इमरान खान का मर्डर हो गया। यह बहुत बड़ी न्यूज़ है। बहुत बड़ी न्यूज़ है ये। एक ऐसा क्रिकेटर जिसे जेल में ही मार दिया गया। उनके मरने की कौन-कौन सी थ्योरीज निकल कर सामने आ रही है? क्या है उनके मरने का असली सच? पाकिस्तानी सरकार ने इन खबरों को क्यों एक अफवाह बताया? कैसे बने यह क्रिकेटर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री? अगर आप भी जानना चाहते हैं इन सवालों के जवाब तो वीडियो के लास्ट तक बने रहे। दोस्तों, वैसे तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस जानी मानी हस्ती की बात कर रहे हैं। जी हां, सही समझे? हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री

इमरान खान के बारे में जिनके मरने की खबर ने पाकिस्तान से लेकर पूरे सोशल मीडिया पर हड़कंप मचा दिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इमरान खान को जेल में ही मार दिया गया है जो पिछल 3 साल से रावलपिंडी स्थित अदियाला जेल में अपनी सजा काट रहे थे पर अब वह इस दुनिया में नहीं है। हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक सरकार ने नहीं की है। लेकिन जेल के अंदर से एक ताबूत को देर रात बाहर निकलते हुए देखा गया था। जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। इस ताबूत को देख लोगों ने अंदाजा लगाया कि जरूर इसमें इमरान खान की बॉडी हो सकती है।

पर सरकार और जेल प्रशासन ने इस पर भी कुछ नहीं कहा। जिस वजह से कुछ लोगों को भी यह महज एक अफवाह लगने लगी। लेकिन इस अफवाह ने उस वक्त हकीकत का रूप लेने की कोशिश की जब इमरान खान के परिवार ने बताया कि उन्हें 15 दिन से इमरान से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उन्हें ना तो इमरान की सेहत से जुड़ी जानकारी दी जा रही है और ना ही बताया जा रहा है कि वह अब भी कहां है और ऐसा कुछ इमरान के वकील का भी कहना है जिन्हें उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही है। तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सच में इमरान खान की जान चली गई है? क्या उन्हें जेल में ही रहस्यमई तरीके से

मार दिया गया है? यह जानने से पहले हम इमरान खान के बारे में थोड़ा जान लेते हैं कि वह किस तरह एक आम इंसान से क्रिकेटर और क्रिकेटर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। इस कहानी की शुरुआत होती है 5 अक्टूबर साल 1952 से जब लाहौर के एक रईस परिवार में इमरान अहमद खान नियाजी का जन्म हुआ। उनके पिता इकरामुल्लाह खान नियाज़ी पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे। जबकि मां शौकत खानम एक हाउसवाइफ जो घर के कामकाज के साथ-साथ अपनी चार बेटियों और एक बेटे की देखभाल करती थी। इमरान बचपन से ही काफी शर्मीले मिजाज के इंसान थे जो कम बोलना पसंद करते थे। उन्होंने लाहौर में एचएसएन

कॉलेज और कैथेट्रल स्कूल में अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की। साथ ही क्रिकेट की भी प्रैक्टिस करते रहे। दरअसल इमरान को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था जो आगे चलकर उनका प्रोफेशन भी बन गया। बता दें 16 साल की उम्र में ही उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से अपने करियर की शुरुआत की थी। 1970 के दशक के शुरुआती दिनों में उन्होंने स्थानीय टीमों के लिए खेला जैसे लाहौर ए, लाहौर बी, लाहौर ग्रीस और लाहौर जहां उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। इसके बाद वो सितंबर 1971 में इंग्लैंड पहुंचे और वहां इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और 1973 से 1975

तक यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ब्लूस क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। इसी दौरान इमरान ने अपनी हायर एजुकेशन के लिए केबल कॉलेज ऑक्सफोर्ड में एडमिशन ले लिया। जहां उन्होंने फिलॉसोफी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट को बारीकी से जाना और पढ़ाई पूरी करने के बाद वापस क्रिकेट के मैदान में उतर आए। इमरान ने सबसे पहले इंग्लैंड के खिलाफ वन डे में डेब्यू किया। और आपको बता दें साल 1992 में आखिरी वन डे भी उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला था। 1980 के दशक की शुरुआत तक इमरान खान ने एक साधारण असाधारण गेंदबाज और ऑलराउंडर के रूप में अपनी इमेज

बना ली थी और 1982 में उन्हें 1920 में पाकिस्तानी का 13वां टेस्ट कप्तान नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने 48 टेस्ट मैचों में कप्तानी की जिनमें 14 मैच जीते और आठ हारे। वहीं वन डे में उन्होंने 139 मैचों में कप्तानी की जिनमें 75 जीते, 59 हारे। इमरान खान को वन डे में पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान के रूप में देखा जाता है। जिन्होंने टीम को कई मैचेस जिताए लेकिन 1992 में कुछ ऐसा हुआ जिसे देख पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया हक्का बक्का रह गई और यह कारनामा करने वाले थे इमरान खान जो पाकिस्तान के इतिहास में इकलौते ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्हें सन्यास लेने के

बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउल हक के आग्रह पर वापसी करनी पड़ी थी। दरअसल साल था 1987। पाकिस्तान की टीम वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में छह में से पांच मैच जीत चुकी थी। उसे एक में सिर्फ हार का सामना करना पड़ा। वेस्ट इंडीज ने ग्रुप स्टेज के आखिरी मुकाबले में पाक को 28 रन से हरा दिया। इसके बावजूद इमरान खान की कप्तानी में टीम 8 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंच गई थी। सेमीफाइनल में मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था। पर इमरान टॉस हार गए। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में पाकिस्तान को 268 रन बनाने का टास्क दिया। जबकि पाक की पूरी टीम 239 रन पर ऑल आउट हो गई तो वहीं

ऑस्ट्रेलिया 18 रन से जीतकर फाइनल में पहुंच गया। इस हार से निराश होकर इमरान खान ने सन्यास ले लिया था और उनकी जगह अब्दुल कादिर को टीम की कमान सौंपी गई। जिनके नेतृत्व में टीम पांच में से चार मैच हार गई। सिर्फ एक में जीत मिली इंग्लैंड से सीरीज के बाद अब पाक को वेस्टइंडीज का दौरा करना था। लेकिन पाकिस्तानी टीम की हालत काफी ज्यादा खराब थी। जिस वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जियाउल हक ने इमरान से सन्यास वापस लेने के लिए कहा और इमरान ने उनकी बात का मान रखते हुए दोबारा क्रिकेट के मैदान पर अपने कदम जमाए और इंग्लैंड को हराकर 1992 में

पहली बार वर्ल्ड कप जीत लिया। यानी जियाउल हक ने इमरान पर जो भरोसा दिखाया वो सही साबित हुआ। इस मैच के बाद इमरान की पॉपुलैरिटी इस कदर बढ़ गई कि वो इंडिया के भी चहेते क्रिकेटर बन गए। उन्होंने अपने खेल के दौरान कई युवा खिलाड़ियों को निखारा जिनमें वसीम अकरम और वकार यूनुस का नाम भी शामिल है। जी हां, रिवर्स स्विंग के सुल्तान कहे जाने वाले अकरम ने इमरान से ही गेंदबाजी की कला सीखी थी। जबकि टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने अपनी आत्मकथा इमपरफेक्ट में लिखा था कि अगर इमरान खान उनके कप्तान होते तो वह बेहतर क्रिकेटर होते। इसी बात से आप

अंदाजा लगा सकते हैं कि इमरान कितने टैलेंटेड खिलाड़ी थे और उनके फॉलोवेयर्स भारत के कई दिग्गज गेंदबाज भी थे जो इमरान की इज्जत तो करते ही थे। साथ ही उन्हें एक गुरु की तरह देखते थे। लेकिन 1992 में इमरान ने क्रिकेट से सन्यास ले लिया और पाकिस्तान की राजनीति में कदम रखा। हालांकि बतौर राजनेता कभी उन्हें इतनी तवज्जो नहीं मिली। लेकिन साल 2018 में वह पाकिस्तान की सियासी कमान संभालने की कगार पर खड़े हो गए। राजनीतिक पारी की शुरुआत में जिस इमरान खान को पाकिस्तानी मीडिया और वहां की आवाम तवज्जो नहीं देती थी, वहीं 2018 में महिलाओं और युवाओं का एक

बड़ा वर्ग उनका समर्थन करने लगा। जिसके चलते वो पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने। 25 जुलाई 2018 को इमरान की पीटीआई पाकिस्तान की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। उन्हें पाकिस्तान की संसद में हुई वोटिंग में जिसका आंकड़ा करीब 172 वोट्स का होता है। इसके उल्ट इमरान को करीब 176 वोट्स मिले थे। जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष शहबाज शरीफ को केवल 96 वोट मिले थे। इस तरह इमरान खान पाकिस्तान के पहले हाई डिमांडेड प्रधानमंत्री बने पर वह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। बल्कि इससे पहले ही उन्हें जेल में डाल दिया गया। जिसकी वजह

इमरान पर लगाए गए आरोप है और इस बात का खुलासा खुद इमरान खान ने गिरफ्तार होने से पहले अलजजीरा न्यूज़ चैनल पर किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि उनके नाम 85 अलग-अलग मामले दर्ज है। उन पर प्रधानमंत्री रहते हुए रियलस्टेट डेवलपर से तोहफे के रूप में जमीन लेने और बदले में अवैध काम करने के आरोप है। इतना ही नहीं इमरान पर पीएम रहते हुए गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने का भी इल्जाम लगा था। लेकिन इस केस में वह बरी हो गए। पर साल 2023 में सरकारी उपहारों की बिक्री और गैरकानूनी शादी से जुड़े तीन मामलों में उन्हें दोषी ठहराया गया और जेल पर

पहुंचा दिया गया। जबकि साल 2025 में पाकिस्तान की एक अदालत ने अलकादिर ट्रस्ट के मामले में उन्हें 14 साल की सजा सुनाई और इमरान की पत्नी बुशरा बीबी को भी 7 साल की जेल हुई। बता दें कि इन दोनों को यह सजा अलकादिर यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में दी गई थी। साथ ही अदालत ने इमरान और उनकी पत्नी पर 190 मिलियन पाउंड का जुर्माना भी लगाया था। जबकि इमरान इस सजा के दौरान भी रावलपिंडी की अदियाला जेल में ही बंद थे। जिन्हें लेकर अब ऐसा कहा जा रहा है कि वह मारे जा चुके हैं। दरअसल अफगानिस्तान टाइम्स नाम के एक्स अकाउंट ने 26 नवंबर को

सोशल मीडिया पर इमरान की डेथ की खबर सांझा की। इस पोस्ट में दावा किया गया कि इमरान खान को रहस्यमई तरीके से मार दिया गया है और उनकी बॉडी को जेल से बाहर ले जाया गया है। इसके बाद इमरान के हजारों समर्थक और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक एंसाफ के सदस्य अदियाला जेल के बाहर जमा हो गए और उनके मरने से जुड़ी कई थ्योरीज सामने आने लगी। पहली थ्योरी में कहा गया कि अदियाला जेल में इमरान को किसी ने जहर दे दिया है जिसके चलते उनकी जान चली गई। जबकि दूसरी थ्योरी में कहा गया कि इमरान खान की किसी बीमारी के चलते जान गई है। वह पिछले काफी

वक्त से और टेनेटस जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे और मेडिकल रिपोर्ट में भी बताया गया कि उनके एक कान से लगातार सुनने की शक्ति कम हो रही है। हालांकि जेल में उनका इलाज चल रहा था और उन्हें कई महीनों से एकांत कारावास में रखा गया था। वहीं एक अफवाह यह भी है कि आर्मी चीफ आसिम मुनीर और आईएसआई के इशारे पर जेल में उन्हें मार दिया गया। लेकिन आसिम मुनीर की उनसे क्या दुश्मनी थी? तो आपको बता दें ऐसा कहा जाता है कि इमरान भारत और पाकिस्तान को एक देखना चाहते थे। उनकी दिल्ली इच्छा थी कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर हो जाए जबकि वह अमेरिका और चीन का विरोध किया

 

करते थे। साथ ही आर्मी जिसके फैसले को पाकिस्तान में आखिरी फैसला माना जाता है उसका वर्चस्व यहां कम हो जाए और पाकिस्तान एक लोकतांत्रिक देश के रूप में निखरे। लेकिन दोस्तों वहां की आर्मी को उनकी यह बात पसंद नहीं थी और उसके चीफ आसिम मुनीर तो इमरान खान को एक आंख नहीं भाते थे। इसीलिए ऐसा माना जाता है कि आसिम ने ही इमरान पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें जेल में पहन पहुंचा दिया था और अब उन्होंने ही उन्हें मरवा दिया है। हालांकि इमरान के मरने की पुष्टि नहीं की गई है बल्कि पाकिस्तान सरकार ने इन्हें कोरी अफवाह बताया है और कहा है कि इमरान पूरी तरह से

स्वस्थ है और उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। जबकि उनके मरने की खबर पूरी तरह से झूठी है और ना ही उन्हें किसी दूसरी जेल में शिफ्ट किया गया है। आपको बता दें कि इमरान की डेथ का दावा पहली बार नहीं किया गया है मई में। पाकिस्तान सरकार के विदेश मंत्रालय के लेटर हेड वाला एक डॉक्यूमेंट वायरल हुआ था जिसमें दावा किया गया था कि खान की जान जुडिशियल कस्टडी के दौरान चली गई है और अब मरने के हालात की जांच की जा रही है। इस अफवाह के फैलने के बाद पाकिस्तान के मिनिस्ट्री ऑन एफ इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग को एक प्रेस रिलीज जारी

करनी पड़ी जिसमें कहा गया कि यह डॉक्यूमेंट नकली है। तो दोस्तों, आपको क्या लगता है क्या इमरान खान जिंदा है या यह महज? एक अफवाह थी। अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। वीडियो पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक शेयर करके हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर लें। मिलते हैं अगली वीडियो में।