कहते हैं ना जिंदगी जब हिसाब मांगती है तो वह वक्त नहीं देखती हालात नहीं देखती वह बस सामने खड़ा कर देती है तुम्हारे बीते कल को उसी जगह उसी पल जहां से तुमने कभी मुंह मोड़ लिया था रवि उस दिन सुबह देर तक चुपचाप बैठा रहा बच्चे बार-बार कह रहे थे पापा आज तो संडे है ना आपने कहा था मजदूर दिखाओगे रवि ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया हां बेटा चलो आज तुम्हें जिंदगी की सबसे बड़ी किताब पढ़ाने ले चलता हूं। उसने कार की चाबी उठाई, बच्चों को तैयार किया और जैसे ही गाड़ी निकाली, सड़क पर बिखरे सूरज की तीखी किरणों ने उसका मन कहीं और पहुंचा

दिया। वो जानबूझकर लेट निकला था। वो चाहता था कि बच्चे धूप में झुलसते पसीने में तर-बतर उन हाथों को देख सके। जिन्होंने कभी उसके लिए भी एक वक्त मिट्टी उठाई थी। गाड़ी की खिड़की से बाहर झांकते बच्चे जिनके हाथों में हमेशा किताबें और खिलौने रहे थे। आज कुछ नया देखने जा रहे थे। जैसे ही वह शहर के उस कोने में पहुंचा जहां उसका नया शॉपिंग मॉल बन रहा था। गाड़ी एक किनारे रुकी। रवि ने बच्चों से कहा उतरो बेटा। आज तुम्हें असली हीरो से मिलवाने का वक्त आ गया है। बच्चों ने पूछा पापा हीरो कौन? रवि ने इशारा किया। वो देखो। वो जो सिर पर ईंटें उठाकर बिल्डिंग बना रहे हैं।

वो जो धूप में नंगे पांव काम कर रहे हैं। वो जिनके कपड़े धूल से सने हैं, वह है जिंदगी के असली हीरो मजदूर। बच्चों की आंखें हैरानी से खुली की खुली रह गई। उन्होंने धीमे से कहा, ओहो, तो इन्हें ही मजदूर कहते हैं। स्कूल में तो इन्हें वर्कर कहते हैं। रवि के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गई। पर दिल में एक टीस थी। शायद मैंने इन्हें बहुत नर्म जिंदगी दी है। इतनी कि यह जिंदगी की असलियत से अनजान है। वो बच्चों को लेकर साइड के अंदर गया। चारों तरफ हथौड़ों की आवाजें थी। सीमेंट, रेत और पसीने की बूंदे, हर चेहरा मेहनत की कहानी सुना रहा था। तभी रवि की नजर एक

महिला मजदूर पर जा टिकी। सिर पर ईंटों की टकरियां, पांव में टूटी चप्पल, चेहरा धूप में झुलसा हुआ। लेकिन उसकी चाल, उसका अंदाज, उसकी आंखें, दिल ने एक झटका खाया। रवि की सासे थम सी गई। वो कुछ पल वहीं खड़ा रह गया और फिर बुदबुदाया। यह यह तो कोमल है। सालों पहले जिसे उसने अपनी जिंदगी का सबसे प्यारा सपना समझा था। जिसने उसे सिर्फ इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि वह गरीब था। जो कहती थी मैं उस मिट्टी की जिंदगी में नहीं रह सकती। आज वही कोमल उसके ही मॉल की बिल्डिंग में मजदूरी कर रही थी। रवि ने बच्चों से कहा, बेटा तुम कार में जाकर बैठो। पापा अभी आते

हैं। बच्चे चले गए। रवि की आंखें अब सिर्फ उस एक चेहरे पर टिक गई थी। जिसने कभी उसका दिल तोड़ा था। वो धीरे-धीरे कोमल की ओर बढ़ा। और कोमल उसने रवि को देख लिया था। पहले तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। और फिर जैसे अपनी गलती अपना बीता अतीत उसकी आंखों से झांकने लगा। उसने तुरंत अपना मुंह फेर लिया और पीट कर खड़ी हो गई। लेकिन अब देर हो चुकी थी। रवि उसके पास पहुंचा। धीरे से बोला कोमल तुम कोमल कांप उठी। टोकरी नीचे रख दी और कुछ पल बाद अपने आंसुओं को रोकते हुए बस यही कह पाई। रवि मुझे माफ कर दो। कुछ सच ऐसे होते हैं जिन्हें ना तो वक्त मिटा सकता है और ना ही

अफसोस बदल सकता है। कोमल उस वक्त जैसे पत्थर बन गई थी। उसकी आंखों में डर था, पछतावा था और इतना तेज दर्द कि शायद रवि भी समझ नहीं पा रहा था कि वह जो सामने खड़ी है। क्या वही है जिसने उसे कभी गरीब कहकर छोड़ दिया था? रवि मुझे माफ कर दो। उसकी आवाज कांप रही थी। टूटे हुए शब्द जैसे आत्मा की दरारों से निकल रहे थे। रवि चुप रहा उसने कुछ नहीं कहा। बस देखा उसे देखते रहा और फिर धीमे से पूछा बस माफी और कुछ नहीं कहोगी। कोमल की आंखों से अब आंसू बहने लगे थे। उसने कांपते हाथों से अपने चेहरे से धूल पोछी और बोली तुम जानना चाहते हो ना मैं यहां मजदूरी क्यों कर रही

हूं? तो सुनो रवि क्योंकि मैंने उस दिन जो बोया था वही आज काट रही हूं। रवि की सांसे थमी हुई थी। कोमल की आंखें नीची थी और अब उसका दिल बोल रहा था। जिस दिन मैंने तुम्हारे घर लौटने से इंकार किया था। उस दिन सिर्फ एक रिश्ता नहीं टूटा था। बल्कि मेरे जीवन की दिशा ही भटक गई थी। मुझे लगा था कि मैं पढ़ी लिखी हूं। मेरे लिए शहर में एक अच्छा जीवन मिलेगा और तुम्हारे उस मिट्टी के आंगन में मेरा क्या काम? मैंने अपने मन से शादी कर ली रवि उसी लड़के से जो कॉलेज में मेरा क्लासमेट था जिसे मैं स्मार्ट समझती थी और जो मुझसे बड़े-बड़े सपने दिखाया करता था लेकिन जिस दिन विदाई

हुई उसी दिन पापा ने कह दिया अब हमारे लिए तू मर चुकी है कभी लौट कर मत आना और मैं सच में अनाथ हो गई शादी के शुरुआती दिन तो अच्छे थे लेकिन फिर धीरे-धीरे वह लड़का बदलने लगा शराब पीता था। गुस्से में हाथ उठाता था और घर के सारे खर्च मुझ पर डाल देता था। मैं पढ़ी थी हिम्मत की। जॉब ढूंढने निकली लेकिन जहां भी जाती लोग मेरी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते थे। हर जगह हर कोना जैसे एक जाल बन गया था। फिर 2 साल पहले बेटा हुआ। और मैं उस बच्चे के लिए जिंदा रहने लगी। कोई सहारा नहीं था। कोई भरोसा नहीं। तो एक दिन आंसू पोंछ कर मैंने ईंट ढोना शुरू कर दिया। हां रवि मैं वही

कोमल हूं जिसने कभी तुम्हें ठुकरा दिया था और आज उसी की बिल्डिंग में मजदूरी कर रही हूं। वो जमीन पर बैठ गई। सिर झुका कर उसने कहा मैं जानती हूं। अब कुछ कहने का हक नहीं। लेकिन एक बार आंखों में देखकर सिर्फ इतना कह दो कि तुम मुझे माफ कर चुके हो। रवि अब भी खड़ा था। खामोश, शांत। लेकिन उसकी आंखों में कोई क्रोध नहीं था। सिर्फ एक गहरा अफसोस था कि जो रिश्ता कभी फूलों सा खिला था वो वक्त की धूप में सूख गया। उसने धीरे से कोमल के कंधे पर हाथ रखा और कहा जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन कम से कम तुम अब अपने बच्चे के लिए

मजबूत बनी रहो। मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकता। क्योंकि अब वह समय चला गया। लेकिन तुम्हारा साहस तुम्हारी आंखों में बहते आंसू यही बताते हैं कि तुमने अपनी गलती मान ली है। कोमल सर झुकाए चुप बैठी रही और रवि पलट गया। उसकी चाल धीमी थी। लेकिन उसके चेहरे पर एक अलग सुकून था। क्योंकि उसे किसी से कोई जवाब नहीं चाहिए था। बस अपने अंदर की एक उलझन का हल चाहिए था। जो अब उसे मिल चुका था। कभी-कभी इंसान को जवाब की जरूरत नहीं होती। बसवक्त हालात और कुछ आंसू सब कुछ कह जाते हैं। बिना एक शब्द बोले रवि की गाड़ी जब बिल्डिंग साइड से वापस घर की ओर बढ़ी तो उसकी आंखें आगे

देख रही थी। पर दिल कहीं पीछे छूट गया था। बच्चे चहक रहे थे। उन्हें मजदूरों के बारे में जानकर अजीब सा एहसास हुआ था। लेकिन रवि चुप था। स्टीयरिंग पर उसकी उंगलियां थरथरा रही थी। चेहरे पर भाव नहीं थे। बस एक गहराई थी। जैसे किसी भूले हुए अध्याय को फिर से पढ़ लिया गया हो। घर पहुंचते ही रवि ने बच्चों को मां के पास भेज दिया और खुद सीधा गया उस कमरे में जहां उसके पिता बैठे अखबार पढ़ रहे थे। उन्होंने बेटे की आंखें देखते ही पूछ लिया। क्या हुआ बेटा? सब ठीक तो है? रवि ने कुछ पल उनकी आंखों में देखा। फिर धीरे से वही जमीन पर बैठ

गया और बुदबुदाया। वो वही थी पिताजी। पिता चौके कौन? कोमल। रवि की आवाज जैसे अटक रही थी। वो हमारी ही बिल्डिंग में मजदूरी कर रही थी। कुछ देर कमरे में सन्नाटा छा गया। फिर पिता ने धीरे से चश्मा उतारा और बोले तो मिल लिया उससे। रवि ने सिर हिलाया। हां। और उसने सब कुछ बता दिया। कैसे शादी की? कैसे टूट गई? कैसे बच्चे के लिए अब मजदूरी कर रही है? पिता की आंखें नम हो गई। तो अब क्या करोगे बेटा? रवि ने गहरी सांस ली। कुछ नहीं पिताजी। अब मैं सिर्फ आगे बढ़ना चाहता हूं। अब ना बदला लेना है ना दिखावा करना है। बस अपना सच जीना है। उसी समय रवि की पत्नी अंजलि कमरे में आई।

उसने रवि का चेहरा देखा। कुछ समझ गई। धीरे से पास आकर बोली क्या बात है रवि रवि ने उसे देखा और बहुत दिनों बाद उसकी आंखों में एक भरोसे की गर्मी महसूस हुई उसने कहा तुम्हें याद है अंजलि मैंने कभी कहा था कि एक रिश्ता मेरे अंदर हमेशा चुभता रहेगा हां अंजलि ने सिर हिलाया आज वो चुभन भी खत्म हो गई रवि ने अपनी पत्नी और पिता को सब कुछ बता दिया और जैसे ही उसने अपनी कहानी खत्म की अंजलि की आंखों में भी आंसू थे। लेकिन वो आंसू जलन के नहीं थे। डर के नहीं थे। बल्कि उस औरत के लिए थे जिसने गलतियां की। लेकिन उन्हें माना भी। अंजलि ने रवि का हाथ पकड़ा और बोली जो औरत खुद

अपनी गलती को कबूल कर रही है और अकेले अपने बच्चे के लिए लड़ रही है। उसके लिए अगर हम कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम इज्जत से याद तो कर सकते हैं। रवि मुस्कुराया। उसने देखा उसका आज उसके कल से कहीं बेहतर था। उसने सब कुछ खोकर पाया था। एक नई सोच, एक नया परिवार, एक सच्चा जीवन। रात को जब सभी लोग साथ खाना खा रहे थे तो रवि ने बच्चों से कहा, बेटा आज तुमने जो देखा वो सिर्फ मजदूरी नहीं थी। वो जिंदगी की असली तस्वीर थी। पैसे से सब कुछ मिल सकता है। लेकिन इज्जत, रिश्ते और आत्मसम्मान यह सिर्फ कर्म से मिलते हैं। बच्चे उसकी बातें ध्यान से सुन रहे थे।

अंजलि ने मुस्कुरा कर खाना परोसा और पिताजी ने आंखें बंद कर बस एक बात कही। अब लगता है मेरा बेटा वाकई में बड़ा आदमी बन गया है। दोस्तों कुछ मुलाकातें भले ही छोटी होती है लेकिन उनका असर उम्र भर रहता है। उधर रवि की वह एक झलक वो एक नजर कोमल के दिल में जैसे तूफान बनकर उठी थी। उस दिन की शाम जब कोमल अपने उस किराए के कमरे में लौटी तो उसका मन अंदर से टूट चुका था। सामने उसका छोटा सा बेटा बैठा था। दो रोटियों के टुकड़े और बेसन की सब्जी के साथ। वो बच्चे को देखकर मुस्कुराई। लेकिन आंसू फिर भी छलक पड़े। मां क्या हुआ? बेटे ने पूछा। कोमल ने बच्चे को सीने से लगा

लिया। कुछ नहीं बेटा। बस धूल चली गई थी आंखों में। लेकिन सच तो यह था कि आज कोमल की आंखों में रवि का चेहरा घूम रहा था। वो रवि जिसे उसने कभी मिट्टी और गरीबी समझकर ठुकरा दिया था। आज उसे देखकर लग रहा था कि असल दौलत तो आत्मसम्मान और संघर्ष में होती है जो रवि के चेहरे पर साफ झलक रही थी। उसी रात कोमल ने पहली बार खुद से सवाल किया। क्या अब मैं यूं ही घुटघुट कर जिऊंगी? क्या अब मेरी जिंदगी मजदूरी और आंसुओं के बीच ही बीतेगी? पर जवाब कहीं से नहीं आया। कमरे में अंधेरा था। लेकिन उसी अंधेरे में कोमल ने कुछ सोच लिया था। अगले दिन वह फिर मजदूरी पर गई। लेकिन इस बार

उसकी चाल में कुछ अलग था। एक ठहराव, एक फैसला। काम खत्म होने के बाद उसने वही टोकरा उठाया और सीधे रवि के दफ्तर चली गई। जहां रवि अकाउंट सेक्शन में बैठा काम देख रहा था। कोमल ने दरवाजे के पास खड़े होकर धीमे से कहा, एक बार फिर मिल सकती हूं। रवि चौका। उसने सिर उठाकर देखा। वही चेहरा लेकिन इस बार झुका हुआ नहीं था बल्कि खुद को संभालने की कोशिश करता हुआ। आओ। रवि ने कुर्सी से उठते हुए कहा। कोमल धीरे से अंदर आई और सामने बैठ गई। कुछ पल खामोशी में बीते। फिर कोमल बोली रवि मुझे कोई एहसान नहीं चाहिए ना कोई सहानुभूति बस अगर तुम मुझे एक छोटे से जॉब का मौका दे सको

कुछ ऐसा जहां मैं ईंट ढोने के बजाय अपनी पढ़ाई का उपयोग कर सकूं रवि ने गहराई से उसकी बात सुनी कोमल की आंखों में कोई बनावटी पर नहीं था बस एक मां की सच्ची आंखें थी जो अपने बच्चे के लिए कुछ करना चाहती थी कुछ देर सोचकर रवि बोला कल से मेरी बिल्डिंग साइड के ऑफिस में अकाउंट रजिस्टर संभालो। पगार ज्यादा नहीं होगी। लेकिन वहां धूप में काम नहीं करना पड़ेगा। कोमल की आंखों से आंसू ब निकले। शुक्रिया नहीं कहूंगी रवि। बस इतना कहूंगी। इस दुनिया में अगर कोई औरत अपनी गलती मानकर फिर से खड़ा होना चाहे तो उसे सिर्फ एक मौका चाहिए होता है और तुमने वह

दे दिया। रवि ने कहा, “यह मौका मैंने नहीं।” तुम्हारी मेहनत ने खुद मांगा है। उस दिन से कोमल ने मजदूरी छोड़ दी और ऑफिस में काम करने लगी। वो थोड़ी कमजोर थी लेकिन उसकी कलम तेज थी। धीरे-धीरे ऑफिस स्टाफ भी उसे सम्मान देने लगा। रवि ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कोमल ने भी आगे बढ़ना सीख लिया। दोनों के रास्ते अलग थे। लेकिन एक सम्मान, एक इज्जत, एक खामोश रिश्ता अब उनके बीच जिंदा था। जिसका नाम शायद कोई नहीं जानता था। लेकिन उसकी गरिमा, उसकी शांति उनके दिल में हमेशा के लिए बसी रह गई। कभी-कभी जिंदगी हमें वही ला खड़ा करती है। जहां हमसे ना कोई सवाल होता है ना कोई

जवाब। बस एक चुपी होती है जो सब कुछ कह जाती है। अब कोमल किसी मजदूर की तरह ईंटें नहीं उठाती थी बल्कि कंपनी के छोटे से ऑफिस में बैठकर रजिस्टर संभालती थी। कम तनख्वाह थी मगर इज्जत थी। बेटे के स्कूल की फीस घर का किराया। सब अब धीरे-धीरे चलने लगा था। रवि कभी उससे दोबारा बात नहीं करता था। पर जब भी साइड पर आता एक हल्की सी नजर पड़ जाती थी और दोनों के बीच बस एक सिर हिलाने की हल्की सी इज्जत भरी मुस्कान गुजर जाती थी। वक्त बीत रहा था। रवि के बच्चे बड़े हो रहे थे। उसकी पत्नी अंजलि अब खुद भी बिजनेस संभालने में उसकी साथी बन चुकी थी। घर में सुख था, शांति थी

और वह आत्मसंतोष जो बिना किसी को नीचा दिखाए भी पाया जा सकता है। और दूसरी ओर कोमल अब पहले जैसी नहीं थी। उसके चेहरे की चमक भले फीकी थी लेकिन आत्मा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत। वो अपने बेटे को रोज स्कूल छोड़ती और हर रात उसे यही कहकर सुलाती। बेटा किसी के पास कितना पैसा है यह मत देखना। बल्कि देखना कि उनके पास कितनी इज्जत है। एक शाम को जब रवि अपने बच्चों के साथ छत पर बैठा था। बेटे ने पूछा पापा आपने कहा था कि मजदूरी मेहनत होती है। लेकिन वो आंटी जो आपकी साइट पर काम करती है। वो अब ऑफिस में बैठती है। क्या वो मेहनत नहीं है? रवि ने बेटे के सिर पर हाथ

रखा और मुस्कुरा कर बोला। बिल्कुल बेटा। असली मेहनत वही होती है जो इंसान को झुकने नहीं देती बल्कि हालात से लड़ने का हौसला देती है। कुछ लोग गलती करते हैं लेकिन फिर पूरी जिंदगी उस गलती को सुधारने में लगा देते हैं। वह भी मेहनत है और सबसे बड़ी इज्जत भी। उस रात रवि ने चुपचाप आकाश की ओर देखा और मन ही मन कुछ बुदबुदाया। धन्यवाद कि मैंने उस औरत को माफ कर दिया क्योंकि अगर उसे नीचा दिखाता तो मैं खुद भी कहीं छोटा रह जाता। दोस्तों हर इंसान जिंदगी में गलतियां करता है लेकिन कुछ लोग उनसे भागते हैं और कुछ लोग उन गलतियों से लड़ते हुए नया रास्ता बनाते हैं। कोमल ने

अपनी गलती मानी। रवि ने उसे माफ किया और यही इंसानियत की सबसे बड़ी जीत है। अब सवाल आपसे अगर आप रवि की जगह होते तो क्या आप कोमल को माफ कर पाते? क्या आपने जिंदगी में कभी किसी को माफ किया है? जो आज भी कहीं याद बनकर आपके भीतर जिंदा है? कमेंट में जरूर लिखिए। आपके जवाब कई और लोगों को सोचने, समझने और शायद माफ करने की ताकत देंगे। अगर यह कहानी दिल को छू गई हो तो कृपया वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें ताकि हम ऐसी ही और कहानियां आपके दिल तक पहुंचा सके। मिलते हैं एक नई कहानी के साथ। तब तक के

लिए, जय हिंद।