“अरे ओ बुज़ुर्ग! रास्ते से हटो! देख नहीं रहे, कितनी भीड़ है?”
तीखी और घमंडी आवाज़ ने पहले से ही तनाव भरे माहौल को और चीर दिया।
यह रायन टावर, मुंबई के बीचोंबीच, की सुबह की भीड़भाड़ थी — ऑफिस टाइम, कॉफी के कप, और अधीर लोग।

“तुम्हें शर्म नहीं आती?”
एक और आवाज़, साफ़ और दृढ़, भीड़ में गूँज उठी।
“तुमने एक बुज़ुर्ग को धक्का दिया है! अगर कोई यहाँ से बाहर जाएगा, तो वो तुम होगी।”

सभी चौंक गए।
वह आवाज़ आन्या मेहरा की थी — एक युवा उम्मीदवार, जो इंटरव्यू के लिए आई थी।
सामने खड़ी महिला — काव्या सिंह, रायन एंटरप्राइज़ेज़ की प्रसिद्ध सीनियर मैनेजर — मुड़ी और तड़पकर बोली,
“तुम जानती भी हो मैं कौन हूँ? मैं सीधे आरव रायन, कंपनी के सीईओ, से जुड़ी हूँ! मुझसे ऐसे बात करने की हिम्मत कैसे हुई? अभी माफ़ी मांगो!”

आन्या ने शांत स्वर में कहा,
“मैं बस इतना कह रही हूँ कि एक बुज़ुर्ग को इज़्ज़त मिलनी चाहिए।”

काव्या की आंखें सिकुड़ गईं।
पीछे से किसी ने फुसफुसाया —
“वो खत्म हो गई। जिसने काव्या सिंह का अपमान किया, उसका करियर गया।”

पर आन्या ने किसी की परवाह नहीं की।
वह झुकी और बूढ़े व्यक्ति से बोली,
“बाबा, आप ठीक हैं?”

बूढ़े ने कमजोर मुस्कान दी।
“ठीक हूँ, बेटी। और तुम्हारी हिम्मत देखकर अच्छा लगा। तुम्हारा नाम क्या है?”

“आन्या मेहरा।”

“क्या तुम यहाँ काम करती हो?”

“नहीं, सर। आज मेरा इंटरव्यू है।”

बूढ़े ने गर्मजोशी से कहा,
“तो मेरी दुआ है, तुम ज़रूर सफल होगी।”

उसकी बातों से आन्या के चेहरे पर अनजानी चमक आ गई।

लिफ्ट का दरवाज़ा खुला और सब बाहर निकले।
आन्या रिसेप्शन पर पहुँची।

“मिस आन्या मेहरा?”
“जी।”
“आपकी इंटरव्यू का समय हो गया है।”


उसी समय, दिल्ली के एक काँच के पेंटहाउस में,
आरव रायनरायन एंटरप्राइज़ेज़ का सीईओ, फ़ोन पर झल्ला रहा था।

“मिस्टर कपूर! दादा जी को लेने के लिए कोई एयरपोर्ट क्यों नहीं पहुँचा? उन्होंने मुंबई एयरपोर्ट पर उतरने की बात की थी। क्या आपने पुराना घर देखा?”

दूसरी तरफ़ से एक बुज़ुर्ग, गुस्से में बोले,
“अरे, तुम्हें पूछने की हिम्मत कैसे हुई! एक साल हो गया है, आरव! पूरा साल! तुमने कहा था मुझे अपनी पत्नी से मिलवाओगे। कहाँ है वो?”

आरव ने माथा मलते हुए कहा,
“दादाजी, मैंने आपको शादी का सर्टिफिकेट दिखाया था।”

“सर्टिफिकेट का कवर दिखाया था! मुझे असली बहू चाहिए, कागज़ नहीं! अगर नहीं दिखाया तो यहीं मर जाऊँगा!”

आरव ने हार मान ली।
“ठीक है, एक महीने में दिखा दूँगा। बस आप तब तक आराम करें।”

दादा जी धीरे बोले,
“और हाँ, आज एक लड़की आई थी इंटरव्यू के लिए — आन्या मेहरा। उसे नौकरी दे दो।”

आरव ने भौंहें उठाईं।
“दादाजी, हमारी कंपनी में मेरिट के आधार पर भर्ती होती है।”

“अगर वो इंटरव्यू तक पहुँची है, तो उसका हक बनता है। वो दयालु है, समझदार है… और मुझे पसंद आई।”

आरव ने थककर कहा,
“ठीक है। उसे रख लो। अब खुश?”


मुंबई में, आन्या ने इंटरव्यू हॉल में प्रवेश किया।
टेबल के सामने बैठी थी — काव्या सिंह
उसकी मुस्कराहट में ज़हर था।
“वाह, कैसी संयोग है, न?”

आन्या का दिल बैठ गया।
“बाहर जाओ,” काव्या ने आदेश दिया।

“पर आपने मेरा रिज़्यूमे देखा भी नहीं—”

“ज़रूरत नहीं। तुम्हारे जैसे लोग यहाँ के लायक नहीं।”

उसी समय दरवाज़ा खुला।
आरव रायन अंदर आया — गम्भीर, आत्मविश्वासी, और शांत, पर उसकी उपस्थिति ने कमरा ठंडा कर दिया।

आन्या ने हिम्मत जुटाई और बोली,
“मुझे इसलिए रिजेक्ट किया जा रहा है क्योंकि मैंने इस महिला का विरोध किया था?”

काव्या हँसी,
“और अगर हाँ तो? तुमने एक बुज़ुर्ग को अपमानित किया था।”

“अगर दोबारा मौका मिला, तो फिर वही करूँगी,” आन्या बोली, “क्योंकि इंसानियत इंटरव्यू से बड़ी है।”

कमरे में सन्नाटा छा गया।
आरव ने धीरे से पूछा,
“कौन है आन्या मेहरा?”

“मैं,” उसने कहा।

आरव ने उसकी फ़ाइल उठाई।
“डिज़ाइनर हो? हमारे डिजाइन डिपार्टमेंट में ज़रूरत है?”

“नहीं, सर,” एक मैनेजर बोला।

“ठीक है, इसे सेक्रेटरिएट में असिस्टेंट रख लो। मिस्टर कपूर, देखो इसकी जॉइनिंग।”

“जी, सर।”

काव्या का चेहरा लाल हो गया।
“वो लड़की अब मेरी दुश्मन है…”


थोड़ी देर बाद, ऑफिस में।
एक आदमी, राहुल पटेल, मार्केटिंग हेड, उसके पास आया।
“तो तुम ही नई खूबसूरत लड़की हो, हाँ?”
वह उसकी बांह पकड़ने बढ़ा।

आन्या ने उसे थप्पड़ जड़ दिया।
“ये क्या बेहूदगी है?”

राहुल चीखा,
“मुझे मारा तुमने?”

“तुमने मुझे छुआ। थप्पड़ तो रहम था,” आन्या बोली।

तभी काव्या बाहर चिल्लाई,
“मिस्टर रायन! देखिए क्या हो रहा है!”

आरव बाहर आए, गम्भीर चेहरे से।
“क्या चल रहा है?”

आन्या बोली,
“उसने मुझे छुआ! मुझे परेशान किया!”

राहुल तुरंत झूठ बोला,
“सर! वो मुझसे फ्लर्ट कर रही थी! मुझे इस्तेमाल कर रही थी! इसे निकाल दीजिए!”

आन्या ने काँपती आवाज़ में कहा,
“आपने ही मुझे रखा था!”

आरव कुछ पल चुप रहे — फिर ठंडी आवाज़ में बोले,
“बाहर निकलो।”

राहुल ने मुस्कराकर सोचा कि वो जीत गया।

पर आरव आगे बोले,
“मैं तुमसे कह रहा हूँ, राहुल। बाहर निकलो।”

आन्या ने हैरानी से देखा।
आरव की आंखों में कुछ था — पहचान की एक चमक… या शायद, दादाजी की बात याद।

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