सुबह के 8:00 बजे थे हल्की ठंडक थी और सूरज की किरणें धीरे-धीरे शहर को जगाने लगी थी शहर की सड़कें हलचल से भरने लगी लोग अपने काम धंधों के लिए निकल रहे थे कहीं चाय की दुकानों पर चर्चा हो रही थी तो कहीं दफ्तरों की भीड़ लगनी शुरू हो चुकी थी शहर के बीचोबीच स्थित संजीवनी बैंक में भी धीरे-धीरे ग्राहकों की भीड़ इकट्ठा हो रही थी बैंक का माहौल रोज की तरह था कैश काउंटर पर लंबी लाइन लगी थी ग्राहक अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे और बैंक के कर्मचारी अपने काम में व्यस्त थे इसी बीच एक वृद्ध व्यक्ति बैंक के दरवाजे से अंदर आया उम्र लगभग 70 साल के आसपास

सफेद झुर्रियों वाला चेहरा हल्का सा झुका हुआ शरीर पैरों में पुरानी चप्पलें और शरीर पर एक हल्का सा मटमैला कुर्ता पायजामा बिल्कुल साधारण इंसान उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थी लेकिन आंखों में कुछ खास चमक थी जैसे कोई बड़ा राज छुपा हो उसने धीरे-धीरे चलते हुए बैंक के मैनेजर के केबिन की तरफ बढ़ना शुरू किया साहब मुझे अपने खाते से कुछ पैसे निकालने हैं बाबा लाइन में लगो मैनेजर का चपरासी झुंझला हुए बोला वृद्ध ने नजर उठाई और सौम्य आवाज में कहा बेटा मेरी तबियत ठीक नहीं है ज्यादा देर खड़े नहीं रह सकता इसलिए मैं सीधे मैनेजर साहब से मिलना

चाहता हूं चपरासी ने उसे घूर कर देखा जैसे कोई बहुत बड़ा एहसान कर रहा हो देखो बाबा यहां कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलता सबको लाइन में लगना पड़ता है अगर इतनी जल्दी है तो वीआईपी काउंटर पर जाओ वहां ज्यादा फीस लगती है लेकिन तुरंत काम हो जाएगा वृद्ध व्यक्ति ने एक लंबी सांस ली और धीमे से कहा मुझे सिर्फ अपने पैसे निकालने हैं जरूरत है बेटा इसलिए थोड़ा जल्दी करवा दो तभी बैंक मैनेजर की नजर उस वृद्ध पर पड़ी अबे कौन है यह मैनेजर ने ऊंची आवाज में पूछा कोई बूढ़ा है साहब पैसे निकालने आया है लेकिन लाइन में लगने के बजाय सीधे यहां आकर आपसे

मिलना चाहता है मैनेजर का चेहरा िड़ से भर गया बूढ़े समझ में नहीं आता बैंक के नियम होते हैं लाइन में लगो नहीं तो बैंक से बाहर निकल जाओ वृद्ध व्यक्ति एक पल को चुप रहा उसने गहरी सांस ली बेटा मैं यहां का पुराना ग्राहक हूं इस बैंक में मेरे लाखों रुपए जमा हैं बस थोड़े पैसे निकालने हैं यह सुनकर बैंक का एक कर्मचारी बुदबुदा या अरे अगर लाखों रुपए हैं तो ऐसे हाल में क्यों घूम रहा है बैंक में बैठे कुछ लोग अब उसकी तरफ देखने लगे थे किसी की आंखों में दया थी तो किसी की नजरों में तिरस्कार बूढ़े नाटक मत कर अगर इतने पैसे हैं तो

कहीं और जाकर निकालो बैंक की फालतू बर्बादी मत करो वृद्ध ने धीरे से कहा मुझे अपने ही पैसों के लिए यह जिल्लत सहनी पड़ेगी तभी पास में खड़ा एक अमीर दिखने वाला आदमी आगे आया वह चमचमाते सूट में था कलाई पर महंगी घड़ी हाथ में ब्रांडेड फोन ओ तो अब यह भिखारी टाइप लोग भी बैंक में बिना लाइन के काम करवाना चाहते हैं बैंक में गरीबों के लिए कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं है बैंक में हंसी गूंज उठी कई लोग धीरे धीरे मुस्कुराने लगे बाबा अगर पैसे निकालने ही हैं तो पहले कुछ ढंग के कपड़े पहन लिया करो अब वृद्ध व्यक्ति की आंखों में हल्का सा आंसू आ गया तुम लोग क्या समझते हो अगर

कोई व्यक्ति सादे कपड़े पहनता है तो वह गरीब है अगर कोई झुका हुआ चलता है तो वह मजबूर है क्या इंसान की कीमत उसके कपड़ों और उसकी गरीबी से आंख ही जाती है बैंक में हल्की खामोशी छा गई तभी मैनेजर ने ठा का मारते हुए कहा अरे बाबा ड्रामा बंद करो चलो भागो यहां से और फिर बैंक के गार्ड ने वृद्ध को धक्के देकर बाहर निकाल दिया वृद्ध व्यक्ति लड़खड़ा कर गिरने वाला था लेकिन उसने खुद को संभाल लिया उसके होठ कांप रहे थे लेकिन अब उसकी आंखों में दर्द की जगह गुस्सा था अब इस बैंक की हकीकत मैं तुम्हें दिखाऊंगा वृद्ध व्यक्ति ने धीरे-धीरे अपने

कुर्ते की जेब से फोन निकाला नंबर डायल किया और कहा नियाल मैं बात कर रहा हूं तुरंत बैंक पहुंचो पूरा स्टाफ लाइन में खड़ा हो जी सर बैंक के लोगों को इस कॉल से कोई फर्क नहीं पड़ा किसी ने सोचा ही नहीं कि यह बूढ़ा आदमी कौन है लेकिन अगले 10 मिनट में पूरा बैंक हिलने वाला था बूढ़े आदमी के जाने के बाद भी बैंक का माहौल वैसा ही था ग्राहक अपनी कतार में खड़े थे कर्मचारी अपने काम में लगे थे और मैनेजर अपने केबिन में बैठा अपनी फाइलें देख रहा था लेकिन किसी को यह अंदाजा भी नहीं था कि जो वृद्ध व्यक्ति अभी कुछ देर पहले बेइज्जत होकर बैंक से निकला था वह

कोई साधारण आदमी नहीं था बल्कि इस शहर का सबसे बड़ा और नामी उद्योगपति था उसका नाम विक्रम मल्होत्रा था वह वही आदमी था जिसके निवेश से यह बैंक चल रहा था और जिस बैंक में वह खुद पैसे निकालने आया था वह उसी के पैसों से फल फूल रहा था बैंक के बाहर विक्रम मल्होत्रा ने फोन काट दिया और गहरी सांस ली उनके चेहरे पर अब तक का सबसे सख्त भाव था कुछ ही मिनटों में बैंक के बाहर काली चमचमाती [संगीत] जिनमें बैंक का रीजनल मैनेजर और कुछ अन्य उच्च अधिकारी भी थे जैसे ही इन अधिकारियों ने बैंक में प्रवेश किया बैंक का माहौल पूरी तरह से बदल गया बैंक के अंदर हड़कंप

मच गया अचानक बैंक मैनेजर और बाकी कर्मचारियों को एहसास हुआ कि कुछ बड़ा होने वाला है बैंक मैनेजर घबराकर खड़ा हो गया और बैंक का गार्ड एकदम सख्त मुद्रा में हो गया तभी रीजनल मैनेजर तेज कदमों से बैंक में घुसे और सीधे मैनेजर के केबिन की तरफ बढ़े मैनेजर अनिल कुमार कहां है तुमने बैंक मैनेजर जो कुछ ही मिनट पहले तक बेहद अकड़ में बैठा था अब खड़ा होकर कांपने लगा साहब मैं यहां हूं क्या हुआ रीजनल मैनेजर ने गुस्से से उसे घूरते हुए कहा तुम्हें नहीं पता कि तुमने अभी-अभी किसे बेइज्जत करके बैंक से बाहर निकाला है मैनेजर ने चौक हुए कहा साहब एक बूढ़ा आदमी

था गरीब सा दिखता था उसने लाइन में लगे बिना पैसे निकालने की बात की थी तो मैंने उसे निकाल दिया इसमें क्या गलती है रीजनल मैनेजर ने गुस्से से एक फाइल टेबल पर पटक दी गलती गलती तो इतनी बड़ी कर दी तुमने कि अब तुम्हारी नौकरी भी बचना मुश्किल है जिस आदमी को तुमने ठुकराया है वही इस बैंक का सबसे बड़ा निवेशक और मालिक है बैंक जिस पूंजी पर चल रहा है उसका 60 प्र फंडिंग उन्हीं की कंपनियों से आती है मैनेजर का चेहरा सफेद पड़ गया क्या अब तक पूरे बैंक में खामोशी छा गई थी कर्मचारी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे बैंक के गार्ड ने एक ठंडी सांस ली और

धीरे-धीरे कांपने लगा तभी दरवाजे से वही बूढ़े आदमी यानी विक्रम मल्होत्रा ने दोबारा बैंक में प्रवेश किया लेकिन इस बार वह अकेले नहीं थे उनके साथ एक पूरी टीम थी जिनमें उनके कानूनी सलाहकार उनके व्यापारिक सहयोगी और कुछ पुलिस अधिकारी भी थे बैंक मैनेजर का चेहरा देखते ही विक्रम मल्होत्रा ने अपनी तीखी नजरें उसकी ओर घुमा दी अब समय था जवाब देने का विक्रम मल्होत्रा ने ठंडी लेकिन सख्त आवाज में कहा तो मैनेजर साहब आपने मुझे बैंक से बाहर निकाल दिया सिर्फ इसलिए कि मैंने साधारण कपड़े पहने थे मैनेजर ने घबराते हुए कहा स साहब हमें लगा कि आप कोई गरीब

आदमी है विक्रम मल्होत्रा हंसे लेकिन उनकी हंसी में कड़वाहट थी तो गरीब आदमी को बैंक से धक्के देकर बाहर निकालना तुम्हारे बैंक का नियम है तुम्हें नहीं पता कि एक बैंक का सबसे बड़ा आधार उसके ग्राहक होते हैं मैनेजर के पास कोई जवाब नहीं था क्या होता अगर मैं सच में कोई गरीब आदमी होता और मुझे सच में अपने ही पैसे की जरूरत होती क्या मुझे भी ऐसे ही निकाल दिया जाता अब फैसले की बारी थी विक्रम मल्होत्रा ने अपना मोबाइल निकाला और सामने खड़े रीजनल मैनेजर की ओर देखा इस बैंक का मैं सबसे बड़ा निवेशक हूं और आज से मेरी सभी फंडिंग इस बैंक से वापस ली जाती है रीजनल मैनेजर

हक्का बक्का रह गया साहब ऐसा मत करिए इससे बैंक को बहुत नुकसान होगा मुझे फर्क नहीं पड़ता अगर एक बैंक अपने ग्राहकों की इज्जत नहीं कर सकता तो मैं वहां पैसा क्यों लगाऊं अब पूरे बैंक में अफरातफरी मच गई मैनेजर और स्टाफ की हालत खराब मैनेजर के चेहरे पर पसीना आ गया उसे अब अपनी नौकरी जाने का डर सता रहा था साहब मुझे माफ कर दीजिए मैं नहीं जानता था कि आप आप ही इस बैंक के मालिक है मालिक या गरीब इंसानियत सबके लिए बराबर होती है विक्रम मल्होत्रा की आवाज गूंज उठी तुम्हें सिखाने के लिए मुझे कोई बड़ा आदमी होने की जरूरत नहीं है तुम्हें एक अच्छा

इंसान बनने की जरूरत है अब तक बैंक के बाकी कर्मचारी भी चुपचाप खड़े थे उन्हें भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था अब बताओ मुझे पैसे निकालने की अनुमति है या नहीं अब बैंक का वही गार्ड जिसने कुछ समय पहले उन्हें धक्का दिया था खुद आगे आया और कांपते हुए बोला साहब कृपया अंदर आइए हम तुरंत आपकी मदद करेंगे लेकिन विक्रम मल्होत्रा ने हाथ उठाकर मना कर दिया अब कोई जरूरत नहीं है इस बैंक से मैं अपना हर रिश्ता खत्म कर रहा हूं उन्होंने अपना फोन निकाला और अपनी कंपनियों के अकाउंटेंट को फोन मिलाया आज से मेरी सभी कंपनियों के खाते इस बैंक से

हटा दो और किसी और बैंक में शिफ्ट कर दो अब यह बैंक कैसे चलेगा पूरे बैंक में गूंजती यह आवाज अब तक का सबसे बड़ा सबक थी बैंक के माहौल में अब घबराहट और तनाव साफ नजर आ रहा था स्टाफ के चेहरे उतर चुके थे और बैंक मैनेजर की हालत सब से ज्यादा खराब थी अगर साहब ने सच में अपनी फंडिंग हटा ली तो यह बैंक बर्बाद हो जाएगा बैंक के रीजनल मैनेजर ने विक्रम मल्होत्रा के सामने हाथ जोड़कर कहा साहब हम मानते हैं कि बहुत बड़ी गलती हुई है लेकिन कृपया इसे ठीक करने का एक मौका दीजिए विक्रम मल्होत्रा ने ठंडी नजरों से उसकी ओर देखा और कहा क्या तुम्हें सिर्फ इसीलिए अपनी गलती का

एहसास हुआ क्योंकि अब बैंक डूबने की कगार पर है अगर मैं कोई आम आदमी होता तब भी क्या तुम मुझसे इसी तरह माफी मांगते रीजनल मैनेजर निरुत्तर हो गया उसने सिर झुका लिया बैंक के अन्य स्टाफ ने भी धीरे-धीरे विक्रम मल्होत्रा के पास आकर माफी मांगनी शुरू कर दी बैंक की गिरती साख इस घटना के कुछ घंटों बाद ही शहर में खबर आग की तरह फैल गई शहर के सबसे बड़े उद्योगपति को अपने ही पैसे निकालने के लिए बैंक से धक्के देकर निकाला गया बैंक का सबसे बड़ा निवेशक अब अपने सारे पैसे निकालने जा रहा है बैंक संकट में क्या यह बैंक अब भी सुरक्षित रहेगा ग्राहक

घबराए इस खबर को शहर के अखबारों और सोशल मीडिया पर भी कवर किया जाने लगा इसके बाद जो हुआ उसने पूरे बैंकिंग सिस्टम को हिलाकर रख दिया ग्राहकों का बैंक पर से भरोसा उठने लगा अगले ही दिन बैंक की कई ब्रांच में ग्राहकों की भीड़ लग गई लोग बैंक में जमा अपनी रकम निकालने की कोशिश कर रहे हम अपना पैसा तुरंत निकालना चाहते हैं अगर बैंक का सबसे बड़ा निवेशक अपना पैसा निकाल सकता है तो हमें भी खतरा है यह बैंक भरोसे के लायक नहीं है बैंक के काउंटरों पर अफरा तफरी मच गई कर्मचारी परेशान थे लोग गुस्से में थे और बैंक मैनेजर लगातार फोन पर अपने वरिष्ठ

अधिकारियों से निर्देश ले रहा था विक्रम मल्होत्रा के फैसले का असर उसी शाम बैंक की वरिष्ठ प्रबंधन टीम एक आपातकालीन बैठक कर रही थी हमें तुरंत कुछ करना होगा वरना बैंक का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा अगर विक्रम मल्होत्रा ने अपने खाते बंद कर दिए तो हमें करोड़ों का नुकसान होगा हमें उनके पास जाना होगा और उनसे माफी मांगनी होगी अब पूरा बैंक प्रशासन घुटनों पर आ चुका था बैंक के उच्च अधिकारी पहुंचे विक्रम मल्होत्रा के घर रात के लगभग 9 बजे थे विक्रम मल्होत्रा अपने बड़े बंगले के गार्डन में बैठे चाय पी रहे थे तभी बैंक के बड़े अधिकारी रीजनल मैनेजर ब्रांच

मैनेजर और कुछ अन्य स्टाफ उनके घर पहुंचे साहब कृपया हमारी बात सुनिए विक्रम मल्होत्रा ने अपनी चाय का एक घूंट लिया और बिना उनकी ओर देखे बोले बोलो क्या कहना है रीजनल मैनेजर घुटनों के बल बैठ गया और हाथ जोड़ते हुए बोला साहब हमने बहुत बड़ी गलती कर दी हम आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं ब्रांच मैनेजर भी हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा नहीं लगा साहब बैंक अब डूबने की कगार पर है अगर आपने अपने फंड्स निकाल लिए तो बैंक पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा विक्रम मल्होत्रा का सख्त जवाब विक्रम मल्होत्रा ने अब उनकी ओर देखा और गंभीर स्वर में कहा अब जब बैंक डूबने

वाला है तब तुम्हें मेरी अहमियत समझ में आ रही है क्या उस दिन जब मैंने अपने ही पैसे निकालने की कोशिश की थी तब तुमने इस इज्जत के बारे में सोचा था बैंक अधिकारी निरुत्तर थे तुम लोगों ने एक आम इंसान की तरह मेरे साथ जो किया अगर वही किसी और गरीब आदमी के साथ हुआ होता तो क्या तुम उसे भी ऐसे ही धक्के देकर निकालते इस देश में लाखों गरीब लोग बैंक पर भरोसा करते हैं लेकिन अगर बैंक का स्टाफ ही उन्हें बेइज्जत करे तो वे कहां जाएंगे अब बैंक का भविष्य क्या होगा रीजनल मैनेजर ने कांपते हुए कहा साहब हम आपसे वादा करते हैं कि अब से ऐसा कभी नहीं होगा

कृपया इस बैंक को बचा लीजिए अब पूरा स्टाफ और बैंक अधिकारी विक्रम मल्होत्रा के फैसले का इंतजार कर रहे थे क्या वे बैंक को दूसरा मौका देंगे क्या बैंक को अपना खोया सम्मान वापस मिलेगा या फिर यह बैंक पूरी तरह खत्म हो जाएगा बैंक के अधिकारी विक्रम मल्होत्रा के सामने गिड़गिड़ा रहे थे उनकी आंखों में डर साफ झलक रहा था अगर उन्होंने अपने सारे पैसे निकाल लिए तो बैंक बर्बाद हो जाएगा शहर में पहले ही खबर फैल चुकी थी लोग बैंक से अपना पैसा निकालने की होड में थे लेकिन क्या विक्रम मल्होत्रा बैंक को बचाने का फैसला लेंगे या फिर उनका गुस्सा

पूरे बैंकिंग सिस्टम को झटका देगा वह धीरे-धीरे अपनी कुर्सी से उठे अपनी नजरें उन अवसरों पर टिका दी तुम लोगों ने जो किया उसका हिसाब सिर्फ मुझसे नहीं पूरे शहर से मांगना पड़ेगा रीजनल मै कापते हुए बोला साहब हमें एक आखिरी मौका दीजिए हम सुधार करेंगे हम बदलेंगे विक्रम मल्होत्रा की कड़ी शर्तें विक्रम मल्होत्रा ने गहरी सांस ली और सख्त लहजे में बोले अगर इस बैंक को मेरी फंडिंग चाहिए तो कुछ शर्तें माननी होंगी अब बैंक के अफसरों की धड़कन तेज हो गई शर्तें कौन सी शर्तें साहब विक्रम मल्होत्रा ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा सब सबसे पहली

शर्त जो कर्मचारी गरीबों और आम ग्राहकों से बुरा व्यवहार करता है उसे तुरंत नौकरी से निकाला जाएगा बैंक मैनेजर और रीजनल मैनेजर ने एक दूसरे को देखा उन्हें समझ में आ गया कि यह शर्त पूरी करना आसान नहीं होगा दूसरी शर्त बैंक की हर शाखा में एक शिकायत पेटी लगाई जाएगी अगर कोई भी ग्राहक स्टाफ की बदसलूकी की शिकायत करेगा तो उस स्टाफ पर तुरंत जांच होगी अब अफसरों के माथे पर सीना आ गया शिकायत पेटी इसका मतलब था कि वे अब मनमानी नहीं कर सकते थे तीसरी और सबसे जरूरी शर्त अब इस बैंक का एक मुख्य उद्देश्य होगा गरीबों और छोटे व्यापारियों को आर्थिक रूप से मजबूत करना

बैंक अधिकारियों की उलझन अब बैंक के अफसरों के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी उन्हें समझ में आ रहा था कि विक्रम मल्होत्रा बैंक को सुधारने का फैसला कर चुके थे लेकिन उनकी शर्तें बहुत सख्त थी लेकिन अब उनके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था अगर वे इन शर्तों को नहीं मानते तो बैंक की पूंजी खत्म हो सकती थी और यह पूरी तरह से डूब सकता था रीजनल मैनेजर ने कांपते हुए कहा साहब हम आपकी सभी शर्तें मानते हैं हमें एक मौका दीजिए बैंक में बड़ा बदलाव गरीबों का सम्मान वापस अगले ही दिन बैंक के नियमों में बड़े बदलाव किए गए पुराने बदतमीज स्टाफ को बाहर निकाला गया

हर शाखा में हेल्प डेस्क लगाई गई ताकि कोई भी ग्राहक बिना परेशानी के मदद पा सके छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए विशेष लोन योजनाएं शुरू की गई हर महीने ग्राहक सेवा दिवस मनाने का नियम बना ताकि बैंक कर्मचारियों को एहसास हो कि ग्राहक उनके लिए सबसे जरूरी है अब बैंक में गरीब आदमी भी सम्मान के साथ प्रवेश कर सकता था विक्रम मल्होत्रा की दरिया दिल्ली गरीबों के लिए एक नया अभियान लेकिन कहानी यही खत्म नहीं हुई विक्रम मल्होत्रा ने सिर्फ बैंक को ही नहीं सुधारा बल्कि पूरे शहर में एक नया अभियान शुरू कर दिया उन्होंने छोटे व्यापारियों के लिए एक नई योजना बनाई

जिससे उन्हें कम ब्याज दर पर लोन मिल सके गरीब बुजुर्गों और विकलांगों के लिए बैंक में अलग से काउंटर बनाए गए ताकि उन्हें परेशानी ना हो उन्होंने बैंक को आदेश दिया कि हर महीने करीबोंड निकाल जाए अब यह बैंक सिर्फ अमीरों का नहीं बल्कि गरीबों का भी बैंक बन गया था बैंक स्टाफ को अब भी डर था बैंक के अधिकारी अब भी कांप रहे थे वे जानते थे कि अगर वे फिर से गरीबों का अपमान करेंगे तो विक्रम मल्होत्रा उन्हें बेंगे नहीं अब पूरा बैंकिंग सिस्टम बदल चुका था अब बैंक का हर कर्मचारी मुस्कुराकर ग्राहकों से बात करता था शहर में एक नई सीख गरीब को को

कम मत समझो जब यह खबर शहर में फैली