रात का वक्त था। मुंबई के एक नामी गिरामी पांच स्टार होटल की चमचमाती लॉबी मेहमानों से भरी हुई थी। जगमग रोशनी, सजीध टेबलें और तरह-तरह के व्यंजनों की खुशबू पूरे हॉल में तैर रही थी। गाड़ियों की कतार बाहर लगी थी और अंदर अमीर मेहमान अपने परिवार और दोस्तों के साथ शान से डिनर कर रहे थे। भीड़भाड़ के बीच एक बुजुर्ग वेटर धीरे-धीरे चलता हुआ दिखाई देता है। उम्र लगभग 68 से 70 साल। चेहरे पर झुर्रियां लेकिन आंखों में एक अजीब सी चमक। उसका यूनिफार्म पुराना है। लेकिन उसने साफ सुथरा स्त्री किया हुआ है। हाथ हल्के-हल्के कांपते हैं। मगर चाल में अदब
और गरिमा है। हर प्लेट हर गिलास वो इस तरह पकड़ता है जैसे कोई अमानत हो। उसका नाम है रामनारायण। होटल में कई नए वेटर हैं। लेकिन रामनारायण सबसे अलग है। वह मेहमानों से ना ज्यादा बोलता है ना मुस्कुराने में कंजूसी करता है। हर सर और मैडम के साथ उसकी आवाज में वह तहजीब झलकती है जो शायद अब इस तेज रफ्तार दुनिया में कहीं खो गई है। लेकिन उसी रात भागदौड़ और हड़बड़ी के बीच रामनारायण से एक छोटी सी गलती हो गई। वह एक प्लेट पास्ता लेकर एक टेबल की ओर गया। जल्दी में उसने गलती से प्लेट दूसरी टेबल पर रख दी। सामने बैठे मेहमान ने बस हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा,
एक्सक्यूज मी। आई थिंक दिस इज इन आवर्स। रामनारायण तुरंत झुककर माफी मांगता है। माफ कीजिएगा सर। मेरी गलती थी। बस इतनी सी बात थी। लेकिन होटल का नया मैनेजर अरमान खन्ना जो अपनी घमंडी और रूखी आदतों के लिए बदनाम था। इस पल का गवाह बन गया। अरमान ने गुस्से से सबके सामने ऊंची आवाज में कहा, तुम्हें शर्म नहीं आती? यह कोई ढाबा नहीं है। यह पांच स्टार होटल है। अगर काम नहीं होता तो घर बैठो। ऐसे लोगों की वजह से होटल की इज्जत खराब होती है। पूरा हॉल अचानक चुप हो गया। हर टेबल पर बैठे मेहमानों की नजरें अब रामनारायण पर थी। कुछ लोग हंस पड़े। कुछ ने आंखें फेर ली और
बाकी ने बस तमाशा देखा। रामनारायण ने धीरे से हाथ जोड़कर कहा माफ कर दीजिए सर आगे से ध्यान रखूंगा लेकिन अरमान यहीं नहीं रुका उसने गार्ड्स की ओर इशारा करते हुए कहा सिक्योरिटी निकालो इसे बाहर अभी दो गार्ड तुरंत आगे आए और सबके सामने उस बुजुर्ग वेटर को पकड़ कर दरवाजे तक ले गए। रामनारायण ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। उसकी आंखों से बस आंसू बह निकले। वह आंसू जो बेइज्जती से ज्यादा उस चुप्पी के थे जिसमें सब मेहमान डूबे हुए थे। किसी ने आगे आकर यह नहीं कहा कि इतनी छोटी बात पर इतनी बड़ी सजा क्यों? रामनारायण दरवाजे तक पहुंचा। उसने एक बार पीछे मुड़कर पूरे हॉल
को देखा। उसकी नजरों में गुस्सा नहीं था। बस एक गहरी चुप्पी और पीड़ा थी। वो बाहर निकल गया। भीतर मेहमानों में हल्की सी फुसफुसाहट हुई। कितना बुरा हुआ लेकिन वह मैनेजर भी गलत नहीं है। होटल का स्टैंडर्ड गिर जाएगा। कोई भी खुलकर सच बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया। उस रात मुंबई के उस चमचमाते होटल ने एक इंसान की गरिमा को रौंद दिया। सिर्फ इसलिए कि उसके बाल सफेद थे। कपड़े पुराने थे और हाथ कांपते थे। लेकिन किसी को अंदाजा भी नहीं था। अगले ही दिन सुबह वही होटल उसी बुजुर्ग के एक फैसले से हिल जाएगा। सुबह के 8:00 बजे मुंबई का वही नामी पांच स्टार होटल जिसके
बाहर हमेशा शांति और शोभा रहती थी। आज अचानक हलचल से गूंज रहा था। सड़क किनारे लंबी कतार में काली लग्जरी गाड़ियां खड़ी थी। मीडिया चैनलों की ओबी वैन पत्रकारों की भीड़ और मोबाइल कैमरे उठाए लोग होटल के गेट पर इकट्ठा हो गए थे। गेट पर तैनात गार्ड्स हैरान थे। उनके कानों में वॉकी टॉकी की तेज आवाजें गूंज रही थी। इमरजेंसी अलर्ट ओनर अराइविंग रिपीट ओनर अराइविंग कौन सा मालिक सब हैरान थे थोड़ी देर में एक काली Mercedes मेबाज धीरे-धीरे होटल के गेट पर आकर रुकी सबकी निगाहें उस पर टिक गई दरवाजा खुला और बाहर उतरे वही बुजुर्ग रामनारायण
लेकिन इस बार ना पुराने कपड़े थे ना कांपते हाथों में ट्रे आज वो हल्के ग्रे रंग के फॉर्मल सूट में थे चमचमाते जूतों के के साथ। उनके चेहरे पर वही झुर्रियां थी। लेकिन आंखों की चमक अब और भी गहरी लग रही थी। पीछे से दो अफसर फाइलें उतरे और तुरंत उनके साथ खड़े हो गए। भीड़ में खुसफुसाहट गूंज उठी। अरे यह तो वही वेटर है। कल जिसे निकाला गया था। यह कैसे हो सकता है? अंदर होटल की लॉबी में अफरातफरी मच गई। स्टाफ एक दूसरे को देख रहे थे। मैनेजर अरमान खन्ना का चेहरा पीला पड़ गया। कल तक जो इंसान उसे बाबा कहकर अपमानित कर रहा था, आज वही इंसान मालिक
बनकर खड़ा था। रामनारायण ने बिना आवाज ऊंची किए होटल में कदम रखा। उनके साथ आए अफसरों ने रास्ता बनाया। गार्ड्स जो कल उन्हें धक्का देकर बाहर ले गए थे। आज झुक कर सलाम कर रहे थे। अरमान दौड़ता हुआ सामने आया। पसीने से तर-बतर। सर सर मुझे माफ कर दीजिए। मुझे पता नहीं था। आपने तो खुद को वेटर बना लिया था। रामनारायण ने अपनी गहरी आंखों से उसे देखा और कहा, पता ना होना गुनाह नहीं है बेटा। लेकिन इंसान को उसके कपड़ों से तोलना यह सबसे बड़ा गुनाह है। पूरा स्टाफ और मौजूद मेहमान सन्नाटे में खड़े थे। कोई हिल भी नहीं रहा था। रामनारायण ने आगे
कहा। कल रात मैंने देखा इस होटल में कितनी चमकदमक है। लेकिन उस चमक के पीछे इंसानियत की जगह खाली है। एक छोटी गलती पर एक इंसान को अपमानित कर दिया गया। यह होटल सिर्फ ईंट और पत्थरों से नहीं बना है। यह बना है सेवा और सम्मान से। और जब यही टूट जाए तो होटल की नींव ही हिल जाती है। उनकी हर बात पर भीड़ का दिल धड़क रहा था। मीडिया के कैमरे इस पूरे पल को लाइव कैद कर रहे थे। Twitter और टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ की हेडलाइन चल रही थी। पांच स्टार होटल का मालिक बना वेटर इंसानियत का सबक सिखाया। अरमान अब घुटनों पर बैठ चुका था। सर एक
आखिरी मौका दीजिए मैं बदल जाऊंगा। रामनारायण ने उसे शांत स्वर में देखा और बोले, गलती करने वाला छोटा नहीं होता लेकिन गलती छुपाने वाला छोटा हो जाता है। तुमने अपमान किया था नौकरी का नहीं इंसानियत का। उन्होंने हाथ उठाकर सिक्योरिटी हेड को इशारा किया। अरमान खन्ना अब इस होटल का मैनेजर नहीं रहेगा। इसके स्थान पर वह नियुक्त होगा जिसने कल इंसानियत निभाई थी। भीड़ में से एक वेटर आगे बढ़ा। वही लड़का जिसने कल रात चुपचाप बुजुर्ग को पानी दिया था और कहा था बाबा चिंता मत कीजिए। रामनारायण ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा असली मैनेजर वही है जो काम ही नहीं
इंसानियत भी संभाल सके। भीड़ तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। होटल की लॉबी अब अदालत जैसी लग रही थी। हर नजर रामनारायण पर टिकी थी। कल तक जिसे बेकार वेटर कहकर बाहर निकाला गया था। आज वही इस भव्य साम्राज्य का असली मालिक था। रामनारायण ने गहरी सांस ली और चारों ओर देखा। मैंने इस होटल की नींव तब डाली थी जब मेरे पास खुद छत भी नहीं थी। यह सिर्फ बिजनेस नहीं मेरे जीवन का सपना है और इस सपने की जड़े इंसानियत से जुड़ी है। उनकी आवाज धीमी थी लेकिन गूंज इतनी गहरी थी कि दीवारें भी सुन रही थी। भीड़ में खड़ा हर कर्मचारी झुक गया। कोई शर्मिंदा था कोई
भावुक। लेकिन अरमान का चेहरा जमीन की ओर झुका था। उसकी सारी अकड़, अहंकार और ठसक आज मिट्टी में मिल चुकी थी। रामनारायण ने अपना हाथ उसी युवा वेटर के कंधे पर रखा जिसने चुपचाप उनकी मदद की थी। बेटा कल जब मैंने खाना गिराया था तो तुमने मेरे हाथ थाम कर कहा था बाबा चिंता मत करना। उस एक वाक्य ने मुझे यकीन दिलाया कि इस होटल की नींव अब भी मजबूत है क्योंकि इंसानियत अभी जिंदा है। पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कुछ मेहमानों की आंखों से आंसू छलक पड़े। रामनारायण ने आगे कहा, मैनेजर होना सिर्फ कुर्सी संभालना नहीं है। मैनेजर वह होता है जो सबसे छोटे
कर्मचारी से लेकर सबसे बड़े मेहमान तक सबको बराबरी से देखे। क्योंकि जिस दिन बराबरी मर जाती है उस दिन इज्जत भी मर जाती है। अरमान कांपते हुए आगे बढ़ा। उसके हाथ जुड़ गए। सर माफ कर दीजिए। मैंने लालच और घमंड में सब भुला दिया। मुझे नौकरी नहीं चाहिए। बस मुझे माफ कर दीजिए। रामनारायण ने गहरी नजर से उसकी ओर देखा। माफी दिल से मिलती है। जुबान से नहीं। तुम्हारी सजा तुम्हारा ही सबक होगी। और याद रखना एक बार टूटा हुआ भरोसा कभी पहले जैसा नहीं छोड़ता। भीड़ फिर सन्नाटे में डूब गई। तभी बाहर खड़ी मीडिया की भीड़ चिल्लाई। सर आप वेटर बनकर क्यों आए थे?
आपने यह सबक क्यों दिया? रामनारायण धीरे-धीरे बाहर आए। कैमरों के सामने खड़े हुए और बोले, मैं यह जानना चाहता था कि इस होटल की चमकदमक के पीछे इंसानियत बची है या नहीं। और मुझे अफसोस है कि कल इंसानियत हार गई थी। लेकिन आज उन्होंने उस वेटर की ओर इशारा किया जो आंसू रोकते हुए मुस्कुरा रहा था। आज इंसानियत ने फिर जीत हासिल की है। यह कहते ही होटल के बाहर खड़े लोग तालियों से गूंज उठे। भीड़ में से किसी ने धीरे से कहा। पैसा तो हर कोई कमा लेता है। लेकिन इज्जत वही कमा पाता है जो दूसरों को इज्जत दे। रामनारायण ने अपने दोनों हाथ
जोड़ दिए। याद रखिए एक होटल, एक घर, एक शहर या पूरा देश ईंटों और दीवारों से नहीं बनता। यह बनता है रिश्तों और सम्मान से। अगर वह टूट जाए तो सारी इमारत बेकार हो जाती
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