दोस्तों, जिस अस्पताल में पति डॉक्टर था, उसी अस्पताल में उसकी तलाकशुदा पत्नी अपनी डिलीवरी करवाने के लिए भर्ती हुई थी। लेकिन जैसे ही वह अस्पताल के गेट पर पहुंची, अचानक उसके पेट में असहनीय दर्द उठने लगा। वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी। जमीन पर अपने पैर पटकने लगी। आंसू उसके चेहरे से ढलकने लगे। क्योंकि दोस्तों उसके बच्चे के जन्म का समय आ चुका था। इतना हंगामा सुनकर डॉक्टर साहब दौड़ते हुए उसके पास पहुंचे और उनके पीछेछे कई नर्सें भी भागते हुए वहां पहुंच गई। लेकिन जैसे ही डॉक्टर साहब ने उस महिला का चेहरा देखा उनके कदम ठिटक गए उनकी आंखें फटी की फटी

रह गई और अगले ही पल वह वहीं खड़े होकर फूट-फूट कर रो पड़े। क्योंकि दोस्तों वह महिला कोई और नहीं बल्कि उनकी अपनी तलाकशुदा पत्नी थी। लेकिन दोस्तों अब यहां सबसे बड़ा सवाल यही है आखिर इन दोनों पतिपत्नी के बीच ऐसा क्या विवाद हुआ था कि कभी एक दूसरे की जान कहे जाने वाले यह दोनों एक दूसरे से तलाक लेकर अलग हो गए। इस दर्द भरी दास्तान को जानने के लिए वीडियो को आखिरी सेकंड तक जरूर देखें। लेकिन उससे पहले वीडियो पर लाइक करें। चैनल को सब्सक्राइब करें और कमेंट में अपना और अपने शहर का नाम जरूर लिखें। दोस्तों, यह सच्ची कहानी है उत्तराखंड की।

वही रहते थे एक सरकारी विभाग के कर्मचारी विजय सिंह। विजय सिंह जी का एक ही सहारा था। उनकी इकलौती बेटी आरती बेटा नहीं था इसलिए बेटी ही उनका सब कुछ थी। आरती कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी। विजय सिंह जी उसे आंखों का तारा मानते थे। बचपन से लेकर जवानी तक जो भी उसने चाहा उसे बिना सोचे समझे पूरा किया। क्योंकि दोस्तों जिनकी एक ही संतान होती है वे अक्सर अपने बच्चों को हद से ज्यादा लाड़ प्यार में पालते हैं। गलती हो जाए तो डांटते नहीं उल्टा और मनाते हैं। और यही वजह होती है कि ऐसे बच्चे अक्सर बिगड़ भी जाते हैं। आरती के भी शौक बड़े-बड़े थे। महंगे कपड़े,

बड़ी-बड़ी गाड़ियां, रात को दोस्तों के साथ पार्टियां, महंगे रेस्टोरेंट में खाना, महंगे मोबाइल इन सब में उसका मन रमता था। और क्योंकि पैसे की कोई कमी नहीं थी। उसके पापा ने कभी उसे रोका टोका नहीं। समय बीता और आरती ने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। अब विजय सिंह जी ने सोचा बेटी अब बड़ी हो गई है। क्यों ना इसका रिश्ता कहीं अच्छे घर परिवार में तय कर दिया जाए। एक दिन उन्होंने बेटी से कहा, बेटी, अब हम सोच रहे हैं कि तुम्हारा विवाह कर दें। लेकिन अगर तुम चाहो तो आगे की पढ़ाई शादी के बाद भी कर सकती हो। यह सुनकर आरती ने तुरंत जवाब दिया। पापा मैं अभी शादी नहीं

करना चाहती। मैं तो और पढ़ना चाहती हूं। अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं। लेकिन विजय सिंह जी ने प्यार से समझाया, बेटा मैं तुझे पढ़ाई से नहीं रोकूंगा। मैं वादा करता हूं कि जिस लड़के से तेरा रिश्ता करूंगा, उससे सबसे पहले यही कहूंगा कि वह तुझे पढ़ाई पूरी करने देगा। अगर वह मान गया तभी मैं शादी करूंगा। पापा की बात सुनकर आरती मान गई। वह बोली ठीक है पापा अगर ऐसा है तो मुझे कोई ऐतराज नहीं। अब विजय सिंह जी ने अपनी पुरानी पहचान से बात की। उनके मित्र धर्मपाल के बेटे राहुल से रिश्ता तय हुआ। धर्मपाल जी किसान थे। बहुत सादा जीवन था। दिखावा बिल्कुल नहीं। लेकिन

उनका बेटा राहुल पढ़ाई में बहुत होशियार था। बचपन से ही उसका सपना था कि डॉक्टर बने और लोगों की सेवा करें। उसकी मेहनत और लगन देखकर सबको विश्वास था कि एक दिन वह नाम रोशन करेगा। दोस्तों, जल्द ही तारीख तय हुई और धूमधाम से शादी हो गई। विजय सिन्हा जी ने अपनी इकलौती बेटी की शादी में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश की। लेकिन दोस्तों, असली कहानी यहीं से शुरू होती है। शादी के बाद जब आरती अपने ससुराल पहुंची, तो पूरे गांव में चहल-पहल थी। लोग कहते फिर रहे थे धर्मपाल जी के घर तो शहर से बहू आई है। अफसर की बेटी है। कितनी

सुंदर है। कितनी नखरीली है। आंगन में औरतें उसे देखने को उतावली थी। बच्चे खड़े होकर उसकी चुन्नी और गहनों को निहार रहे थे। धर्मपाल और उनकी पत्नी शारदा देवी खुश थे कि बेटे राहुल को आखिरकार जीवन साथी मिल गया। लेकिन दोस्तों जैसा हर शादी के बाद होता है। सच्ची तस्वीर धीरे-धीरे सामने आने लगी। आरती अपने मायके के ठाटबाट में पली थी। उसे हमेशा बड़ी गाड़ियों में घूमने की आदत थी। हर हफ्ते दोस्तों के साथ होटल जाने की आदत थी। महंगे कपड़े पहनने की आदत थी। ससुराल में यह सब ना था। यहां सादगी थी। खेत की मिट्टी थी। गांव की परंपराएं थी। धर्मपाल जी ने बहुत प्यार से

समझाया। बिटिया हम किसान लोग हैं। हमारा रहन-सहन बहुत साधारण है। तुम छोटे-छोटे कपड़े पहनकर गांव में मत निकलो। लोग तरह-तरह की बातें करेंगे। यहां हमारी इज्जत का सवाल है। लेकिन आरती को यह सब सुनना बिल्कुल पसंद नहीं आया। उसने गुस्से में कहा, देखिए, मैं अपनी मर्जी से जीना जानती हूं। अगर मुझे इस घर में रखना है, तो मेरी हर ख्वाहिश पूरी करनी होगी। वरना मैं यहां रह ही नहीं सकती। धर्मपाल और शारदा देवी यह सुनकर सन्न रह गए। उन्होंने चुपचाप बेटे राहुल को पत्र लिखा और सारी बात बताई। राहुल उस समय दूसरे शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। दिनरा मेहनत

करता था ताकि डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सके। लेकिन जब उसने मां-बाप की बातें सुनी तो उसके दिल पर गहरी चोट लगी। कुछ दिनों की छुट्टी मिलते ही वह घर आया। उसने आरती को समझाने की कोशिश की। सुनो आरती। मेरे मां-बाप बहुत साधारण लोग हैं। उनका जीवन सादा है। उम्मीदें छोटी है। तुम्हें उनके सामने थोड़ा ढंग से रहना चाहिए। बाकी मैं हूं ना जब मेरी पोस्टिंग लग जाएगी तो हम शहर चले जाएंगे। कभी-कभी होटल भी चलेंगे। लेकिन अभी मेरी पढ़ाई है। पैसे सीमित है। थोड़ा सब्र करना होगा। लेकिन दोस्तों आरती ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया। उसने

उल्टा जवाब दिया। राहुल तुम्हारे मांबाप पुराने जमाने के लोग हैं। मैं गांव की औरतों की तरह नहीं जी सकती। मुझे वही सब चाहिए जो मेरी सहेलियों के पास है। अगर तुम पूरा नहीं कर सकते तो मुझे इस रिश्ते से कोई मतलब नहीं है। दोस्तों, उस दिन से घर की फिजा बदल गई। जहां कभी सुबह की चाय के साथ हंसी सुनाई देती थी। वहां अब खामोशी पसर गई। जहां कभी रसोई में खटरपटर के साथ प्यार झलकता था। वहां अब बर्तन पटकने की आवाज आने लगी। राहुल ने लाख कोशिश की। लेकिन आरती ने उसकी कोई बात नहीं मानी। अक्सर वो मायके फोन करके शिकायत करती। पापा आपने मेरी शादी गलत जगह

कर दी। यहां भूखेन नंगे लोग हैं। मेरी कोई कद्र नहीं है। कोई मेरी बात नहीं समझता। और दोस्तों अमरनाथ जी जो बेटी से बेहद प्यार करते थे। हर बार उसकी बात सुनकर पिघल जाते। वह ससुराल में फोन करते और कहते देखिए हमारी बेटी है, इकलौती है। उसका मन मत दुखाइए। उसकी हर ख्वाहिश पूरी कीजिए। धर्मपाल जी यह सब सुनकर बहुत परेशान हो जाते। वो सोचते हमारे घर का संस्कार टूट रहा है। बहू हमारी बात मानती नहीं और बेटी के लाड़ प्यार में डूबे ससुर तो उसे और बिगाड़ रहे हैं। समय बीतता गया। 6 महीने गुजर गए और घर में रोज झगड़े होने लगे। राहुल हर बार कहता आरती थोड़ा मांबाप

के साथ बैठा करो। उनके सामने ढंग से रहो। उनकी भावनाओं को समझो। लेकिन आरती हर बार गुस्से में जवाब देती, मैं यह सब नहीं कर सकती। मैं वह करूंगी जो मेरा मन चाहेगा। झगड़े बढ़ते गए। राहुल की पढ़ाई भी बीच-बीच में प्रभावित होने लगी। वो दिनरा मेहनत करता लेकिन घर की चिंता उसे खाए जा रही थी। इसी बीच एक दिन आरती को पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। उसने सबसे पहले अपने पापा को फोन किया और कहा पापा मैं अब इस घर में एक पल भी नहीं रह सकती। आपने मेरी शादी गलत जगह करवा दी है। यह लोग मेरी इज्जत नहीं करते। मेरी ख्वाहिशें पूरी नहीं करते। अमरनाथ जी ने उसे डांटा नहीं।

बल्कि अपने घर बुला लिया। उन्होंने कहा बेटा थोड़े दिन बाद जब राहुल और उसके घर वाले तुम्हें समझने लगेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन दोस्तों आरती को यह बात समझ में नहीं आई। वो मायके में रहकर भी अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमती रही। देर रात तक पार्टी करती रही। बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाती रही। धीरे-धीरे उसने यह तक भूलना शुरू कर दिया कि वह मां बनने वाली है। वह अपने शौक में इतनी डूबी रही कि आने वाले बच्चे का ख्याल भी पीछे छूट गया। उधर राहुल अपने मेडिकल की पढ़ाई में जुटा रहा। वो सोचता रहा एक दिन मैं डॉक्टर बनूंगा और

शायद तब आरती मुझे समझ पाएगी। लेकिन दोस्तों किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोस्तों वक्त धीरे-धीरे बीतता गया। राहुल दिनरा अपनी किताबों और अस्पताल की प्रैक्टिस में डूबा रहा। उसका पूरा ध्यान बस डॉक्टर बनने पर था। लेकिन उधर आरती का मन अपने मायके और दोस्तों में ही अटका रहा। वो अब खुलकर कहने लगी थी कि राहुल उसके लायक नहीं है। राहुल उसे वह सब नहीं दे सकता जो उसकी सहेलियों को उनके पति ने दिया है। दोस्तों, इंसान जब गलत संगत में पड़ जाता है, तो सही गलत की पहचान खो देता है। आरती के साथ भी यही हुआ। उसके कुछ दोस्तों ने उसे भड़काना शुरू कर दिया।

तेरा पति तो बिल्कुल पुराने जमाने का है। तुझे बांध कर रखना चाहता है। तू जैसी है उसे वैसे ही जीना चाहिए। जिंदगी एक बार मिलती है। क्यों उसे बेकार कर रही है। धीरे-धीरे इन बातों का असर हुआ और आरती के मन में तलाक का ख्याल घर का कर गया। और दोस्तों, एक दिन उसने सच में अदालत जाकर तलाक की अर्जी दे दी। राहुल जब कोर्ट पहुंचा तो उसकी आंखों में आंसू थे। उसने आखिरी बार कहा आरती मैं मानता हूं कि हम दोनों के बीच मतभेद है। लेकिन तू मां बनने वाली है। क्या तू इस बच्चे के बारे में नहीं सोच सकती? कम से कम इसे पिता का नाम तो दे दे। लेकिन आरती ने उसकी एक भी बात

नहीं सुनी। उसने सख्ती से कहा राहुल मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। तुम्हारे साथ रहना मेरी आजादी को कैद करना है। मैंने फैसला कर लिया है। दोस्तों, कुछ ही दिनों में कागज पर दस्तखत हो गए और दोनों का रिश्ता टूट गया। राहुल ने चुपचाप सारे कागज पर हस्ताक्षर कर दिए। उसके चेहरे पर आंसू थे। लेकिन होठों पर एक ही वाक्य था। ईश्वर तुझे खुश रखे। तलाक के बाद राहुल ने खुद को पूरी तरह पढ़ाई और सेवा में झोंक दिया। उसने मन ही मन कसम खाई कि अब उसका जीवन सिर्फ डॉक्टर बनने और मरीजों को बचाने में गुजरेगा। उसकी मेहनत रंग लाई और आखिरकार उसे डिग्री मिल गई। फिर उत्तराखंड

के ही एक बड़े अस्पताल में उसकी नियुक्ति हो गई। वो दिनरा लोगों की जान बचाने में जुट गया। और एक जाना पहचाना डॉक्टर बन गया। लेकिन दोस्तों, उधर आरती का हाल बिल्कुल अलग था। शुरुआत में जब वह मायके लौटी तो उसे लगा कि अब जिंदगी मजेदार हो जाएगी। दोस्त उसके साथ पार्टी करने आते, होटल जाते, गाड़ियां घुमाते। वो सोचती थी कि बिना पति और बिना ससुराल के भी जिंदगी आसान है। लेकिन धीरे-धीरे समय बदला। जैसे-जैसे उसका गर्भ बड़ा होता गया, उसके तथाकथित दोस्त उससे दूरी बनाने लगे। जब वह कहीं बाहर जाती लोग उसे देखकर कहने लगे आरती अब तू घर पर आराम कर तू प्रेग्नेंट

है तेरे साथ घूमना हमें अच्छा नहीं लगता दोस्तों इंसान की असलियत तब सामने आती है जब मुसीबत आती है। आरती ने भी समझ लिया कि उसके यह पार्टी वाले दोस्त बस दिखावे के साथ ही थे। असली साथ देने वाला तो उसका पति था जो आज उससे बहुत दूर जा चुका था। समय बीता, नवा महीना आया और दर्द शुरू हो गया। अमरनाथ जी ने तुरंत एंबुलेंस बुलाई और बेटी को अस्पताल ले गए। सायरन बजता हुआ अस्पताल पहुंचा और स्ट्रेचर पर लेटी आरती दर्द से तड़प रही थी। वो चीख रही थी। चिल्ला रही थी। बचाइए कोई मेरी मदद कीजिए। और दोस्तों किस्मत का खेल देखिए। वो अस्पताल कोई और नहीं बल्कि वही था जहां

राहुल डॉक्टर था। जैसे ही उसने शोर सुना, वह दौड़ता हुआ बाहर आया और स्ट्रेचर पर लेटी महिला को देखा और जब उसकी नजर पड़ी तो उसके कदम वही जम गए। उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े क्योंकि स्ट्रेचर पर कोई और नहीं बल्कि उसकी तलाकशुदा पत्नी आरती थी। राहुल ने तुरंत नर्सों को आदेश दिया। जल्दी करो। इसे डिलीवरी वार में ले जाओ। पूरा इंतजाम करो। यह सिर्फ मेरी मरीज नहीं है। यह मेरी आवाज गले में अटक गई। आंखें भीग गई। दोस्तों, डॉक्टर होना उसका फर्ज था। लेकिन इंसान होना उसका जज्बात। उसने अपनी पत्नी को बचाने की ठान ली। दोस्तों, जैसे ही आरती को डिलीवरी वार्ड में ले

जाया गया। महिला डॉक्टर ने तुरंत जांच की और घबराकर कहा, “इसका ब्लड बहुत कम है। जब तक खून की व्यवस्था नहीं होगी, डिलीवरी नहीं हो पाएगी। अगर तुरंत ब्लड ना मिला तो मां और बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ जाएगी। यह सुनकर अमरनाथ जी का दिल कांप गया। वो तुरंत ब्लड बैंक भागे। लेकिन किस्मत देखिए दोस्तों वहां भी वही ग्रुप मौजूद नहीं था। वो हताश होकर लौटे और डॉक्टर से कहा, डॉक्टर साहब, अब तो कुछ नहीं बचा। मेरी बेटी चली जाएगी। तभी राहुल ने आगे बढ़कर कहा, मैडम मेरा ब्लड ओ पॉजिटिव है। अगर आप चाहे तो मेरा खून ले लीजिए और मेरी पत्नी को चढ़ा दीजिए। महिला

डॉक्टर ने तुरंत हामी भर दी। राहुल बिना एक पल गवाए टेबल पर लेट गया। उसकी नसों से खून की एक बोतल निकाली गई और आरती को चढ़ाई गई। दोस्तों, कुछ ही देर बाद वाट से बच्चे के रोने की आवाज गूंजी। हां दोस्तों, आरती ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। मां और बच्चा दोनों सुरक्षित थे। लेकिन वार्ड के बाहर खड़ा राहुल जिसकी आंखों में राहत के आंसू थे। वो चुपचाप अपने केबिन में चला गया। क्योंकि उसके लिए यह सिर्फ मरीज की जान बचाना नहीं था बल्कि अपने टूटे रिश्ते की आखिरी डोर को निभाना था। कुछ घंटे बाद जब आरती को होश आया तो उसने अपने बगल में सोए छोटे से मासूम को

देखा। बच्चे की मासूम सूरत देखकर उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने पास खड़ी महिला डॉक्टर का हाथ पकड़ कर कहा, मैडम अगर आप नहीं होती तो शायद मैं और मेरा बच्चा इस दुनिया में ना होते। आपने मेरी जान बचाई। मैं आपकी बहुत आभारी हूं। महिला डॉक्टर मुस्कुराई और बोली, बिड़िया, शुक्रिया मुझे मत कहो। तुम्हें तो उस इंसान का धन्यवाद करना चाहिए जिसने तुम्हें अपना खून दिया। अगर वह ना होता तो आज तुम्हारी जान बचाना असंभव था। आरती ने हैरानी से पूछा, “कौन था वो?” महिला डॉक्टर ने धीरे से कहा, तुम्हारे पति डॉक्टर राहुल। दोस्तों, यह सुनते ही आरती

की आंखें फटी की फटी रह गई। उसका दिल धड़क उठा। उसने कांपती आवाज में कहा, “क्या, “यह मेरे तलाकशुदा पति थे?” महिला डॉक्टर ने सिर हिलाया और उसी क्षण आरती फूट-फूट कर रोने लगी। उसकी आंखों के सामने पूरा अतीत घूम गया। राहुल का संघर्ष, उसकी मेहनत, उसकी सादगी और उसका सच्चा प्यार। और अब वही इंसान जिसे उसने गरीब और नालायक कहा था। वही उसकी और उसके बच्चे की जान बचा गया। जब राहुल वार्ड में आया तो आरती रोते-रोते उसके पैरों पर गिर पड़ी। वो कहने लगी, राहुल, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया। तुम्हें गरीब भूखा नंगा कहा तुम्हारी कदर नहीं की लेकिन आज तुमने

साबित कर दिया कि सच्चा इंसान वही है जो हर हाल में साथ खड़ा रहता है। मुझे माफ कर दो। मुझे एक बार फिर अपने घर ले चलो। राहुल ने आंसू पोंछते हुए कहा आरती तुम्हें मुझसे माफी मांगने की जरूरत नहीं है। तुम्हें जैसे संस्कार मिले थे तुम वैसे ही चली। इसमें तुम्हारी गलती नहीं। लेकिन अब तुम और तुम्हारा बच्चा सुरक्षित हो। यही मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी है। यह सुनकर पास बैठे अमरनाथ जी भी रो पड़े। उन्होंने हाथ जोड़कर कहा, बेटा हमसे बहुत बड़ी गलती हुई है। हमने अपनी इकलौती बेटी को बिगाड़ दिया। लेकिन आज हम तुझसे हाथ जोड़कर विनती करते हैं। इस बच्चे के खातिर

इसे अपना लो। वरना इसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। दोस्तों, राहुल ने बहुत देर तक सोचा। उसकी आंखों के सामने अपने बीते हुए सारे दुख घूम रहे थे। लेकिन फिर उसने अपने दिल से पूछा क्या इस बच्चे को बिना पिता के बड़ा किया जा सकता है? क्या आरती को दूसरा मौका नहीं मिलना चाहिए? और तभी उसने धीरे से कहा ठीक है अंकल मैं आरती को और इस बच्चे को अपने साथ ले जाऊंगा। यह मेरा परिवार है और मैं इसे टूटने नहीं दूंगा। दोस्तों, अस्पताल से छुट्टी के बाद आरती अपने पति राहुल और बच्चे के साथ ससुराल लौट आई। धर्मपाल और शारदा देवी ने बहू को देखकर गले लगा लिया

क्योंकि वह भी उसे नफरत नहीं बस सुधरता हुआ देखना चाहते थे। धीरे-धीरे आरती ने अपने आप को बदला। उसने समझा कि असली सुख महंगे कपड़े और गाड़ियां नहीं बल्कि परिवार का प्यार और अपनेपन का सहारा है। वह अब सासससुर की सेवा करती राहुल के साथ खड़ी रहती और अपने बेटे की परवरिश में रम गई। दोस्तों, इस कहानी का मकसद किसी को नीचा दिखाना नहीं है। बल्कि यह समझाना है कि अगर औरतें अपने परिवार के साथ समझदारी और प्यार से रहे, तो उनका घर कभी बर्बाद नहीं होगा। ज्यादा डिमांड, ज्यादा जिद्दा और अहंकार इंसान को कहीं का नहीं छोड़ते। दोस्तों, आपको क्या लगता है? क्या राहुल

ने सही किया कि उसने आरती को माफ कर दिया और दोबारा अपना लिया? अगर आप उसकी जगह होते तो क्या आप भी अपनी तलाकशुदा पत्नी को दूसरा मौका देते? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा। वीडियो पसंद आए तो इसे लाइक करें और हमारे चैनल स्टोरी बाय बीके को सब्सक्राइब करना बिल्कुल मत भूलिएगा। मिलते हैं अगली वीडियो में। जय हिंद जय