दोस्तों एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एक मरीज कई दिनों से बेहोश पड़ा था जब होश आया तो सबसे पहला सवाल था मेरे घर वाले कहां है लेकिन नर्स का जवाब सुनकर उसकी रूह काप गई आपके परिवार वालों ने कहा कि इसे बचाना है तो बचा लो या मरने दो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता जिस परिवार के लिए उसने अपनी जिंदगी लगा दी वही उसे मरने के लिए छोड़ गए पर एक सवाल अ भी उसे बेचैन कर रहा था अगर उन्होंने छोड़ दिया तो फिर मेरा इलाज किसने किया नर्स ने इशारा किया इस हॉस्पिटल की डॉक्टर साहिबा ने मरीज भारी कदमों से डॉक्टर के केबिन में गया लेकिन जैसे ही उसने डॉक्टर को देखा तो उसकी

आंखें फटी की फटी रह गई वह कांपते हाथों से डॉक्टर साहिबा के सामने झुका और उनके पैर पकड़कर फूट फूट कर रोते हुए कहने लगा मुझे माफ कर दो प्लीज मुझे माफ कर दो दोस्तों कौन था यह मरीज आखिर उसने ऐसा क्या किया था कि वह इस डॉक्टर साहिबा से माफी मांग रहा था और यह डॉक्टर साहिबा कौन थी जिसने बिना किसी रिश्ता नाते के उसकी जान बचाई दोस्तों पूरी सच्चाई जानने के लिए वीडियो को अंत तक जरूर देखें साथ ही वीडियो पर लाइक करें और चैनल को जरूर करें ताकि आपका सपोर्ट मिलता रहे और हमारा हौसला बढ़ता रहे दोस्तों झारखंड के जमशेदपुर के पास एक छोटे से गांव में

संगीता नाम की लड़की अपने परिवार के साथ रहती थी उसके पिता के पास अच्छा पैसा था और घर में किसी चीज की कमी नहीं थी संगीता अपने माता-पिता की लाडली थी और उसका एक छोटा भाई भी था संगीता पढ़ने में तेज थी और उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ी डॉक्टर बने उसके माता-पिता भी उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते थे लेकिन जैसे ही वह बड़ी हुई उसके पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगी एक दिन उन्होंने संगीता से कहा बेटा अब तुम बड़ी हो गई हो हमें तुम्हारी शादी के बारे में सोचना चाहिए यह सुनते ही संगीता ने साफ मना कर दिया पिताजी मैं अभी शादी नहीं करना चाहती पहले

मुझे पढ़कर एक बड़ा डॉक्टर बनना है उसके बाद ही शादी करूंगी पिता ने बेटी की बात तो समझी लेकिन गांव का माहौल और समाज की बातें उन्हें परेशान करने लगी उन्होंने कहा बेटा तुम्हारी बात सही है लेकिन गांव वाले तरह-तरह की बातें बना रहे हैं लोग कह रहे हैं कि लड़की बड़ी हो गई फिर भी इसकी शादी क्यों नहीं हो रही मैं नहीं चाहता कि लोग तुम्हारे बारे में उल्टा सीधा बोले मैं वादा करता हूं कि शादी के बाद भी तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकेगी संगीता ने अपने पिता की चिंता को देखते हुए शादी के लिए हा कर दी इसके बाद पिता ने संगीता के लिए अच्छा लड़का ढूंढना

शुरू किया काफी खोजने के बाद उन्हें सुरेश नाम का एक लड़का मिला जो जमशेदपुर में रहता था सुरेश का परिवार बड़ा और संपन्न था उन का बड़ा बिजनेस था और पैसों की कोई कमी नहीं थी सुरेश अपने माता-पिता और दो बड़े भाइयों के साथ रहता था जिनकी पहले ही शादी हो चुकी थी जब सुरेश ने संगीता की तस्वीर देखी तो उसे पहली ही नजर में पसंद कर लिया और शादी के लिए हां कह दी संगीता के पिता ने शादी से पहले सुरेश और उसके परिवार से एक बात साफ कह दी हमारी बेटी पढ़ाई करना चाहती है शादी के बाद भी उसे पढ़ने देना होगा अगर आप पढ़ाई में पैसे लगाना चाहते तो कोई बात नहीं मैं अपनी

बेटी की पढ़ाई का खर्च खुद उठाऊंगा लेकिन उसकी पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए सुरेश के घरवाले इस बात पर थोड़ी देर तक सोचते रहे लेकिन फिर उन्होंने हामी भर दी इसके बाद संगीता और सुरेश की शादी हो गई और शादी के बाद संगीता जब ससुराल पहुंची तो वहां का माहौल बहुत अच्छा था बड़ा घर अच्छा परिवार और हर तरह की सुख सुविधा थी संगीता ने ससुराल में सबका दिल जीत लिया वह पूरे परिवार के साथ हसती खेलती और घर को अच्छे से संभालती थी सुरेश को संगीता पहली नजर में ही पसंद आ गई थी इसलिए धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार और गहरा हो गया संगीता ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी

लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया संगीता की जेठा नियों मतलब सुरेश के भाइयों की पत्निया को यह बात टकने लगी उन्हें जलन होने लगी कि जब वे घर का काम कर रही होती है तो संगीता बाहर जाकर पढ़ाई कर रही होती है उन्होंने सोचा अगर यह पढ़ लिखकर बड़ी डॉक्टर बन गई तो घर में इसका रुतबा सबसे ऊपर हो जाएगा हमें कोई अहमियत ही नहीं मिलेगी बस यही सोचकर वे दोनों मिलकर संगीता के खिलाफ साजिश रचने लगी शुरू में उन्होंने घर में छोटी-छोटी अफवाह फैलाने शुरू की देखो ना संगीता को घर के काम से कोई मतलब ही नहीं दिन भर बाहर रहती है पता नहीं किससे मिलती हो हो धीरे-धीरे यह

बातें सुरेश और उसके माता-पिता तक पहुंच गई लेकिन सुरेश के माता-पिता संगीता को बहुत पसंद करते थे उन्होंने कहा हमें इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए संगीता हमारे कहे अनुसार ी चलती है हमें उस पर पूरा भरोसा है सुरेश ने भी अपनी मां की बात मान ली और इस तरह यह अफवाह दब गई लेकिन क्या यह साजिश यही खत्म हो गई थी क्या संगीता की जेठा निया हार मान गई या उन्होने कुछ और बड़ा करने की योजना बनाई क्या सुरेश और उसके माता-पिता हमेशा संगीता का साथ देंगे खैर दोस्तों संगीता की जेठा नियों ने जब देखा कि अफवाह फैलाने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा तो उन्होंने एक

और खतरनाक चाल चलने का फैसला किया इस बार वे संगीता की पूरी जिंदगी बदलने पर उतारो थी वे चुपके से उसके कॉलेज पहुंच गई और वहां से संगीता की कुछ तस्वीरें निकाल ली तस्वीरों में वह अपने एक क्लासमेट से बात कर रही थी बस यही मौका चाहिए था उन्हें उन्होंने तस्वीरों को थोड़ा घुमा फिरा कर पेश किया ताकि ऐसा लगे कि संगीता का उस लड़के से कुछ खास रिश्ता है फिर उन्होंने धीरे-धीरे घर में अफवाहें उड़ानी शुरू कर दी देखो हमारी नई बहू का तो किसी और के साथ ही चक्कर चल रहा है दिन रात पढ़ाई के नाम पर बाहर रहती है असल में करती क्या है

कोई नहीं जानता यह बातें सुरेश के माता-पिता के कानों तक भी पहुंची लेकिन वे समझदार थे उन्होंने कहा हमें इन सब बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए हमारी बहू ऐसी नहीं है लेकिन जब यही तस्वीरें सुरेश तक पहुंची तो उसकी आंखों में आग भर गई वह बिना कुछ सोचे समझे गुस्से में उबल पड़ा उसने तुरंत संगीता से सवाल जवाब करने शुरू कर दिए यह सब क्या है तुमने मुझे धोखा दिया संगीता ने समझाने की कोशिश की सुरेश यह सब झूठ है यह लड़का मेरी क्लास में पढ़ता है हम सिर्फ पढ़ाई की बातें कर रहे थे लेकिन तुम्हारी भाभिया सिर्फ मेरे खिलाफ साजिश रच रही है लेकिन सुरेश के

दिमाग में अपने भाभियों की भरी झर भरी बातें गूंज रही थी वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था घर में एक बड़ी बहस छिड़ गई संगीता के सा ससुर ने भी सुरेश को समझाने की कोशिश की लेकिन इस बार भाभियों की चाल सफल हो गई थी पूरे परिवार के सामने फैसला लिया गया कि अब संगीता घर से बाहर पढ़ाई करने नहीं जाएगी संगीता के दिल को यह बात चीर गई उसने तुरंत विरोध किया नहीं मैंने शादी से पहले ही साफ कह दिया था कि मुझे पढ़ाई पूरी करनी है मैं अपना सपना अधूरा नहीं छोड़ सकती सुरेश ने गुस्से में जवाब दिया अगर इस घर में रहना है तो पढ़ाई छोड़नी होगी

यह आखरी फैसला है संगीता का दिल टूट गया लेकिन उसने चुप रहकर कुछ दिनों तक सोचना बेहतर समझा पाच दिन बीत गए इस दौरान संगीता ने कई बार सुरेश को समझाने की कोशिश की सुरेश मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है तुम्हारे अलावा किसी और के बारे में कभी सोचा तक नहीं यह सब तुम्हारी भाभियों का जाल है लेकिन सुरेश ने उसकी एक भी बात पर ध्यान नहीं दिया वह अब पूरी तरह से अपनी भाभियों की बातों में आ चुका था अंत में पाच दिन बाद उसने संगीता के सामने एक आखिरी फैसला रख दिया अगर तुम्हें इस घर में रहना है तो पढ़ाई छोड़नी होगी नहीं तो तुम अपने मायके जा सकती हो घर में सभी लोग

बैठे थे माहौल बिल्कुल गंभीर था संगीता ने गहरी सांस ली और कुछ देर तक चुप रही फिर उसने एक ऐसा जवाब दिया जिसने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया अगर मेरी पढ़ाई से इस परिवार को परेशानी हो रही है तो क्यों ना हम इस परिवार से अलग हो जाएं सुरेश के अंदर गुस्से का ज्वाला मुखी फट पड़ा उसने गुस्से में संगीता को धमकाया तुम मुझे परिवार से अलग करने की बात बात कर रही हो तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई गुस्से में वह उसकी तरफ बढ़ा जैसे कि उसे मारने ही वाला था लेकिन तभी सुरेश के माता-पिता और उसके बड़े भाई बीच में आ गए सुरेश रुक जाओ हम इस घर में हाथ उठाने वाली बात बर्दाश्त

नहीं करेंगे फिर उन्होंने संगीता के पिता को बुलाया और फैसला लिया गया कि संगीता कुछ दिन मायके में रहेगी थोड़े दिन वहां रहेगी तो शायद इसे समझ आ जाएगा कि औरत को अप ने परिवार के हिसाब से चलना चाहिए संगीता के लिए यह किसी सजा से कम नहीं था वह सिर्फ पढ़ना चाहती थी और इसी वजह से उसे माइके भेज दिया गया जब वह अपने पिता के घर पहुंची तो उसके आंसू रुख ही नहीं रहे थे उसने रोते हुए कहा पिताजी मैंने पहले ही कहा था कि मुझे पढ़ाई करनी है लेकिन इन लोगों ने झूठे इल्जाम लगाकर मेरी पढ़ाई रोक दी मुझे वहां वापस नहीं जाना उसके पिता ने उसे गले लगा लिया

उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा बेटा अब जो होगा वह सिर्फ तुम्हारी मर्जी से होगा लेकिन दोस्तों क्या वाकई संगीता की जिंदगी अब उसके फैसले के अनुसार चलेगी क्या सुरेश को कभी सच्चाई का एहसास होगा क्या संगीता अपना सपना पूरा कर पाएगी खैर संगीता के पिता उसे समझाने की कोशिश करते हैं बेटी हर घर में छोटी मटी नोकझोंक होती है इसका मतलब यह नहीं कि तुम अपनी शादी तोड़ने का फैसला कर लो लेकिन संगीता की आंखों में अटूट हौसला था उसने दृढ़ता से कहा पिताजी अगर आपको लगता है कि मैं गलत कर रही हूं तो आप मेरी एक बात समझ लीजिए मैंने शादी

से पहले ही कह दिया था कि मुझे पढ़ाई करनी है और अपने पैरों पर खड़ा होना है अगर सुरेश और उसका परिवार मेरी पढ़ाई को स्वीकार कर सकते हैं तो ही मैं उनके घर वापस जाऊंगी वरना मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूंगी चाहे मुझे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े संगीता का आत्मविश्वास देखकर उसके पिता भी चुप हो गए उन्होंने अपनी बेटी के फैसले को स्वीकार कर लिया दिन बीतते गए महीने गुजरते गए पूरे छ महीने हो गए लेकिन सुरेश ने ना तो फोन किया और ही संगीता को वापस लाने की कोई कोशिश की आखिरकार संगीता के पिता ने खुद पहल की और सुरेश के माता-पिता को फोन किया समधी जी

बच्चों को समझाइए इस तरह एक घर उजाड़ देना ठीक नहीं है सुरेश के माता पिता ने गहरी सांस ली और बोले हम भी यही चाहते हैं लेकिन सुरेश अपनी जिद पर अड़ा है वह कहता है कि अगर संगीता इस घर में वापस आएगी तो उसे पढ़ाई छोड़नी होगी संगीता के पिता ने ठंडी आवाज में जवाब दिया अगर आपका बेटा जित पर अड़ा है तो मेरी बेटी भी अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी वह पढ़ाई करेगी चाहे कुछ भी हो जाए अब हालात और भी ज्यादा बिगड़ने लगे धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई गई कि सुरेश ने संगीता को तलाक देने का फैसला कर लिया सुरेश के माता-पिता को पता था कि

वह संगीता से बेइंतहा प्यार करता है लेकिन अपने भाभियों के चाल में फंसकर उसने अपने प्यार की कुर्बानी दे दी आखिरकार दोनों का तलाक हो गया तलाक के बाद संगीता ने खुद को पूरी तरह से पढ़ाई में झोक दिया सुरेश की यादें कभी-कभी उसके दिल में हलचल मचा देती लेकिन वह खुद को संभाल लेती वो जानती थी कि अब उसे सिर्फ अपने सपनों की तरफ बढ़ना है समय बीतता गया सालों बाद संगीता अपने कड़े परिश्रम और समर्पण से एक मशहूर डॉक्टर बन गई इन आठ सालों में उसके पिता ने कई बार उससे दोबारा शादी करने की बात की लेकिन हर बार संगीता ने साफ मना कर दिया अब वो ना केवल एक सफल डॉक्टर थी

बल्कि उसने अपने पैसों से एक बड़ा हॉस्पिटल भी बनवा लिया था जहां वह गरीबों का इलाज मुफ्त में किया करती थी एक दिन शाम को जब वह अपने हॉस्पिटल में मरीजों की जांच कर रही थी तभी इमरजेंसी वार्ड में हड़कंप मच गया डॉक्टर मैम एक मरीज को बहुत बुरी हालत में लाया गया है उसका एक्सीडेंट हुआ है संगीता भागकर ऑपरेशन थिएटर के पास पहुंची जैसे ही उसने स्ट्रेचर पर पड़े घायल मरीज की ओर देखा उसके पैरों तले जमीन खिसक गई वह कोई और नहीं बल्कि सुरेश था उसका चेहरा खून से लथपथ था शरीर पर कई गहरे घाव थे वह बेहोश पड़ा था संगीता ने अपने दिल को कड़ा किया और रिसेप्शनिस्ट को

बुलाकर तुरंत सुरेश के परिवार वालों को फोन करने के लिए कहा रिसेप्शनिस्ट ने तुरंत सुरेश के परिवार वालों को फोन करके बताया कि सुरेश का एक्सीडेंट हो गया है और उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है जल्दी से आकर उसे देखिए और इलाज के पैसे जमा करिए लेकिन दूसरी तरफ से एक ठंडी आवाज आई हम किसी सुरेश को नहीं जानते दोस्तों आज वही परिवार जिसके लिए सुरेश ने कभी संगीता को छोड़ा था आज उसी परिवार ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया था खैर रिसेप्शनिस्ट संगीता के केबिन में आई और धीरे से बोली डॉक्टर साहिबा हमने सुरेश के घर वालों को फोन किया लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि

वह किसी सुरेश को नहीं जानते संगीता के चेहरे पर हैरानी और दर्द एक साथ उभरा उसे यकीन नहीं हुआ कि सुरेश के परिवार ने इतनी आसानी से उसे ठुकरा दिया लेकिन फिर उसने सोचा हो सकता है इतने सालों में उन्होंने अपना नंबर बदल लिया हो और फोन गलती से किसी और के पास चला गया हो यही सोचकर उसने फैसला किया कि सुरेश का इलाज हॉस्पिटल की तरफ से करवाया जाएगा आखिर यह हॉस्पिटल खुद डॉक्टर साहिबा की ही थी इसलिए उसने खुद सुरेश की देखभाल करनी शुरू कर दी इसी तरह चार पांच दिन बीत गए और आखिरकार एक दिन अचानक सुरेश को होश आ गया उसने नर्स को देखा और धीमी आवाज में कहा मेरे घर वालों

को बुलाइए नर्स ने हल्की उदासी के साथ जवाब दिया सर हमने आपके घर फोन किया था लेकिन उन्होंने कह दिया कि वह किसी सुरेश नाम के शख्स को नहीं जानते यह सुनकर सुरेश का पूरा शरीर सुन पड़ गया उसने कापते हाथों से नर्स से पूछा फिर मेरा इलाज कौन करवा रहा है नर्स मुस्कुराई और बोली आपका पूरा इलाज हॉस्पिटल की तरफ से किया जा रहा है आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है सुरेश के दिमाग में तूफान मच गया उसने नर्स से उन नंबरों की लिस्ट मांगी जिन पर फोन किया गया था जैसे ही उसने उन नंबरों को देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गई यह नंबर उसके बड़े भाई के थे उसके अपने भाई

जिनके लिए उसने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था आज उसे पहचानने से भी इंकार कर रहे थे एक झटके में वह अंदर तक टूट गया उसने भारी आवाज में नर्स से कहा मेरा इलाज कौन सा डॉक्टर कर रहा है मैं उनसे से मिलना चाहता हूं नर्स ने डॉक्टर के केबिन की ओर इशारा करके कही डॉक्टर साहिबा से मिल लीजिए वही आपकी देखभाल कर रही है सुरेश लड़खड़ाते कदमों से डॉक्टर साहिबा के केबिन की ओर बढ़ा जैसे ही दरवाजा खोला सामने जो चेहरा देखा वह देखकर उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े वह संगीता थी संगीता को देखकर सुरेश की आंखों में पछतावे की गहराई थी उसकी जुबान कांपने लगी संगीता ने शांत

आवाज में कहा आओ बैठो कैसी तबीयत है अब यह सुनते ही सुरेश फूट फूट कर रो पड़ा उसने संगीता के पैरों को पकड़ लिया और गिड़गिड़ा लगा संगीता मुझे माफ कर दो मैंने पूरी दुनिया देख ली अब समझ आया कि मैंने कितनी बड़ी गलती की थी संगीता ने हल्की मुस्कान के साथ कहा मैंने तो यह दुनिया पहले ही देख ली थी सुरेश तभी तो मैंने तुम्हें इस हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया हमारा रिश्ता बहुत पहले खत्म हो चुका था लेकिन कुछ यादें थी जिनकी खातिर मैंने तुम्हारा इलाज करवा दिया सुरेश की आंखों से फिर आंसू बहने लगे उसने कांपती आवाज में कहा थैंक यू संगीता सच में थैंक यू

तभी संगीता के मन में एक ख्याल आया उसने सुरेश को रोका और पूछा मेरे सास ससुर कैसे हैं सुरेश का चेहरा एकदम बुझ गया उसने धीरे से कहा जब हमारा तलाक हुआ उसके छ महीने बाद ही दोनों बहुत बीमार रहने लगे आखिरी वक्त तक वह यही कहते रहे कि बेटा तू बहुत बड़ी गलती कर रहा है लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी और फिर वह एक दिन चल बसे संगीता को यह सुनकर बहुत बड़ा झटका लगा लेकिन सुरेश आगे बोलता गया जब वह चले गए और तुम भी मेरी जिंदगी से चली गई तब मैंने अपने भाइयों के साथ रहना शुरू कर दिया लेकिन अब समझ आ रहा है कि जिन भाइयों के लिए मैंने तुम्हें छोड़ा वही मुझे

पहचानने से इंकार कर चुके हैं और सुरेश फिर बताया जो संपत्ति मेरे हिस्से में आई थी व भी उन्होंने अपने नाम करवा ली उन्होंने कहा जब तू शादी ही नहीं कर रहा तो तुझे इन चीजों की जरूरत ही क्या है फिर सुरेश ने गहरी सांस ली और दर्द भरी आवाज में कहा आज मुझे सबका असली चेहरा दिख गया संगीता संगीता कुछ पल चुप रही फिर अचानक उसने गौर किया कि सुरेश ने अब तक शादी नहीं की वो उसकी आंखों में पछतावे का सैलाब देख सकती थी उसने धीरे से कहा अगर तुम्हें इतना ही अफसोस था तो कभी मेरे पास आकर यह सब बताया क्यों नहीं सुरेश ने अपनी भीगी आंखें ऊपर उठाई और कांपती आवाज में

बोला मैं आता पर किस मुंह से मैं ही था जिसने तुम्हें ठुकरा दिया था वह भी अपने उन भाभी और भाइयों के लिए जिन्होंने आज मुझे पहचानने से भी इंकार कर दिया इतना कहते ही वह फिर से फूट फूट कर रोने लगा इस बार संगीता खुद अपनी कुर्सी से उठी उसके पास आ और हल्के से उसका कंधा थप पाया सुरेश जो हुआ सो हुआ अब उस दर्द को पीछे छोड़ दो और आगे की जिंदगी अच्छे से जियो सुरेश ने मायूसी से सिर झुका लिया अब इस जिंदगी में बचा ही क्या है संगीता मैंने सब कुछ खो दिया बस तुम्हारे वह पैसे लौटाने हैं जिनसे तुमने मेरा इलाज करवाया उसके बाद जहां तक किस्मत ले जाएगी चला जाऊंगा

संगीता ने ठहर कर उसकी ओर देखा फिर एक गहरी सांस लेते हुए कहा जिंदगी अभी खत्म नहीं हुई सुरेश अगर तुम चाहो तो हम फिर से साथ रह सकते हैं सुरेश ने चौक करर उसकी ओर देखा तुम तुम अी मुझे अपनाने के लिए तैयार हो संगीता मुस्कुराई हां क्योंकि मैं आज भी तुमसे प्यार करती हूं और शायद तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए जगह अब भी है वरना तुमने भी अब तक शादी कर ली होती सुरेश की आंखें एक बार फिर छलक पड़ी ने झट से संगीता को गले लगा लिया और दोनों जोर-जोर से रोने लगे फिर कुछ देर बाद संगीता ने अपने पिता को फोन किया और कहा पापा मुझे सुरेश फिर से मिल गया और मैं

उसी से दोबारा शादी करना चाहती हूं उसके पिता यह सुनकर बेहद खुश हुए आखिरकार उनकी बेटी ने इतनी सालों तक शादी नहीं की थी और समाज में लोग तरह-तरह की बातें बना रहे थे अब जब वह फिर से सुरेश से शादी करेगी तो सब कुछ ठीक हो जाएगा का कुछ ही दिनों में धूमधाम से संगीता और सुरेश की शादी हो गई सुरेश अब संगीता के साथ हॉस्पिटल में ही काम करने लगा वह हॉस्पिटल का पूरा मैनेजमेंट संभालता और संगीता मरीजों का इलाज करती जब सुरेश के भाई भाभी को यह खबर मिली कि उसने फिर से संगीता से शादी कर ली है तो उन्हें डर लगने लगा कि कहीं वह अपनी

प्रॉपर्टी वापस ना मांग ले लेकिन सुरेश ने साफ शब्दों में कह दिया आप बेफिक्र रहिए मुझे आपकी द दलत से कोई मतलब नहीं मेरी असली दौलत संगीता है और वह मुझे मिल चुकी है इसके बाद सुरेश ने कभी भी अपने घर वालों से कोई रिश्ता नहीं रखा और अपनी बाकी जिंदगी संगीता के साथ खुशी-खुशी गुजारने लगा दोस्तों इस कहानी से सीख मिलती है कि रिश्तों को अहंकार और बाहरी प्रभावों के कारण नहीं तोड़ना चाहिए सच्चा प्यार और अपनापन सबसे बड़ी दौलत होती है जिसे समय रहते समझ लेना चाहिए तो दोस्तों यह थी आज की कहानी अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो कमेंट में जरूर बताइए और हां

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