दोपहर के करीब 3:00 बजे का समय था। जयपुर के एक बड़े और भीड़भाड़ वाले मॉल में चहल-पहल थी। ब्रांडेड शॉप्स, चमकदार लाइट्स और फूड कोर्ट से आती तली हुई चीजों की खुशबू माहौल को रंगीन बनाए हुए थी। इन्हीं रंगों के बीच एक बुजुर्ग महिला धीमे-धीमे कदमों से चलती नजर आ रही थी। उम्र करीब 68 साल, चेहरे पर झुर्रियां, आंखों में थकावट, लेकिन चाल में अब भी जिंदगी की एक धुन बाकी थी। उन्होंने एक पुरानी सूती साड़ी पहन रखी थी और हाथ में एक छोटा सा थैला था। शायद अपने बेटे के लिए कुछ खरीदने आई हो। लेकिन मॉल की तेज और चिकनी फर्श पर उनके पुराने चप्पल फिसल
गए। थप एक तेज आवाज के साथ वह महिला फूड कोर्ट के पास जमीन पर गिर पड़ी। उनके हाथ से थैला छूट गया। जिसमें एक छोटा टिफिन और एक दवाई का पत्ता निकलकर फर्श पर लुढ़क गया। पहले कुछ पल सन्नाटा था। फिर अरे गिर गई बुढ़िया किसे बुलाओ मेड को भी मॉल में आने दे रहे हैं अब वीडियो बनाना क्या स्टंट मारा है कुछ लड़के अपने फोन निकालकर वीडियो बनाने लगे कुछ लड़कियां हंसने लगी कोई पास से गुजरा और ताना कसता हुआ निकल गया बुजुर्ग महिला जमीन से उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन हाथ कांप रहे थे चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था लेकिन उससे कहीं ज्यादा तकलीफ पर
उन्हें लोगों की हंसी और नजरों से हो रही थी। फूड कोर्ट के पास खड़े दो सिक्योरिटी गार्ड भी पास आए लेकिन मदद करने नहीं। मैडम आप यहां नहीं बैठ सकती। लोग शिकायत कर रहे हैं। उठिए यहां भीड़ लग रही है। मॉल में ऐसी हरकतें नहीं चलती। महिला की आंखों से अब आंसू बहने लगे थे। शायद दर्द से नहीं बल्कि अपमान से। और तभी तेज कदमों की आवाज मौल की दूसरी तरफ से आई। एक लंबा 30 से 32 साल का नौजवान साफ सुथरा सूट चमकते जूते चेहरा तनाव से भरा हुआ तेजी से भीड़ चीरता हुआ दौड़ा मां उसकी आवाज गूंजी लोग चौके हंसी बंद हो गई फोन नीचे हो गए वो नौजवान उस बुजुर्ग महिला के पास आकर
घुटनों पर बैठ गया उसके हाथ कांप रहे थे आंखों से आंसू बह रहे थे मां आप ठीक है ना किसने गिराया आपको क्या हुआ पूरी तरह से चुप थी एक लड़की की जो अभी तक वीडियो बना रही थी। धीरे से मोबाइल नीचे कर चुकी थी। दूसरी तरफ वो सिक्योरिटी गार्ड अब एक दूसरे को देखने लगे। जैसे उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। उस युवक ने अपनी मां को सहारा दिया और धीरे से उन्हें उठाया। फिर अपनी जैकेट निकाल कर उनके कंधों पर डाली। आप लोग इंसान नहीं हो। उसने मॉल की ओर मुंह कर कहा। उसकी आवाज कांप रही थी लेकिन तेज थी। एक बुजुर्ग महिला फर्श पर गिरी पड़ी थी और
तुम लोग वीडियो बना रहे थे। भीड़ में सिर झुकने लगे थे। वह महिला अब बेटे का हाथ पकड़े खड़ी थी। उनकी आंखों में एक अलग ही तेज था जैसे उन्होंने अपनी सारी दुनिया फिर से पाली हो। मॉल का माहौल पूरी तरह बदल चुका था। जहां कुछ देर पहले लोग हंस रहे थे। वहीं अब सन्नाटा छा गया था। उस युवक की आवाज, उसकी आंखों के आंसू और उसके चेहरे की चिंता देखकर हर किसी को झटका लग चुका था। मां यह लोग कुछ बोले तो नहीं आपको? युवक ने मां के पैर छूते हुए धीरे से पूछा। बुजुर्ग महिला ने सिर हिलाया लेकिन कुछ बोली नहीं। उनकी आंखें बेटे के चेहरे पर टिकी थी जिसे वर्षों बाद वह
सुकून मिला हो। जिसे उन्होंने खो दिया था। फर्श पर अभी भी उनका टिफिन पड़ा था। युवक ने खुद झुककर वह टिफिन उठाया और बड़े ही सलीके से मां के थैले में रख दिया। वह सिक्योरिटी गार्ड अब तक खामोश खड़े थे। एक ने धीरे से कदम आगे बढ़ाया और बोला, सॉरी सर, हमें नहीं पता था। युवक ने उसकी ओर देखा। आंखों में गुस्सा और दुख का सैलाब था। नहीं पता था क्या यह इंसान नहीं लगती? अगर भिखारी भी होती तो क्या इंसानियत मर गई थी तुम सबकी? लोग अब नीचे देख रहे थे। वीडियो बनाने वाले चुपचाप अपने फोन जेब में डाल चुके थे और तभी एक आवाज पीछे से आई। सर आपकी गाड़ी आ गई है। सूट में एक और
आदमी भागता हुआ आया। उसके पीछे एक सफेद फॉर्च्यूनर मॉल के गेट पर रुकी थी। लोगों की नजरें अब युवक पर थी। कुछ फुसफुसाने लगे। यह कोई बड़ा आदमी है क्या? युवक ने मां का हाथ थामा और मॉल के दरवाजे की ओर बढ़ा। लेकिन चलते-चलते वह रुका। वह घूमा और एक गहरी सांस लेकर माइक की तरह बोलने लगा ताकि मॉल का हर कोना सुन सके। इस औरत को तुमने तुच्छ समझा गिरते हुए हंसे वीडियो बनाए। पर यह वही मां है जिसने मुझे अकेले पालपस कर बड़ा किया। मैं आज जो कुछ भी हूं इन्हीं के कारण हूं। मेरे पिताजी नहीं रहे और मां ने मजदूरी करके मेरी पढ़ाई पूरी कराई। कपड़े धोए, खाना पकाया
पर किसी से कुछ मांगा नहीं। आज मैं एक आईटी कंपनी का फाउंडर हूं। 1000 लोगों को नौकरी देने वाला। लेकिन मेरी सबसे बड़ी पहचान आज भी यही है कि मैं इनका बेटा हूं। अब पूरा मॉल स्तब्ध था। कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था। कोई अपने आंसू छुपा रहा था। कोई अपने के पर पछता रहा था। एक लड़की जो पहले हंसी थी। अब आंसू पोछते हुए धीरे से बुजुर्ग मां के पास आई और बोली, “आंटी, माफ कर दीजिए। हमें शर्म आनी चाहिए। बुजुर्ग महिला ने मुस्कुराकर उसका सिर सहलाया। बेटा इंसान गलती करता है लेकिन सीखना जरूरी होता है। युवक ने मां को सहारा देते हुए कार की तरफ बढ़ाया।
सिक्योरिटी गार्ड ने झुककर दरवाजा खोला। वही गार्ड जो कुछ मिनट पहले उन्हें बाहर करने आया था। मां धीरे से गाड़ी में बैठी और उनका बेटा उनके पास बैठ गया। गाड़ी धीरे-धीरे मॉल से निकल गई। लेकिन पीछे रह गया एक सवाल। हमारे अंदर की इंसानियत कब जागेगी? गाड़ी के जाते ही मॉल के भीतर गहरी चुप्पी थी। लोगों की आंखों में शर्म साफ झलक रही थी। कुछ कर्मचारी तो अब तक स्तब्ध खड़े थे। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस महिला को उन्होंने नजरअंदाज किया वह किसी बड़े अधिकारी की मां थी। लेकिन बात सिर्फ पहचान की नहीं थी। बात उस इंसानियत की थी जो सबके भीतर कहीं दब चुकी
थी। मोबाइल कैमरे के पीछे, हंसी की भीड़ के पीछे और उस अहंकार के पीछे जो हमें दूसरों से बेहतर समझने पर मजबूर करता है। अगले ही दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगी। उसी घटना की रिकॉर्डिंग लेकिन इस पर कैप्शन था। मां फिसली, दुनिया हंसी। लेकिन बेटे ने जो कहा उसने सबकी सोच बदल दी। लाखों व्यूज, हजारों कमेंट्स। हमारे देश को ऐसे बेटों की जरूरत है। आंखें नम हो गई। कभी किसी को उसके कपड़ों से मत आको। मॉल मैनेजमेंट पर भी दबाव बनने लगा। अगले हफ्ते मॉल के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगाया गया। हर बुजुर्ग हमारे लिए आदरणीय है। मदद करे ना कि हंसी। और कुछ ही
दिन बाद मॉल में एक छोटा कार्यक्रम रखा गया। सम्मान समारोह उस महिला को सम्मानित करने के लिए जिन्होंने अनजाने में पूरे समाज को आईना दिखा दिया। वह बुजुर्ग महिला स्टेज पर बैठी थी। वही सादगी वही मुस्कान। सामने बैठा था उनका बेटा गर्व से देखता हुआ। कार्यक्रम में मॉल के मैनेजर ने मंच से कहा। हमने गलती की लेकिन हम सीखने को तैयार हैं। आज से हमारे स्टाफ को हर सप्ताह एक एमथी वर्कशॉप दी जाएगी और हर बुजुर्ग के लिए वीआईपी सहायता टीम तैनात रहेगी। लोगों ने तालियां बजाई। लेकिन सबसे ज्यादा तालियां तब बजी जब वह बुजुर्ग महिला माइक पर आई और बोली मैं कोई बड़ी
हस्ती नहीं हूं। मैं तो एक मां हूं। पर अगर मेरा गिरना किसी की सोच उठा पाया तो शायद वह गिरना भी जरूरी था। लोग खड़े होकर तालियां बजा रहे थे। उसी भीड़ में पीछे एक लड़की खड़ी थी। वही जिसने पहले वीडियो बनाया था। उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन चेहरे पर संतोष। उस दिन के बाद मॉल का माहौल पूरी तरह बदल गया। अब अगर कोई बुजुर्ग आता तो पहले सुरक्षा गार्ड आगे बढ़कर दरवाजा खोलते। कैफे वाले पानी ऑफर करते और लोग मुस्कुरा कर सीट ऑफर करते। वह एक घटना जैसे क्रांति बन गई थी। दिखावटी दुनिया में एक सच्चे रिश्ते की झलक।
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