दिल्ली एयरपोर्ट की सुबह हमेशा की तरह भीड़भाड़ से भरी थी। बड़े-बड़े चेक इन काउंटर, चमकते फर्श पर खींचते ट्रॉली बैग, तेज आवाज में उड़ानों की घोषणाएं और हर किसी के चेहरे पर जल्दी में कहीं पहुंचने की हड़बड़ी। इसी भीड़ के बीच एक बुजुर्ग आदमी धीरे-धीरे कदम बढ़ाता हुआ आगे बढ़ रहा था। उसके पैरों में घिसी हुई चप्पलें थी। कपड़े धुले हुए लेकिन फीके पड़ चुके। एक पुरानी ऑफ वाइट कुर्ता पायजामा हाथ में एक छोटा सा कपड़े का थैला और चेहरे पर हल्की थकान उसकी चाल धीमी थी जिसे हर कदम सोच समझ कर रखा जा रहा हो गेट नंबर तीन के पास एक चमचमाता बोर्डिंग काउंटर था जहां
एक जवान एयर होस्टेस नीले यूनिफार्म में खड़ी थी बुजुर्ग ने पास जाकर हल्के स्वर में कहा बेटी बस एक गिलास पानी मिल जाता लड़की ने पहले तो उसकी तरफ देखा। फिर होठों पर हल्की हंसी आ गई। अगले ही पल वो हंसी तेज हो गई। यह कोई पानी का नल है क्या? जाओ बाहर। वहां भीख मांग लो। पास खड़े कुछ यात्री हंस पड़े। किसी ने धीरे से कहा। एयरपोर्ट पर भीख मांगने लगे हैं लोग। एक लड़का तो मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगा। बुजुर्ग के चेहरे पर एक पल को हल्की सी शर्मिंदगीगी और दर्द की लकीर खींच गई। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बस नजरें झुका ली। इतने में दो
सीआईएसएफ के जवान पास आए। एक ने हाथ से इशारा करते हुए कहा, “अरे बाबा, लाइन मत रोको। हटो साइड में।” दूसरा बोला, “पह पहले पैसे कमाओ, फिर हवाई जहाज में बैठना।” बुजुर्ग बिना कुछ बोले धीरे-धीरे पीछे हट गए। किसी ने उनके लिए कुर्सी ऑफर नहीं की। कोई पानी देने की कोशिश तक नहीं की। वह चुपचाप एक कोने में पड़े लोहे के बेंच पर बैठ गए। चारों तरफ से लोग गुजर रहे थे। कोई उन्हें देखता तक नहीं। मानो वह वहां मौजूद ही ना हो। उनकी आंखों में नमी थी। होठ और सूख चुके थे। उन्होंने पास रखे बैग को देखा। फिर भीड़ की तरफ। फिर वापस फर्श की तरफ। कुछ पल उन्होंने आंखें
बंद की और फिर स्थिर होकर बैठ गए। लाउडस्पीकर से आवाज आई। अटेंशन प्लीज। फ्लाइटें आई 827 मुंबई की ओर। अब बोर्डिंग यात्रियों में हलचल बढ़ गई। लोग अपने बैग उठाकर लाइन में लगने लगे। माहौल में यात्रा की उत्सुकता और रफ्तार थी। लेकिन उस कोने में बैठे बुजुर्ग के चारों ओर मानो वक्त ठहर गया था। किसी ने एक पल को भी नहीं सोचा कि इस व्यक्ति को क्यों पानी चाहिए था या उसकी मदद कौन करेगा। बस सभी अपनेपने सफर में व्यस्त थे। वह चुपचाप लोगों को देख रहे थे जो हंसते बोलते सेल्फी लेते अपने बोर्डिंग पास स्कैन करा रहे थे और फिर उन्होंने एक गहरी सांस ली।
यह सिर्फ प्यास की कहानी नहीं थी। यह आने वाले कुछ मिनटों में पूरी एयरपोर्ट की हवा बदल देने वाली कहानी का पहला पन्ना था। बोर्डिंग गेट पर भीड़ और बढ़ चुकी थी। एयर होस्टेस अपने स्कैनर से एक-एक यात्री का पास चेक कर रही थी। वही लड़की जिसने कुछ मिनट पहले बुजुर्ग का मजाक उड़ाया था। अब बड़े शौक से मुस्कुराते हुए अमीर यात्रियों का स्वागत कर रही थी। गेट के पास सुरक्षाकर्मी भी अपनी जगह चौकस खड़े थे। पर तभी एयरपोर्ट के मुख्य दरवाजे से एक हलचल शुरू हुई। दो पुलिसकर्मी सबसे आगे चलते हुए रास्ता बना रहे थे। उनके पीछे चारप सीनियर एयरपोर्ट अधिकारी हाथ में
फाइलें और रेडियो लिए तेजी से कदम बढ़ा रहे थे। उनके चेहरे पर एक अलग तरह की गंभीरता थी जो रोज-रोज एयरपोर्ट पर नहीं दिखती। भीड़ में खुसुरफुसुर शुरू हो गई। अरे यह तो एयरलाइन के हेड ऑफिस वाले हैं। किसी वीआईपी का आना लग रहा है। गेट नंबर तीन के पास मौजूद लोग भी चौंक कर इधर-उधर देखने लगे। अचानक उसी कोने से जहां कुछ देर पहले वह बुजुर्ग चुपचाप बैठे थे। हरकत हुई। वह धीरे-धीरे उठे अपना छोटा कपड़े का थैला कंधे पर डाला और बिना जल्दी किए पुलिसकर्मियों के साथ आगे बढ़ने लगे। पहले तो किसी को समझ नहीं आया कि यह हो क्या रहा है। कुछ यात्रियों ने आपस में कहा यह
वही आदमी है ना जो पानी मांग रहा था। हां। लेकिन यह वीआईपी प्रोसेशन में कैसे? पुलिसकर्मी उनके दोनों ओर चल रहे थे। मानो किसी बड़े शख्सियत की सुरक्षा कर रहे हो। उनके पीछे-पीछे एयरलाइन के सीनियर मैनेजर हाथ जोड़कर चलते हुए। गेट के पास खड़ी वही एयर होस्टेस जिसने उन्हें अपमानित किया था। उन्हें देखते ही सख्त हो गई। उसकी मुस्कान गायब हो गई। हाथ हल्का सा कांपने लगा। जिससे बोर्डिंग पास स्कैनर की बीप आवाज भी थोड़ी धीमी पड़ गई। बुजुर्ग का चेहरा बिल्कुल शांत था। ना गुस्सा ना घबराहट। बस एक अजीब सी गंभीरता। जैसे वह पहले से जान रहे हो कि यह पल आने वाला है।
लोग मोबाइल निकालकर रिकॉर्ड करने लगे। कैमरे की फ्लैश और वीडियो की लाल बत्तियां जलने लगी। सुरक्षा स्टाफ ने गेट तुरंत खाली कराया और बुजुर्ग को सबसे आगे ले जाया गया। वो कतार में खड़े नहीं हुए। सीधे गेट से अंदर एक यात्री जिसने पहले उन पर ताना कसा था। बुदबुदाया। यह तो कुछ बड़ा आदमी है। उसका दोस्त बोला, भाई, बड़ा आदमी तो होगा, लेकिन पहले पानी मांग रहा था याद है? अंदर की ओर जाने से पहले बुजुर्ग ने एक पल के लिए उस एयर होस्टेस की ओर देखा। वो नजर बहुत गहरी थी। ऐसी जिसमें ना चीख थी, ना बदला लेकिन फिर भी दिल तक चुभ जाने वाली चुप्पी थी। लड़की
की आंखें झुक गई। इस पूरे वक्त बुजुर्ग ने एक शब्द तक नहीं कहा था। उनका हर कदम मानो सस्पेंस को और गहरा कर रहा था। अब माहौल ऐसा था कि हर कोई सोच रहा था यह कौन है और अभी तक इस तरह कपड़े में क्यों थे? जैसे ही वह गेट पार कर अंदर बड़े कुछ अधिकारियों ने रेडियो पर संदेश भेजा। सर इज ऑन बोर्ड। रिपीट सर इज ऑन बोर्ड। भीड़ का शोर अब फुसफुसाहट में बदल चुका था। जिन्होंने उन्हें अपमानित किया था। उनके चेहरों पर पसीना साफ दिख रहा था। जिन्होंने हंसी उड़ाई थी, वह अब मोबाइल बंद करके चुप खड़े थे। बाहर से देखने वाले यात्रियों के लिए यह एक पहेली थी। लेकिन
अंदर रनवे की ओर खड़ी एयरलाइन की विशेष बिजनेस क्लास सीट उनका इंतजार कर रही थी। सस्पेंस हवा में घुल चुका था। और अगले कुछ मिनटों में जब उनका परिचय पूरे विमान में होगा तो यह चुप्पी चीख में बदल जाएगी। शर्म और हैरानी की चीख। विमान का दरवाजा खुला और हल्की सी ठंडी हवा के साथ एक अलग सी खुशबू बाहर आई। बिजनेस क्लास का माहौल। अंदर नीली मखमली सीटें, चमकती खिड़कियों से आती सुनहरी धूप और शांत व्यवस्थित सन्नाटा। बुजुर्ग ने दरवाजे के पास खड़े कैप्टन को देखा। कैप्टन ने फौरन टोपी उतार कर सलाम किया। वेलकम ए बोर्ड सर। उसके साथ खड़े सीनियर क्रू मेंबर भी झुककर आदर में
खड़े हो गए। बाहर से देखने वाले यात्रियों की आंखें चौड़ी हो चुकी थी। यह तो सच में बहुत बड़े आदमी है। लेकिन यह ऐसे कपड़ों में क्यों थे? एयर होस्टेस जिसने उनका मजाक उड़ाया था। अब विमान के अंदर खड़ी थी। उसके चेहरे पर तनाव साफ छलक रहा था। हाथ में ट्रे थी लेकिन उंगलियों में हल्का सा कंपन था। जैसे ही बुजुर्ग उसके सामने से गुजरे, वह एक पल को पीछे हट गई। सिर झुका लिया। बुजुर्ग ने उसकी तरफ बस एक नजर डाली। बिना कुछ बोले बिना कोई गुस्से का इझार किए। वह नजर किसी सज्जा से कम नहीं थी। सीनियर मैनेजर ने उनका हाथ हल्के से थामकर उन्हें सबसे आगे की उस विशेष सीट तक
पहुंचाया जिसे केवल एयरलाइन का मालिक या विशेष मेहमान ही इस्तेमाल करता था। सीट के पास पहले से ही मिनरल वाटर, ताजा जूस और गर्म तौलिया रखा हुआ था। जैसे ही वह बैठे विमान के अंदर हल्की सी फुसफुसाहट शुरू हो गई। भाई अब तो पक्का यह मालिक है। हां। वरना कैप्टन खुद सलाम करता है क्या? बुजुर्ग शांत थे। उन्होंने पानी का गिलास उठाया। एक घूंट पिया और फिर खिड़की से बाहर रनवे की तरफ देखने लगे। यह वही पानी था जो कुछ मिनट पहले उन्हें देने से मना कर दिया गया था। कुछ ही देर में कैप्टन का अनाउंसमेंट स्पीकर पर गूंजा। गुड मॉर्निंग लेडीज एंड जेंटलमैन।
बिफोर वी टेक ऑफ आई वुड लाइक टू रिक्वेस्ट योर अटेंशन फॉर अ स्पेशल अनाउंसमेंट। पूरे विमान में सन्नाटा छा गया। लोग रुक कर सुनने लगे। टुडे वी आर ऑनर्ड टू हैव ऑन बोर्ड द चेयरमैन एंड ओनर ऑफ दिस एयरलाइन। यह सुनते ही कई यात्रियों ने मोबाइल निकालकर रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। वह बुजुर्ग जो कुछ देर पहले एक साधारण यात्री की तरह यहां तक कि भिखारी समझे गए थे। अब सभी की निगाहों का केंद्र बन गए थे। उनके पास बैठी एक बुजुर्ग महिला ने धीरे से कहा। बेटा तुम तो बड़े आदमी निकले। लेकिन यह साधारण कपड़े उन्होंने हल्की मुस्कान दी। कपड़े इंसान को नहीं। इंसान कपड़ों को
सम्मान देता है और यही देखना था। अभी असली जवाब बाकी था। पूरे विमान में एक बेचैन सी खामोशी थी। हर कोई जानना चाहता था आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। कैप्टन का अनाउंसमेंट खत्म होते ही सभी की नजरें बुजुर्ग पर टिक गई। वो धीरे-धीरे उठे। अपने साधारण से कुर्ते को ठीक किया और सामने खड़े माइक के पास आए। उनकी आवाज शांत थी। लेकिन उसमें एक ऐसा वजन था कि पूरा विमान सुनने को मजबूर हो गया। दोस्तों उन्होंने शुरू किया। आज मैं यहां एक मालिक के तौर पर नहीं एक इंसान के तौर पर खड़ा हूं। वो कुछ पल रुके चारों ओर देखा। कुछ घंटों पहले मैंने यहां सिर्फ एक
गिलास पानी मांगा था। लेकिन मुझे हंसी और अपमान मिला। कहा गया जाओ बाहर भीख मांगो। उस वक्त शायद किसी को लगा होगा कि एक फटे चप्पल वाला बूढ़ा आदमी पानी मांगकर उनका वक्त बर्बाद कर रहा है। कई यात्रियों के चेहरे झुक गए। एयर होस्टेस जिसने उनका मजाक उड़ाया था। कांपते हाथों से ट्रे पकड़े खड़ी थी। लेकिन एक बात याद रखिए एक गिलास पानी की कीमत शायद शून्य हो। मगर एक इंसान की इज्जत, उसकी गरिमा वह अनमोल है। उन्होंने अपनी जेब से एक छोटा सा कार्ड निकाला और हवा में उठाया। यह मेरा पहचान पत्र है। चेयरमैन एंड ओनर स्काईव एयरलाइंस। पूरे विमान में सन्नाटा छा गया। किसी ने
खांसी भी नहीं की। सबके चेहरों पर वह सवाल था। यह आदमी ऐसे कपड़ों में क्यों था? वो मुस्कुराए। मैं आज यहां ऐसे कपड़ों में इसलिए आया ताकि देख सकूं कि मेरी एयरलाइन में यात्री को कपड़ों से परखा जाता है या इंसानियत से। उन्होंने गहरी सांस ली और आज मुझे जवाब मिल गया। वो कैप्टन की तरफ मुड़े। अभी से एक नया नियम लागू करो। इस एयरलाइन में किसी भी यात्री को चाहे वह किसी भी कपड़े में हो, किसी भी क्लास में सफर करे, उसे सम्मान से पेश आया जाएगा। एक गिलास पानी हर किसी को मुफ्त मिलेगा। चाहे वह मांगे या नहीं। कैप्टन ने सिर हिलाकर सहमति दी।
फिर उन्होंने सीनियर मैनेजर की ओर इशारा किया और जहां तक उस एयर होस्टेस का सवाल है, उसे तुरंत सस्पेंड किया जाए और ग्राहक सेवा की ट्रेनिंग के बाद ही वापस ड्यूटी पर भेजा जाए। एयर होस्टेस की आंखों में आंसू आ गए। वह समझ चुकी थी कि यह सजा सिर्फ उसके लिए नहीं बल्कि सबके लिए एक सबक है। बुजुर्ग ने माइक पर आखिरी लाइन कही। उन्होंने मुझे एक गिलास पानी से मना किया। लेकिन बदले में मैंने उन्हें एक समंदर जितनी शर्म लौटा दी। पूरा विमान तालियों से गूंज उठा। लेकिन कुछ ताली सिर्फ नियम के लिए नहीं। बल्कि उस इंसान के लिए थी जिसने साबित कर दिया कि इज्जत कपड़ों से
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