विमान में, अरबपति ने अपनी पुरानी प्रेमिका को कुछ पंक्तियों की दूरी पर देखा, जो दो जुड़वाँ बच्चों के साथ बैठी थी, और बच्चे उसकी शक्ल में नज़र आ रहे थे…
अद्वैत रॉय, तीस के दशक में एक स्वनिर्मित अरबपति, शायद ही कभी सामान्य वाणिज्यिक फ्लाइट में सफ़र करता था। लेकिन आज वह अपवाद था। उसके निजी जेट में आख़िरी मिनट की तकनीकी खराबी ने उसे जमीन पर रोक दिया, और अद्वैत, जो हमेशा समय के पाबंद और व्यस्त रहता था, को मजबूरी में फ़र्स्ट क्लास का सीट स्वीकार करना पड़ा, ताकि वह मुंबई में होने वाली एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण से चूक न जाए।
अद्वैत को आरामदायक यात्रा से कोई परवाह नहीं थी—शैम्पेन, चौड़े सीट, शांत माहौल—लेकिन उसे अजनबियों के साथ सीमित जगह साझा करना पसंद नहीं था। उसने 2A सीट पर खुद को बैठाया, अपना लैपटॉप निकाला और नोट्स को अंतिम रूप दिया। ठीक जब दरवाजे बंद हो रहे थे, एक देर से आगमन ने उसकी नज़र खींची। एक महिला, हाथ में डिज़ाइनर डायपर बैग लिए, शांत लेकिन थोड़ी नर्वस दिख रही, कैबिन में प्रवेश की। उसके लंबे काले बाल और शांत, परिष्कृत अंदाज़ ने अद्वैत की यादों के सबसे गहरे कोने में कुछ जगाया।
यह संभव नहीं था…
लेकिन था।
इशिता मेहरा।
उसकी पूर्व प्रेमिका। जो पाँच साल पहले बिना कोई शब्द कहे उसकी ज़िंदगी से गायब हो गई थी।
उसकी मौजूदगी को समझने से पहले, दो छोटे बच्चे—लगभग चार साल के—उसके पीछे आए, एक हाथ पकड़कर और दूसरा एक टेडी बियर को गले लगाए हुए। वे जैसे एक-दूसरे के बिल्कुल समान थे और अजीब तरह से, दोनों अद्वैत की तरह ही दिख रहे थे।
अद्वैत का मन घबरा गया।
इशिता 2B सीट पर बैठ गई, ठीक उसके बगल में, उसकी मौजूदगी से पूरी तरह अनजान। वह बच्चों को संभालने में व्यस्त थी, जो अब 2C और 2D सीट पर चढ़ गए।
केवल जब विमान रनवे पर रवानगी के लिए बढ़ा, तब उसने ऊपर देखा और उनकी निगाहें मिलीं।
समय जैसे ठहर गया।
—“अद्वैत?” —उसने धीरे से, लगभग फुसफुसाते हुए कहा।
वह झपक गया। —“इशिता… मैं… यहाँ…?”
उसका चेहरा पीला पड़ गया। —“मैंने तुम्हें यहाँ मिलने की उम्मीद नहीं की थी।”
साफ़ था।
उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। बच्चों की ओर देखा। वही काले बाल। वही आँखें। वही गाल का गड्ढा बाईं तरफ। वही आदतें जब वे नर्वस होते थे, जैसे अद्वैत भी बचपन में करता था।
—“हमें बात करनी होगी”—उसने कहा।
इशिता ने सहमति में सिर हिलाया, पर रक्षात्मक अंदाज में।
जब विमान उड़ान में था और बच्चे कार्टून देखते हुए सो गए, अद्वैत उसके पास झुका।
—“ये मेरे हैं”—यह सवाल नहीं था।
इशिता ने लंबी साँस ली। —“हाँ।”
एक भावनाओं का तूफ़ान उसके भीतर दौड़ गया: झटका, धोखा, उलझन और, इन सब के बीच, आश्चर्य।
—“तुमने मुझे क्यों नहीं बताया?”
इशिता ने अपने होंठ कोंचते हुए कहा। —“क्योंकि तुमने अपना फैसला पहले ही ले लिया था, अद्वैत…”
इशिता ने अपने होंठ कोंचते हुए कहा। —“क्योंकि तुमने अपना फैसला पहले ही ले लिया था, अद्वैत… जब तुमने मुझे बताया कि तुम्हारे करियर की दिशा पूरी तरह से बदल रही है, और अब तुम्हारे पास किसी के लिए समय नहीं होगा, ख़ासकर ‘बच्चे और परिवार के झंझट’ के लिए। तुमने इसे वैसे ही कहा था।”
अद्वैत लगभग चिल्ला पड़ा, लेकिन ख़ुद को रोक लिया। “मैंने कहा था कि मैं अभी तैयार नहीं हूँ! यह नहीं कहा था कि मैं कभी तैयार नहीं होऊंगा! और जब मैं बात कर रहा था, तब भी तुम गर्भवती थी, इशिता? तुम्हें पता था?”
उसने अपना चेहरा फेर लिया, खिड़की के बाहर खाली आसमान को घूरते हुए। “मैंने तुम्हें बताने की कोशिश की थी। उस रात, जब तुम अपनी नई कंपनी के लिए फंडिंग मिलने का जश्न मना रहे थे, और तुम इतने खोए हुए थे कि तुमने मुझे लगभग अनदेखा कर दिया था। जब मैंने बात शुरू की, तो तुमने इसे टाल दिया और मुझे एक महंगा हार उपहार में दे दिया, यह कहते हुए कि यह हमारे ‘भविष्य’ की निशानी है… जो तुमने अपने दिमाग में पहले ही रद्द कर दिया था।”
अद्वैत को वह रात याद आ गई। उसने अपनी महत्वाकांक्षा को एक दीवार बना लिया था, और इशिता को उस दीवार के बाहर खड़ा कर दिया था। उसने एक पल के लिए भी पीछे मुड़कर नहीं देखा था।
“तुमने बिना कोई निशान छोड़े, बिना किसी संपर्क के, गायब होने का फैसला क्यों किया?” उसकी आवाज़ में दर्द था।
“तुम्हारे पास उस समय एक ही जुनून था: अद्वैत रॉय का साम्राज्य बनाना। तुम अरबपति बनने की होड़ में थे। तुम एक पिता बनने के लिए तैयार नहीं थे, और मैं उस बोझ को तुम पर डालना नहीं चाहती थी। मैं चाहती थी कि मेरे बच्चों को एक ऐसा पिता मिले जो उन्हें चाहता हो, न कि वह जो उन्हें एक बाधा मानता हो।” इशिता की आवाज़ में अब कड़वाहट थी। “मैंने सोचा कि उन्हें अकेला पालना, उन्हें उस आदमी से दूर रखना बेहतर है जो शायद उन्हें कभी गले नहीं लगाएगा।”
अद्वैत ने धीरे से अपना सिर हिलाया। “ये मेरी प्रतिकृति हैं। तुम ऐसा कैसे सोच सकती थी?” उसने अपने दोनों हाथ हिलाए, हताशा में। “मैं उन्हें आज पहली बार देख रहा हूँ, और मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है। उनकी उम्र चार साल है! मैंने उनके जीवन के पहले चार साल मिस कर दिए! जन्मदिन, पहला शब्द, पहला कदम… तुम मुझसे यह सब कैसे छीन सकती हो?”
इशिता की आँखें नम हो गईं। “तुमने मुझे पहले ही छोड़ दिया था, अद्वैत। मैं बस शारीरिक रूप से दूर हो गई। मैंने तुम्हें वो आज़ादी दी जो तुम चाहते थे। मुझे पता था कि एक बार जब तुम उन्हें देखोगे, तो तुम मेरे बच्चों से प्यार कर बैठोगे, लेकिन मुझे डर था कि तुम एक ऐसे पिता बनोगे जो हमेशा काम में व्यस्त रहता है, जो हमेशा अपनी विरासत बनाने में लगा रहता है। मैंने उन्हें एक पूरा जीवन देना चाहा।”
“मुझे बताओ उनके नाम क्या हैं,” अद्वैत ने लगभग फुसफुसाते हुए पूछा।
इशिता ने अपने बच्चों की ओर देखा, जो शांति से सो रहे थे, उनके छोटे चेहरे पर अद्वैत की झलक थी। “वह है अयान,” उसने 2C में बैठे लड़के की ओर इशारा किया, “और वह है आर्यन।”
अद्वैत ने अपनी सीट के आर्मरेस्ट को कसकर पकड़ लिया। ‘ए’ से शुरू होने वाले नाम। जैसे उसका। उसने उनकी ओर देखा। वे बच्चे, जो उसके डीएनए का हिस्सा थे, उसके अस्तित्व के सबसे गहरे हिस्से थे, और वह उन्हें सिर्फ चार साल की दूरी पर बैठे देख रहा था।
“इशिता,” उसकी आवाज़ अब सख्त हो गई थी, एक व्यवसायी की तरह जो एक जटिल विलय पर बातचीत कर रहा हो। “मैं जानता हूँ मैंने एक गलती की थी। एक भयानक गलती। लेकिन तुम मुझसे यह उम्मीद नहीं कर सकती कि मैं इसे स्वीकार कर लूँगा। मैं एक अरबपति हूँ। मैं तुम्हारा और इन बच्चों का जीवन हमेशा के लिए बदल सकता हूँ। मैं तुम्हें अब भागने नहीं दूँगा। मैं उन्हें अपना नाम दूँगा।”
इशिता हँस पड़ी, एक छोटी, कड़वी हँसी। “तुम्हारे नाम की ज़रूरत नहीं है, अद्वैत। उनके पास मेहरा है, और वह काफ़ी है। मैं तुम्हें ये बच्चे नहीं बेच रही हूँ। मैं सिर्फ़ इन्हें पाल रही हूँ।”
उनके बीच की दूरी एक छोटे से कॉकटेल नैपकिन से भी कम थी, लेकिन उनकी दुनिया अब पाँच साल के मौन, धोखे, और दो छोटे, मासूम बच्चों की उपस्थिति से अलग हो चुकी थी।
“तो फिर तुम अभी कहाँ जा रही हो?” अद्वैत ने पूछा। “मुंबई? क्या तुम वहाँ रहती हो?”
“नहीं,” इशिता ने कहा, उसकी आवाज़ दृढ़ थी। “मैं एक कला गैलरी की प्रदर्शनी के लिए जा रही हूँ। मैं अब एक क्यूरेटर हूँ। और मैं अपने बच्चों को अपने माता-पिता के पास ले जा रही हूँ, क्योंकि मेरी नैनी छुट्टी पर है।”
अद्वैत ने अपनी आँखें बंद कर लीं और लंबी साँस ली। वह अब एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देने वाला अरबपति नहीं था; वह बस एक सदमे में पड़ा हुआ आदमी था, जिसने अभी-अभी अपने दो बेटों को खोजा था।
“हम मुंबई में उतरने के बाद बात करेंगे,” अद्वैत ने कहा, उसकी आवाज़ अंतिम थी। “और यह कोई अनुरोध नहीं है, इशिता। यह एक पिता का दावा है।”
इशिता ने पलटकर जवाब नहीं दिया, बस अपना ध्यान बच्चों की ओर मोड़ दिया, जैसे कि अद्वैत वहाँ मौजूद ही नहीं था।
अद्वैत रॉय को पता था कि उसका सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण सौदा अभी शुरू हुआ था—और इसमें करोड़ों नहीं, बल्कि उसके बच्चों का भविष्य दाँव पर लगा था।
मुंबई हवाई अड्डे पर (At Mumbai Airport)
जैसे ही विमान मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, अद्वैत का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। अयान और आर्यन जाग चुके थे और खिड़की से बाहर चमकती रोशनी को उत्सुकता से देख रहे थे।
“वाह, बाबा! बहुत सारी लाइट्स!” आर्यन ने उत्साहित होकर कहा। इशिता ने तुरंत उसे ठीक किया, “आर्यन, यह ‘चाचा’ हैं, बाबा नहीं। ये अद्वैत हैं।”
बच्चों के निर्दोष ‘बाबा’ कहने पर अद्वैत के चेहरे पर एक दर्दनाक मुस्कान आ गई, लेकिन उसने तुरंत ही अपनी भावनाओं को छिपा लिया। उसने इशिता की ओर देखा। “मुझे उनसे बात करनी है। अभी।”
“यहां नहीं, अद्वैत। ये बच्चे थके हुए हैं। मैं कैब से अपने माता-पिता के घर जा रही हूँ,” इशिता ने कहा, जल्दी से अपने डायपर बैग और बच्चों की छोटी ट्रॉली को समेटते हुए।
अद्वैत को गुस्सा आ गया। “तुम मेरे सामने से फिर नहीं जा सकती। मैं तुम्हें अपनी नज़रों से दूर नहीं जाने दूँगा। तुम कहां जा रही हो? मुझे बताओ।”
इशिता ने उसकी आँखों में देखा, उसने अपनी सीट बेल्ट खोली। “ठीक है। हम बात करेंगे। लेकिन मेरे माता-पिता के घर पर। मैं कहीं और इस तनावपूर्ण बातचीत को नहीं कर सकती। पता है: जुहू में ‘समीक्षा अपार्टमेंट्स’।”
अद्वैत ने अपनी निजी सुरक्षा टीम के प्रमुख को एक त्वरित टेक्स्ट मैसेज भेजा: “इशिता मेहरा और दो बच्चों को ट्रैक करो। जुहू, समीक्षा अपार्टमेंट्स। फ़ौरन।”
जैसे ही वे विमान से उतरे, इशिता को यह देखकर हैरानी हुई कि उन्हें एक निजी द्वार की ओर निर्देशित किया गया। अद्वैत ने धीरे से कहा, “तुमने सोचा था कि मैं तुम्हें टैक्सी लेने दूँगा? मेरा इंतज़ाम हो चुका है।”
एक मर्सिडीज मेबैक एस-क्लास कार उनका इंतजार कर रही थी। अद्वैत ने बच्चों को सुरक्षा से कार में बिठाया।
आर्यन ने अद्वैत के चेहरे पर छूकर पूछा, “चाचा, क्या आप बहुत अमीर हैं?” अद्वैत मुस्कुराया, “हाँ बेटा, मैं बहुत अमीर हूँ।” अयान ने पूछा, “क्या आपके पास बहुत सारी चॉकलेट है?” अद्वैत: “मेरे पास पूरी दुनिया की चॉकलेट है, जो तुम चाहो।”
इशिता चुपचाप कार में बैठी रही, उसके दिल में डर और गुस्सा दोनों था। अद्वैत ने एक पल में नियंत्रण वापस ले लिया था। जब वे जुहू पहुँचे, तो अद्वैत ने इशिता के माता-पिता के दरवाजे पर घंटी बजाई।
इशिता के माता-पिता अद्वैत को देखकर हैरान रह गए—वह आदमी जो सालों पहले इशिता को छोड़कर चला गया था।
“नमस्ते अंकल, आंटी। मैं अद्वैत रॉय हूँ,” उसने कहा, उसके चेहरे पर अब एक कठोर दृढ़ता थी। “मुझे अपनी पत्नी और बेटों से बात करनी है। यह बातचीत अंदर होगी।”
इशिता के पिता, एक शांत, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, ने दरवाज़ा खोला। “इशिता, यह क्या है?”
“बाबा, अंदर आकर बात करते हैं,” इशिता ने थके हुए स्वर में कहा।
लिविंग रूम में, बच्चों के खेलने के बाद, अद्वैत ने मेज पर एक दस्तावेज़ रखा। “यह मेरे वकील ने मुंबई आने से पहले तैयार किया था। एक अस्थायी समझौता पत्र।”
इशिता ने भौंहें चढ़ाईं। “क्या?” “तुम मेरी बेटों को मेरे जीवन से बाहर नहीं रख सकती। मैंने तुम्हें धोखा दिया हो सकता है, लेकिन इन बच्चों को नहीं।” अद्वैत ने कहा। “मैं तुम्हें कोई संघर्ष नहीं करने दूँगा। यह मेरी संपत्ति में 100 करोड़ रुपये का एक ट्रस्ट फंड है, जो सीधे अयान और आर्यन के नाम पर है। मैं उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, और भविष्य की सभी ज़िम्मेदारियाँ लेता हूँ। मैं मुंबई में एक पेंटहाउस खरीद रहा हूँ, जो तुम्हारे नाम पर होगा, ताकि वे आराम से रह सकें। बदले में, मैं उनसे हर दूसरे सप्ताहांत मिलूंगा, और उनके जीवन में एक नियमित, सक्रिय पिता के रूप में शामिल रहूँगा। यह एक समझौता है, इशिता, न कि दान।”
इशिता को विश्वास नहीं हुआ कि वह कितनी आसानी से और प्रभावी ढंग से काम कर रहा था। “तुम पैसे से सब कुछ नहीं खरीद सकते, अद्वैत। तुम मेरा प्यार नहीं खरीद सकते, और तुम मेरे बच्चों का समय नहीं खरीद सकते।”
“मैं यह नहीं खरीद रहा हूँ,” अद्वैत ने धीरे से कहा। “मैं पात्रता कमा रहा हूँ। तुम आज रात इस पर विचार करो। कल सुबह मेरा वकील तुम्हें बुलाएगा।”
अद्वैत ने जाने के लिए कदम बढ़ाया। दरवाज़े पर, उसने पीछे मुड़कर इशिता से कहा, “मैंने अपना उद्घाटन भाषण मिस कर दिया। लेकिन मुझे उससे ज़्यादा ज़रूरी कुछ मिल गया। और मैं इसे जाने नहीं दूँगा।”
💼 अद्वैत के जीवन में बदलाव (The Shift in Advait’s Life)
अगले कुछ हफ़्तों में, दुनिया ने देखा कि अरबपति अद्वैत रॉय के काम करने का तरीका नाटकीय रूप से बदल गया।
प्राथमिकताओं का बदलाव: अद्वैत ने अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दौरों को कम कर दिया। उसने अपने सीईओ को स्पष्ट निर्देश दिया: “अब कोई भी मीटिंग शाम 5 बजे के बाद नहीं होगी।” वह हर मंगलवार की शाम को अयान और आर्यन को जुहू के पार्क में ले जाता था, जहाँ वह अन्य पिताओं के साथ चाय पीता था, जो उसकी दुनिया से बहुत दूर थे।
नया निवेश: अद्वैत ने अचानक शिक्षा और बच्चों की देखभाल प्रौद्योगिकी में भारी निवेश करना शुरू कर दिया। उसकी कंपनी का नया मिशन स्टेटमेंट अब “विश्व को जोड़ना” के बजाय “भविष्य को पोषित करना” जैसा लगने लगा था।
निजी घर: अद्वैत ने इशिता और बच्चों के लिए जुहू में एक शानदार सी-फेसिंग पेंटहाउस खरीदा, और इशिता ने अनिच्छा से इसे स्वीकार कर लिया। उसने अपने लिए भी उसी बिल्डिंग में एक अपार्टमेंट किराए पर लिया, ताकि वह नज़दीक रह सके।
रिश्ते की मरम्मत: इशिता ने अद्वैत के समझौते को स्वीकार कर लिया था, लेकिन उसने अपने दिल के दरवाजे अभी भी बंद रखे थे। वह देखती थी कि अद्वैत कितनी मेहनत कर रहा था—डिनर बनाना सीख रहा था, बच्चों के लिए बेडटाइम स्टोरीज़ पढ़ रहा था, और धैर्यपूर्वक उनके अंतहीन सवालों का जवाब दे रहा था। वह पहली बार देख रही थी कि उसका महत्वाकांक्षी, कठोर पूर्व प्रेमी एक कोमल, समर्पित पिता बन रहा है।
एक शनिवार की शाम, जब बच्चे अद्वैत के साथ अपने नए अपार्टमेंट में सो रहे थे, इशिता उनसे मिलने आई। अद्वैत उन्हें देखकर चौंक गया।
“तुम यहाँ क्यों हो?” उसने पूछा। “मैंने सोचा कि मैं जाँच लूँ कि सब ठीक है,” उसने कहा। फिर उसने धीरे से कहा, “तुम अपनी कंपनी में बहुत व्यस्त रहते थे। तुमने कभी किसी के लिए इतनी मेहनत नहीं की।” अद्वैत ने एक लंबी साँस ली। “तुम सही हो। मैंने जीवन में एक ही चीज़ का पीछा किया—पैसे का। और अब मुझे एहसास हुआ कि मैं उस चीज़ को लगभग खो चुका था जो वास्तव में अमूल्य थी। इन बच्चों ने मुझे एक आदमी बना दिया है, इशिता। मैं अब सिर्फ़ एक अरबपति नहीं हूँ।”
उस रात, इशिता को एहसास हुआ कि उनके बीच का पुराना अविश्वास धीरे-धीरे दूर हो रहा था, और एक नया, अधिक जटिल बंधन बन रहा था, जिसकी नींव दो प्यारे जुड़वां बच्चों ने रखी थी। उनका सफर अभी खत्म नहीं हुआ था, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत थी।
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