जैसे सभी बच्चों की बात कहूंगी। दिल्ली में अनवी को पहले दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर ले जाया गया। यहां दिल्ली पुलिस कमिश्नर साहब खुद मिलने आए। अनवी आज तुम ना सिर्फ उत्तर प्रदेश की बल्कि पूरे देश की सबसे छोटी आईपीएस हो। कमिश्नर साहब ने कहा, “हमारे सारे आईपीएस ऑफिसर्स तुमसे मिलना चाहते हैं।” दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर में अनवी को एक बड़े हॉल में ले जाया गया। वहां 50 से ज्यादा आईपीएस ऑफिसर्स बैठे थे। जैसे ही अनवी अंदर आई, सभी खड़े हो गए और तालियां बजाने लगे। यह
हमारा सम्मान है। एक सीनियर आईपीएस ऑफिसर ने कहा, “आज हमें एक छोटी सी बच्ची से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है।” अनवी से पूछा गया, “तुम आईपीएस क्यों बनना चाहती हो?” अनवी ने जवाब दिया सर मैं नहीं चाहती कि कोई और बच्ची डर के कारण स्कूल ना आ सके। मैं नहीं चाहती कि कोई गरीब आदमी सोचे कि उसकी आवाज कोई नहीं सुनेगा। पुलिस वर्दी डराने के लिए नहीं भरोसा दिलाने के लिए होनी चाहिए। सभी आईपीएस ऑफिसर्स ने फिर से तालियां बजाई। कई की आंखें नम हो गई थी। दोपहर में अनवी को प्रधानमंत्री कार्यालय ले जाया गया। साउथ ब्लॉक की वह बड़ी बिल्डिंग देखकर अनवी का दिल जोर से
धड़कने लगा। यहां से पूरा देश चलाया जाता है। एसपी साहब ने बताया अंदर जाकर अनवी को एक खास कमरे में ले जाया गया। कमरे में भारत का नक्शा लगा था। तिरंगा झंडा था और दीवारों पर महापुरुषों की तस्वीरें। अनवी बेटा प्रधानमंत्री जी आ रहे हैं। पीएमओ के एक अधिकारी ने कहा तुम घबराना मत। मैं घबरा नहीं रही अंकल। अनवी ने कहा मैं सिर्फ उत्सुक हूं। 5 मिनट बाद दरवाजा खुला और प्रधानमंत्री अंदर आए। अनवी ने तुरंत सैल्यूट किया। प्रधानमंत्री मुस्कुराए और अनवी के पास आकर बैठ गए। अनवी बेटा तुमने बहुत अच्छी चिट्ठी लिखी थी। मैंने खुद पढ़ी है। थैंक यू सर। अनवी ने कहा मैं
नहीं सोच सकती थी कि आप मेरी चिट्ठी पढ़ेंगे। अनवी तुमने लिखा था कि तुम एक दिन के लिए आईपीएस बनना चाहती हो। अब बताओ कैसा लगा? अनवी की आंखें चमक उठी। सर बहुत अच्छा लगा। मैंने अपने गांव में कुछ काम किए हैं। लेकिन सर मैं समझ गई हूं कि एक दिन काफी नहीं है। मैं हमेशा के लिए आईपीएस बनना चाहती हूं। प्रधानमंत्री गंभीर हो गए। अनवी आईपीएस बनना आसान नहीं है। बहुत पढ़ाई करनी पड़ती है। मैं करूंगी सर। जितनी भी पढ़ाई करनी पड़े मैं करूंगी। लेकिन मैं पक्का आईपीएस बनूंगी। प्रधानमंत्री ने अनवी के सिर पर हाथ रखा। अनवी मैं तुम्हारा नाम राष्ट्रीय बाल
प्रेरणा कार्यक्रम में शामिल कर रहा हूं। इस प्रोग्राम के तहत तुम्हारी पढ़ाई से लेकर आईपीएस बनने तक का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। अनवी खुशी से उछल पड़ी। सच में सर हां बेटा। और सुनो तुमने अपने गांव में जो काम किए हैं, स्कूल में सिक्योरिटी, जन सुनवाई यह सब परमानेंट रहेगा। मैं आदेश दे रहा हूं कि पूरे देश में ऐसे कार्यक्रम शुरू किए जाएं। इस बात को सुनकर अनवी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। शाम को प्रधानमंत्री के साथ एक स्पेशल वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें पूरे देश के आईपीएस ऑफिसर्स शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा, आज मैं आप सबसे एक स्पेशल आईपीएस ऑफिसर से
मिलवा रहा हूं। अनवी शर्मा इस बच्ची ने हमें सिखाया है कि पुलिस की असली ताकत डराने में नहीं भरोसा दिलाने में है। वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल सभी आईपीएस ऑफिसर्स ने अनवी को सैल्यूट किया। यह नजारा देखकर अनवी गर्व से भर गई। रात को होटल में अनवी ने अपनी डायरी में लिखा। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन था। प्रधानमंत्री जी ने मेरी बात सुनी। उन्होंने वादा किया कि मेरी पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। अब मैं पक्का आईपीएस बनूंगी। लेकिन सिर्फ अपने लिए नहीं सभी के लिए। अगले दिन वापस सहवालपुर जाते समय अनवी के साथ एक सरप्राइज़ था।
प्रधानमंत्री का एक खास संदेश उसके गांव के लिए। लेकिन असली सरप्राइज तब होने वाला था, जब अनवी को पता चलेगा, कि उसकी कहानी को बॉलीवुड में फिल्म बनाने की योजना है और कई बड़े शिक्षण संस्थान उसे स्कॉलरशिप देने के लिए तैयार हैं। अनवी का जीवन अब सिर्फ एक छोटे से गांव तक सीमित नहीं रह गया था। वह देश भर की उम्मीद बन गई थी। सहवालपुर गांव लौट कर अनवी ने देखा कि उसका गांव पहले जैसा नहीं रह गया था। पूरे गांव में एक नई उमंग थी, एक नई उम्मीद थी। लड़कियां बेधड़क स्कूल आ रही थी। गरीब लोग सीना तान कर चल रहे थे और सबसे बड़ी बात
थाने में हर शनिवार जन सुनवाई हो रही थी। पिछले हफ्ते में ही जन सुनवाई में 50 से ज्यादा लोग आए थे। रामू काका जिनकी दुकान छीनी जा रही थी उनका मामला सुलझ गया था। तीन और परिवारों को अपनी जमीन वापस मिल गई थी। और सबसे अच्छी बात अब कोई भी लड़की को स्कूल आने से नहीं रोक रहा था। लेकिन अनवी के लिए यह सिर्फ शुरुआत थी। दिल्ली से वापस आने के दो दिन बाद एक और बड़ा सरप्राइज आया। मुंबई से एक फिल्म प्रोड्यूसर का फोन आया। अनवी बेटा प्रोड्यूसर साहब ने कहा, “हम तुम्हारी कहानी पर एक फिल्म बनाना चाहते हैं। छोटी आईपीएस नाम की फिल्म। यह फिल्म देश भर के
बच्चों को प्रेरणा देगी। अनवी के माता-पिता को यकीन नहीं आ रहा था। हमारी बेटी पर फिल्म मां ने चौंकते हुए कहा, “हां और इस फिल्म की कमाई का एक हिस्सा गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए इस्तेमाल होगा।” प्रोड्यूसर ने बताया अनवी ने कहा हां अगर इससे और बच्चों की मदद होगी तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। उसी हफ्ते दिल्ली के एक टॉप स्कूल से भी फोन आया। अनवी को हमारे स्कूल में मुफ्त में पढ़ने का मौका मिलेगा। सब कुछ फ्री, किताबें, यूनिफार्म, हॉस्टल, खाना। लेकिन अनवी ने मना कर दिया। मैं अपने गांव का स्कूल छोड़कर नहीं जाना चाहती। यहां के बच्चों
का क्या होगा? इस बात को सुनकर शिक्षा मंत्रालय ने एक और फैसला लिया। सहवालपुर के स्कूल को मॉडल स्कूल का दर्जा दिया गया। स्कूल में नए टीचर्स आए, कंप्यूटर लैब लगी और सबसे अच्छी बात एक स्पेशल लीडरशिप प्रोग्राम शुरू हुआ। अनवी को इस प्रोग्राम का पहला चाइल्ड लीडर बनाया गया। अब वो रोज स्कूल में छोटे बच्चों को सिखाती कि कैसे अपनी आवाज उठानी चाहिए। कैसे किसी की मदद करनी चाहिए। महीने भर बाद जब नेशनल चाइल्ड राइट्स कमीशन के चेयरमैन अनवी से मिलने आए तो उन्होंने कहा अनवी तुम्हारी वजह से पूरे देश में बाल अधिकारों पर नई जागरूकता आई है। हम
तुम्हें नेशनल चाइल्ड एंबेसडर बनाना चाहते हैं। अनवी ने पूछा इसका मतलब क्या होगा? इसका मतलब यह होगा कि तुम पूरे देश में जाकर बच्चों से मिलोगी। उन्हें बताओगी कि वे भी अपने सपने पूरे कर सकते हैं। हर महीने तुम किसी ना किसी राज्य में जाकर बच्चों से मिलोगी। अनवी की आंखें चमक उठी। हां, मैं यह करना चाहूंगी। जितने भी बच्चों की मदद हो सकती है, मैं करना चाहती हूं। इसके अलावा अनवी के कारण केंद्र सरकार ने एक नई स्कीम शुरू की। अनवी स्कीम। इस स्कीम के तहत देश भर के गांवों में चाइल्ड हेल्प डेस्क खोले गए। यहां बच्चे अपनी कोई भी समस्या लेकर आ सकते थे।
6 महीने बाद जब अनवी का 11वां जन्मदिन आया तो प्रधानमंत्री ने खुद वीडियो कॉल करके बधाई दी। अनवी बेटा हैप्पी बर्थडे। बताओ कैसी चल रही है पढ़ाई? बहुत अच्छी सर। मैं अब भी रोज 4 घंटे पढ़ती हूं। और हां सर मैंने तय किया है कि मैं 12वीं के बाद एनडीए का एग्जाम भी दूंगी। एनडीए वो क्यों? सर मुझे लगता है कि आईपीएस बनने से पहले मुझे फौज का अनुशासन भी सीखना चाहिए। फिर मैं यूपीएससी का एग्जाम दूंगी और आईपीएस बनूंगी। प्रधानमंत्री खुश हो गए। वाह अनवी तुमने तो अपना पूरा रोड मैप बना लिया है। उसी दिन शाम को अनवी ने अपनी डायरी में लिखा आज मेरा 11वां जन्मदिन है।
एक साल पहले मैं सिर्फ एक छोटी सी लड़की थी जो सपने देखती थी। आज मैं नेशनल चाइल्ड एंबेसडर हूं। मेरी कहानी पर फिल्म बन रही है। मेरे नाम से एक स्कीम चल रही है। लेकिन सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि मेरे गांव की हर लड़की अब स्कूल आती है। कोई उन्हें डराता नहीं। हर शनिवार जन सुनवाई होती है। गरीब लोगों की आवाज सुनी जाती है। यह सब सिर्फ एक चिट्ठी की वजह से हुआ है। एक छोटी सी चिट्ठी जिसमें मैंने सच्चे दिल से अपना सपना लिखा था। आज मैं वादा करती हूं कि मैं जरूर आईपीएस बनूंगी और जब बनूंगी तो देश के हर कोने में जाकर यह संदेश दूंगी कि कोई भी सपना छोटा नहीं
होता। चाहे तुम कितने भी गरीब हो, कितने भी छोटे गांव से हो। अगर तुम सच्चे दिल से कुछ चाहते हो तो पूरी दुनिया तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हो जाती है। मैं अनवी शर्मा सहवालपुर गांव की बेटी भविष्य की आईपीएस ऑफिसर आज यह वादा करती हूं कि मैं हमेशा गरीबों की आवाज बनूंगी। हमेशा बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ लूंगी और हमेशा यह दिखाती रहूंगी कि पुलिस वर्दी डराने के लिए नहीं भरोसा दिलाने के लिए होती है। डायरी बंद करके अनवी ने अपनी आईपीएस वर्दी को देखा जो अब उसकी अलमारी में सबसे कीमती चीज बनकर रखी थी। कल फिर से स्कूल जाना था। कल फिर से छोटे बच्चों
को पढ़ाना था। कल फिर से किसी की मदद करनी थी। लेकिन आज से यह सब कुछ अलग था। क्योंकि अब अनवी सिर्फ सपने देखने वाली लड़की नहीं थी। वह एक मिशन वाली लड़की थी। एक ऐसी लड़की थी जिसने दुनिया को दिखा दिया था कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। असली चीज है दिल में छुपे सपने और उन्हें पूरा करने का जुनून। दोस्तों, आपको यह कहानी कैसी लगी? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। कहानी अच्छी लगी तो हमारे चैनल को जरूर से सब्सक्राइब
News
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कि बात की जाए तो फाइनली तौर पर इनके यहां बेबी बॉय आ चुके हैं। इनकी बहुत ही खूबसूरत सी…
“मेरे प्यारे, आज शाम को वे लोग हमारे लिए क्या कर रहे हैं जिससे हमें परेशानी हो रही है। मैं खुद को दूसरी जगह नहीं देखना चाहता, मैं उन्हें हमारी खुशियाँ बर्बाद नहीं करने दूँगा। वे हमारी बनाई चीज़ों को बर्बाद नहीं करेंगे, उन्होंने बहुत कुछ किया है इसलिए मैं ऐसा नहीं होने दूँगा। प्लीज़ मुझे बताओ कि मैं क्या करूँ क्योंकि मैं अपनी माँ को नहीं देखना चाहता, मैं उनके साथ कुछ कर सकता हूँ…”/hi
“मेरे प्यार, आज शाम को वे लोग हमारे लिए क्या कर रहे हैं जिससे हमें दिक्कत हो रही है। मैं…
“एक विधुर अरबपति छुप गया ताकि वह देख सके कि उसकी प्रेमिका उसके तीन जुड़वां बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करती है… जब तक कि…”/hi
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मेरे पति तलाक चाहते थे और अपनी बहन से शादी करने के लिए सारी प्रॉपर्टी ले ली। 5 साल बाद मैंने उन्हें और उनकी बहन को अपने बच्चे को झुग्गी से बाहर ले जाते हुए पकड़ लिया।/hi
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बूढ़ी माँ ने अपने बेटे को हॉस्पिटल से लेने के लिए 10 बार फ़ोन किया लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया। डर था कि कुछ गड़बड़ है, इसलिए उसने अपने दर्दनाक घाव को नज़रअंदाज़ किया, टैक्सी से घर चली गई और/hi
बूढ़ी माँ ने अपने बेटे को हॉस्पिटल से लेने के लिए 10 बार फ़ोन किया, लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया।…
पहली क्लास में आने के बाद से, वह हर दिन स्कूल में एक खाली कागज़ लाती थी। छुट्टी के समय, वह चुपचाप तीसरी मंज़िल के हॉलवे के आखिर में जाकर, दीवार के सहारे एक कोने में बैठकर कुछ लिखती थी।/hi
पहली क्लास से ही, वह रोज़ स्कूल में एक कोरा कागज़ लाती थी। रिसेस में, वह हमेशा चुपचाप तीसरी मंज़िल…
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