एक बहुत बड़े बंगले में घर के इकलौते बेटे की शादी की पटी चल रही थी मेहमान नाच गा रहे थे हंस बोल रहे थे और नए जोड़े को आशीर्वाद दे रहे थे लेकिन किसी को नहीं पता था कि इस चमकते महल के अंदर एक तूफान आने वाला है एक ऐसा तूफान जो इस घर की बुनियाद को हिलाकर रख देगा रात जैसे-जैसे बीत रही थी पार्टी अपने आखिरी पड़ाव पर थी तभी अचानक घर का इकलौता बेटा जिसकी शादी की पार्टी चल रही थी तेज कदमों से स्टेज की तरफ बढ़ा उसके चेहरे पर अजीब सा तनाव था आंखों में एक अजीब चमक उसने माइक उठाया और पूरे हॉल में उसकी आवाज गूंज उठी रुकिए पार्टी खत्म होने से पहले मुझे आप सबसे
कुछ कहना है पूरा हॉल एकदम अचानक शांत हो गया हर कोई उसे देखने लगा कुछ को लगा कि वह अपनी पत्नी के लिए कोई सरप्राइज देने वाला है लेकिन जो हुआ उसने सभी को चौंका दिया वह अपनी मां और पिता की तरफ देखता है और सख्त लहजे में कहता है मां बाबूजी स्टेज पर आइए मां की आंखों में खुशी थी पिता के चेहरे पर गर्व उन्हें लगा कि उनका बेटा सबके सामने उन्हें सम्मान देने वाला है उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी दुनिया कुछ ही पलों में उजड़ने वाली है जैसे ही वे स्टेज पर पहुंचे लड़के ने बिना किसी हिच की चाहट के कहा मां बाबू जी अब वक्त आ गया है कि आप लोग यह घर छोड़ दे
पूरा हॉल सन्नाटे में डूब गया किसी को यकीन नहीं हुआ कि उन्होंने सही सुना मां का चेहरा सफेद पड़ गया पिता की आंखों में सवाल तैरने लगे बेटा यह क्या कह रहे हो यह मजाक है ना मां की आवाज कांप रही थी लड़के ने ठंडी नजरों से उन्हें देखा और कहा नहीं मां यह मजाक नहीं है अब से यह घर मेरा है मेरी पत्नी का है आप लोगों के लिए इसमें कोई जगह नहीं है अब आप लोग भीख मांग कर जियो या कहीं और जाओ मुझे फर्क नहीं पड़ता मां का कलेजा फड़ गया पिता का सिर चकरा गया भीड़ में लोग एक दूसरे की ओर देखने लगे किसी को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है पिता ने कापते हुए हाथों
से बेटे के कंधे पर हाथ रखा और बोले बेटा यह वही घर है जिसे हमने अपने खून पसीने से बनाया था यह सब कुछ तुम्हारे लिए किया था और आज तुम हमें ही बेघर कर रहे हो लड़के ने की ओर देखा लेकिन उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं था अब यह घर मेरा है और मुझे नहीं लगता कि यहां आपकी जरूरत है इसलिए या तो आप लोग खुद से चले जाए या फिर मुझे आपको धक्के देकर बाहर निकालना पड़ेगा इतना सुनते ही मां जमीन पर बैठ गई उनकी आंखों से आंसू बहने लगे पिता ने आसमान की तरफ देखा शायद अपनी किस्मत को कोस रहे थे लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ था जिस बेटे को उ उन्होंने अपनी जान से ज्यादा प्यार किया
वह आज उन्हें सड़क पर क्यों छोड़ रहा था क्या इसकी वजह ई बहु थी या फिर इस कहानी के पीछे कोई और कड़वी सच्चाई छुपी थी आखिर सच क्या था पूरी कहानी जानने के लिए वीडियो को अंत तक जरूर देखें साथ ही वीडियो को लाइक करें और हमारे चैनल स्टोरी बाय बी के को सब्सक्राइब करें क्योंकि आपका सपोर्ट हमारे लिए बहुत मायने रखती है दोस्तों मुंबई के मशहूर बिजनेसमैन रमेश जी अब बूढ़े हो चुके थे उन्होंने जिंदगी भर मेहनत करके अपनी एक बड़ी कंपनी खड़ी की थी आलीशान बंगला था भरपूर दौलत थी लेकिन पत्नी के गुजर जाने के बाद वह अकेले पड़ गए थे उनका एक इकलौता बेटा था जो अब जवान
हो चुका था रमेश जी ने सोचा अब बेटे की शादी कर दूं बहू घर आएगी तो घर संभालेगी कम से कम मेरे बुढ़ापे में कोई तो अपना होगा जो साथ देगा शादी धूमधाम से हुई नई बहू घर में आई लेकिन रमेश जी के सपनों के उलट बेटे बहू का रवैया अजीब होने लगा पहले तो धीरे-धीरे दूरी बढ़ी फिर खुलकर उनके साथ बुरा व्यवहार होने लगा बेटा और बहू खुद अच्छे-अच्छे पकवान खाते लेकिन रमेश जी को रूखा सूखा खाना देते कभी-कभी तो खाना भी नहीं देते एक दिन उन्होंने चुपचाप देखा कि उनकी प्लेट में बचा हुआ खाना परोसा गया था आंखों में आंसू आ गए लेकिन असली दर्द तो तब हुआ जब जब बेटे ने बहू के साथ मिलकर
उन्हें पागल घोषित करवाने की साजिश रची कागजों पर दस्तखत करवा लिए सारी जायदाद अपने नाम करवा ली अब तो बेटा बिल्कुल बदल चुका था रमेश जी के लिए उस घर में कोई जगह नहीं बची थी अब बेटे और बहू के लिए वह एक बेकार इंसान से ज्यादा कुछ नहीं थे एक रात रमेश जी चुपचाप घर से निकल गए घर के दरवाजे पर खड़े होकर उन्होंने एक बार अपनी बनाई हुई जायदाद को देखा दीवारें वही थी छत वही थी लेकिन अब उनका वहां कोई हक नहीं था आंखों में आंसू आ गए दिल भारी था पैर कांब रहे थे लेकिन वह धीरे-धीरे उस घर से दूर चले गए भटकते भटकते सुबह हो गई व एक गुरुद्वारे के सामने पहुंचे वहां देखा लोग
लाइन में बैठे हुए थे भीख मांग रहे थे यह लोग कैसे जी रहे हैं क्या अब मुझे भी ऐसे ही जीना पड़ेगा कुछ सोचकर वह भी उस लाइन में सबसे पीछे बैठ गए लोगों ने खाना बांटना शुरू किया पहली बार इतने सालों बाद उन्होंने किसी से खाना लेकर खाया किसी ने कुछ पैसे दिए लेकिन रमेश जी ने वह पैसे उन जरूरतमंदों में बांट दिए इधर पड़ोसी बेटे से पूछने लगे तुम्हारे पिताजी कहां है बेटे ने झूठ बोला वह तीर्थ यात्रा पर गए हैं बड़ी कोठियों में लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते तो बात वही खत्म हो गई कुछ दिनों बाद रमेश जी के पुराने मोहल्ले का एक आदमी उसी गुरुद्वारे
में आया उसने देखा मैले कुचले कपड़े बढ़ी हुई दाढ़ी लेकिन चेहरा जाना बचाना था वह चौक गया अरे यह तो रमेश जी है वह उनके पास गया और पूछा आप यहां इस हालत में रमेश जी ने गहरी सांस ली और कहा बेटे भू ने घर से निकाल दिया प्रॉपर्टी हड़प ली अब और कहूं क्या आंखों में आंसू थे लेकिन अब कोई शिकायत नहीं थी मैंने सोचा ऐसे घुट घुट कर जीने से अच्छा मर ही जाऊ लेकिन मरना एक बड़ा पाप है और मैं ऐसा पाप कभी नहीं करना चाहता था अब जो भी जिंदगी बची है उसे यही काट लूंगा यहां गुरुद्वारे में खाना मिल जाता है भगवान का नाम लेने को भी मिलता है
मैं यही बैठकर भजन गा रहा हूं और जो भी लोग मुझे कुछ पैसे देते हैं वह भी मैं इन्हीं जरूरतमंद लोगों में बांट देता हूं बस जो भी खाना मिलता है उसे खाकर जिंदा हू यह सुनकर वो व्यक्ति दुखी हो गया उसने रमेश जी की आंखों में झांका और कहा कोई बात नहीं रमेश जी अगर तुम्हारा बेटा तुम्हें घर से निकाल सकता है तो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं चलो मेरे साथ चलो मैं तुम्हें अपने घर रखूंगा तुम्हारा ख्याल रखूंगा रमेश जी हल्का सा मुस्कुराया और सिर हिला दिया नहीं भाई जिसे मैंने पाला पोसा बड़ा किया जिसने मेरी उंगली पकड़कर चलना सीखा वही मुझे अपने घर में
रखने के लिए तैयार नहीं तो तुम क्यों मुझे अपनाने चले आए मुझे अच्छा नहीं लगेगा मैं यही ठीक हूं वह व्यक्ति मजबूर हो गया लेकिन फिर भी हार नहीं मानी वह गुरुद्वारे के अंदर गया और वहां की कमेटी के प्रधान को रमेश जी की हालत के बारे में बताया प्रधान ने पूरी बात ध्यान से सुनी कुछ पल सोचा और फिर बाहर आकर रमेश जी को देखा जो सिर झुकाए बैठा था प्रधान ने धीरे-धीरे रमेश जी के पास जाकर कहा बाबा आप बाहर क्यों ब हो अंदर चलिए यहां आपको रहने का अच्छा इंतजाम मिल जाएगा रमेश जी ने सिर उठाया उनकी आंखों में देखा और कहा मैं यही ठीक हूं
भगवान का भजन कर रहा हूं और जो भी लोग कुछ देते हैं उससे जरूरतमंदों की मदद करता हूं प्रधान ने फिर समझाया लेकिन बाबा आपको यहां इस हाल में नहीं रहना चाहिए आइए अंदर चलिए वहां आप आराम से रह सकते हैं भजन कर सकते हैं और कोई सेवा भी मिल जाएगी करने के लिए रमेश जी ने गहरी सांस ली और कहा अगर मुझे अंदर जाना है तो मेरी एक शर्त होगी प्रधान ने चौक कर पूछा क्या शर्त रमेश जी ने इधर-उधर बैठे उन लोगों की ओर इशारा किया जो भीख मांग रहे थे और कहा मुझे अकेले अंदर नहीं जाना अगर मैं अंदर गया तो इन सभी को भी अंदर लेकर जाना होगा प्रधान
थोड़ा असहज हो गया उसने रमेश जी की आंखों में देखा और और कहा बाबा आप इन सबसे अलग है यह लोग भीख मांगकर अपना धंधा चला रहे हैं जबकि आप मजबूरी में यहां बैठे हो आपने देखा होगा यह लोग रात होते ही यहां से चले जाते हैं लेकिन आप यही रहते हो इनका मकसद कुछ और है आपका कुछ और आप अंदर चलो आपको रहने की जगह भी मिलेगी और सेवा का अवसर भी रमेश जी ने कुछ देर सोचा फिर सिर झुका लिया और कहा ठीक है अगर आप कहते हैं तो मैं अंदर चलूंगा अब रमेश जी गुरुद्वारे के अंदर चला गया वहां सेवा करने लगा भजन गाने लगा और धीरे-धीरे उसकी जिंदगी थोड़ी सुकून
भरी हो गई लेकिन वह व्यक्ति जिसने रमेश जी को पहली बार देखा था अब उसके बेटे के पास गया जैसे ही वह उसके बंगले में पहुंचा रमेश जी का बेटा आराम से बैठा था वह आदमी गुस्से से उसकी ओर बढ़ा और बोला शर्म नहीं आती तुझे जिस बाप ने तुझे दिया पाला पोसा बड़ा किया तुझे पढ़ाया लिखाया उसी को तूने घर से निकाल दिया उसे पागल घोषित कर दिया उसकी सारी संपत्ति हड़प ली और अब वह गुरुद्वारे में भीख मांगने पर मजबूर है रमेश जी का बेटा हंस पड़ा उसने अकड़ कर कहा देखो मुझे ज्ञान देने की जरूरत नहीं है मुझे जो सही लगा मैंने वही किया और याद रखना मैं अब करोड़ों का मालिक हूं अगर
मुझसे ज्यादा बोलोगे तो तुम्हें पुलिस में पकड़वा दूंगा वह आदमी हैरान रह गया उसे समझ आ गया कि इस लड़के के दिल में जरा भी शर्म या पछतावा नहीं है उसने बिना कुछ कहे घर छोड़ दिया और पूरे मोहल्ले में यह बात फैला दी धीरे-धीरे मोहल्ले के लोग भी रमेश जी के बेटे की सच्चाई समझ गए हर गली हर घर में यही चर्चा थी उसने अपने बाप के साथ ऐसा किया उसे पागल घोषित करके उसकी प्रॉपर्टी हड़प ली और अब बेचारा गुरुद्वारे में बैठकर भीख मांग रहा था रमेश जी का बेटा अब जहां भी जाता लोग उसे अजीब नजरों से देखने लगे रिश्तेदारों ने उससे मुंह मोड़ लिया समाज ने उसे ताने
मारने शुरू कर दिए अब वह कितना भी अमीर था लेकिन इज धीरे-धीरे खत्म होने लगी खैर दोस्तों समय किसी के लिए नहीं रुकता धीरे-धीरे दिन बीतते गए और गुरुद्वारे में रहने वाले रमेश जी ने एक दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया गुरुद्वारा कमेटी ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन उनके जाने के बाद भी उनकी कहानी खत्म नहीं हुई और असली कहानी तो अब शुरू होने वाली थी वक्त ने अपनी करवट बदली रमेश जी के बेटे और बहू को एक बेटा हुआ बेटा बड़ा हुआ और बचपन से ही उसने अपने घर के बारे में अजीब अजीब बातें सुनी तेरे दादाजी को तेरे मां-बाप ने घर
से निकाल दिया था तेरा बाप करोड़ों का मालिक बन गया लेकिन अपने ही पिता को रोटी तक नहीं दी यह बातें उसके मन में घर कर गई फिर समय बीता और वह लड़का 20 साल का हो गया उसके माता-पिता ने उसके लिए एक लड़की देखी और उसकी शादी कर दी शादी के बाद घर में बड़ी धूमधाम से रिसेप्शन का आयोजन हुआ शानदार स्टेज सजा था मेहमानों की भीड़ थी हंसी ठिठोली हो रही थी तरह-तरह के पकवानों की खुशबू हवा में घुली थी चारों तरफ खुशियों का माहौल था तभी अचानक रमेश जी का पोता स्टेज पर चढ़ गया माइक उठाया और जोर से बोला सब लोग जरा ध्यान दे मैं एक बहुत
ही जरूरी बात कहना चाहता हूं सभी मेहमान चौक गए सबकी नजरें उसी पर टिक गई उसने अपने माता-पिता की ओर देखा और बोला माम बाऊ जी जरा स्टेज पर आइए आपके लिए एक सरप्राइज है माता-पिता हैरान हुए लेकिन मुस्कुराते हुए स्टेज पर आ गए उन्हें लगा कि बेटा कोई तोहफा देने वाला है लेकिन अगले ही पल बेटे ने ठंडी आवाज में कहा अब आप लोग बताइए आप लोग यहां से अपने आप जाना चाहेंगे या फिर मुझे धक्के मार कर निकालना पड़ेगा पूरा हॉल सन्न रह गया जैसे किसी ने वहां मौजूद हर शख्स की सांसे रोक दी हो मां-बाप की हंसी एकदम से गायब हो गई उनकी आंखें चौड़ी हो गई मां ने कांपती आवाज में
कहा बेटा यह कैसी बातें कर रहा है तू बेटा गुस्से से बोला मैं वही कर रहा हूं जो इस घर में हमेशा से होता आया है जब बेटे की शादी हो जाए तो मां-बाप को भीख मांगने के लिए छोड़ देना चाहिए है ना अब उसके पिता को समझ आ गया कि वह किस बारे में बात कर रहा है उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी बेटे ने आगे कहा क्या आपको याद नहीं आया दादाजी को आपने घर से निकाल दिया था उन्हें पागल साबित कर दिया उनकी सारी प्रॉपर्टी हड़प ली और उन्हें गुरुद्वारे के बाहर भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया मां-बाप शर्म से सिर झुका लेते हैं उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं फिर बेटा और
जोर से बोलता है तो अब आपके लिए भी यही नियम लागू होता है जाइए भीख मांगिए भगवान का भजन कीजिए माम पिता का शरीर कांपने लगता है वे बिना कुछ बोले स्टेज से उतरते हैं और धीरे-धीरे गेट की ओर बढ़ते हैं हर कदम भारी हो रहा था वहां मौजूद लोग भी चुपचाप खड़े थे कोई कुछ नहीं कह रहा था जैसे ही वे गेट पार करने लगते हैं बेटा भागता हुआ उनके पास आता है उन्हें रोकता है रुको वे दोनों पलटकर उसकी ओर देखते हैं बेटा कहता है मैंने यह सब इसलिए किया ताकि आपको एहसास हो कि जब दादाजी को इस घर से निकाला गया होगा तो उनके दिल पर क्या बीती होगी जब इंसान अपना घर छोड़ता
है तो उसके साथ उसकी आत्मा भी मर जाती है आप लोगों ने अपने ही पिता के साथ ऐसा किया लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगा फिर समय बे मां बाप का हाथ पकड़कर उन्हें वापस अंदर ले आता है लेकिन अब सब कुछ पहले जैसा नहीं था मां-बाप ने सब कुछ खो दिया था अपनी इज्जत अपना सम्मान अपने बेटे की नजरों में अपना स्थान बेटा उन्हें अंदर तो ले आया लेकिन उनकी आत्मा पर जो चोट लगी थी वह कभी ठीक नहीं हुई अब जब भी वह बेटे की आंखों में देखते तो उन्हें रमेश जी की दर्द भरी आंखें याद आती हर बार जब वह घर में चलते तो उन्हें ऐसा लगता जैसे दीवारें भी उन्हें ताने मार रही है उनकी बहु भी अब
उन्हें अलग नजरों से देखने लगी थी इस तरह उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी शर्म और पछतावे में बिता दी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा इंसानियत सबसे बड़ी चीज होती है पैसा शोहरत सब कुछ खत्म हो सकता है लेकिन इंसान के किए गए कर्म कभी नहीं मरते तो दोस्तों यह थी आज की कहानी रमेश जी के पोते के बारे में आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं और अगर यह कहानी आपको पसंद आई है तो वीडियो को लाइक करें हमारे चैनल स्टोरी बाय बीके को सब्सक्राइब करें मिलते हैं फिर से एक नई वीडियो में ऐसी ही प्रेरणादायक और भावनात्मक दिल को छूने
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