कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे पल दिखाती है जो सिर्फ आंखों से नहीं दिल से देखे जाते हैं और यही वह कहानी है जो हमें सिखाती है कि इंसान की पहचान उसके कपड़ों से नहीं उसके किरदार से होती है सुबह के 1115 का समय था राजस्थान के एक प्रमुख शहर उदयपुर की एक बड़ी और नामी बैंक शाखा राजस्थानी ग्रामीण बैंक में चहल पहल का माहौल था हर तरफ सूट-बूट वाले ग्राहक और व्यस्त बैंक स्टाफ अपने-अपने काम में जुटे थे इसी बीच एक बुजुर्ग व्यक्ति बैंक में प्रवेश करता है उम्र करीब 75 साल चेहरे पर अनुभव की रेखाएं आंखों में सादगी और हाथ में एक पुराना लिफाफा नाम था बद्री प्रसाद मीणा
बद्री प्रसाद जी ने मामूली से धोती कुर्ते पहने हुए थे और उनकी चाल में हल्की लड़खड़ा हट थी बैंक में घुसते ही जैसे सबकी नजरें उन पर टिक गई कुछ लोगों ने तिरस्कार से देखा कुछ ने हंसी उड़ाई ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने उस बैंक का माहौल खराब कर दिया हो वे सीधा उस काउंटर की तरफ बढ़े जहां ग्राहक सहायता के लिए एक महिला बैठी थी नाम था कविता रावल बद्री प्रसाद जी ने नम्रता से कहा बेटी मेरे खाते से कोई लेन देन नहीं हो रहा जरा देख तो लो क्या परेशानी है कविता ने बिना मुस्कुराए एक निगाह उनके कपड़ों पर डाली और बोली बाबा आप शायद गलत बैंक में आ गए हैं यहां
बड़े खातेदारों के अकाउंट होते हैं आप कहीं और जाइए बद्री प्रसाद जी ने शांत स्वर में जवाब दिया शायद लेकिन एक बार देख तो लो बेटी कविता ने लिफाफा हाथ में लिया फिर भी अनमने ढंग से बोली ठीक है आपको थोड़ा वेट करना होगा और उन्हें वेटिंग एरिया की ओर भेज दिया गया बद्री प्रसाद जी वेटिंग एरिया में एक कोने की कुर्सी पर जाकर बैठ गए उनका चेहरा शांत था लेकिन आंखों में एक गहरी बेचैनी छिपी थी बैंक के अंदर मौजूद ग्राहक और कर्मचारी अब भी फुस फुसा रहे थे कहीं से भी तो नहीं लगता कि यह आदमी इस बैंक का ग्राहक हो सकता है जरूर कोई भिखारी होगा लिफाफे में क्या
लाया है यह इन बातों को सुनकर किसी का भी दिल टूट सकता था मगर बद्री प्रसाद जी ने कुछ नहीं कहा वे बस चुपचाप बैठे रहे उसी समय बैंक में एक युवा कर्मचारी जिसका नाम था रणदीप चौहान बद्री प्रसाद जी के पास आया रणदीप को कुछ अजीब लगा बुजुर्ग की आंखों में अपनापन था और उसकी चुप्पी में करीमा रणदीप बाबा जी आप कब से बैठे हो क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं बद्री प्रसाद जी बेटा मैनेजर साहब से मिलना था कुछ परेशानी है खाते में बेटी कविता से कहा था पर शायद उन्हें फुर्सत नहीं मिली रणदीप ने तुरंत जवाब दिया कोई बात नहीं बाबा मैं बात करता हूं वह सीधा शाखा
प्रबंधक रजनीश सिंह के केबिन में पहुंचा रजनीश सिंह एक घमंडी और पैसे पर घमंड करने वाला इंसान था जो सिर्फ अमीर ग्राहकों को तवज्जो देता था रणदीप ने कहा सर एक बुजुर्ग ग्राहक आपसे मिलना चाहते हैं काफी देर से इंतजार कर रहे हैं रजनीश ने चिड़ते हुए जवाब दिया उसे वही बैठने को कहो ऐसे लोग बस टाइम खराब करने आते हैं अगर जरूरी होता अपॉइंटमेंट लेकर आता रणदीप कुछ बोलना चाहता था लेकिन रजनीश सिंह ने उसे टाल दिया इधर बद्री प्रसाद जी अब भी चुपचाप बैठे थे लेकिन धैर्य अब जवाब देने लगा था एक घंटे से ज्यादा बीत चुका था आखिरकार उन्होंने छड़ी उठाई और सीधे मैनेजर के
केबिन की ओर बढ़े रजनीश ने उन्हें आते देखा और दरवाजे पर आ गया रजनीश तंज से हां बाबा अब क्या है जल्दी बताओ मेरे पास बहुत काम है बद्री प्रसाद जी बेटा यह लिफाफा देख लो खाते से लेन देन नहीं हो रहा है शायद कोई गलती हो गई है रजनीश ने लिफाफा देखे बिना कह दिया बाबा जब अकाउंट में पैसे नहीं होते तो यही होता है तुम जैसे लोगों को देखकर मैं बता देता हूं अकाउंट में एक रुपया नहीं होगा अब कृपा करके बाहर जाइए टाइम बर्बाद मत करो बद्री प्रसाद जी ने कुछ नहीं कहा उन्होंने बस लिफाफा मेस पर रखा और बोले ठीक है बेटा जा रहा हूं लेकिन एक बार इस लिफाफे को जरूर देख लेना
और वह बैंक से बाहर निकल गए बद्री प्रसाद जी बैंक से बाहर जा चुके थे लेकिन उनके छोड़े गए लिफाफे ने जैसे पूरे बैंक की हवा बदलनी थी बस किसी को इसका अंदाजा नहीं था लिफाफा मैनेजर रजनीश सिंह की मेज पर वैसे ही पड़ा था उसने एक नजर भी डालने की जरूरत नहीं समझी मगर कुछ घंटों बाद जब बैंक थोड़ा खाली हुआ रणदीप फिर से उसके बन में आया लिफाफा देखकर उसे ख्याल आया बाबा जी ने बहुत विश्वास से इसे रखा था शायद वाकई कुछ जरूरी हो उसने बिना किसी को बताए लिफाफा उठाया और ध्यान से खोलने लगा जैसे ही उसने पहला पन्ना पढ़ा उसकी आंखें चौड़ी हो गई दूसरे पन्ने पर पहुंचा उसके हाथ
कांपने लगे तीसरे दस्तावेज पर तो वह हक्का बक्का रह गया लिफाफे में था राजस्थानी ग्रामीण बैंक की शेयर होल्डिंग डिटेल्स एक पुराना लेकिन वैद दस्तावेज जिसमें साफ लिखा था कि बद्री प्रसाद मीणा इस बैंक के 60 प्र शेयर होल्डर है और सबसे बड़ा झटका एक अधिकार पत्र पावर ऑफ अथॉरिटी जिसमें स्पष्ट लिखा था कि बद्री प्रसाद जी को शाखा प्रबंधन के स्तर पर नियुक्ति और बदलाव का अधिकार है रणदीप को यकीन नहीं हुआ उसने फॉरन बैंक के रिकॉर्ड विभाग से पुष्टि की और जैसा उसने पढ़ा था सब कुछ सच निकला जिस बुजुर्ग को सबने नजरअंदाज किया वही तो असल मालिक निकले रणदीप ने फौरन इन
दस्तावेजों की एक कॉपी तैयार की और उन्हें एक फाइल में संजोकर मैनेजर रजनीश सिंह के पास पहुंचा रजनीश अब भी किसी अमीर क्लाइंट से बात कर रहा था बड़ी-बड़ी स्कीमें समझाते हुए रणदीप ने कहा सर यह फाइल देख लीजिए यह उसी बुजुर्ग ग्राहक की है जिन्हें आपने आज सुबह अपमानित कर बाहर भेज दिया था रजनीश ने चिड़ते हुए फाइल ली और जैसे-जैसे पढ़ता गया उसके चेहरे का रंग उड़ता गया यह यह कैसे हो सकता है वो बुदबुदा आया क्लाइंट जो सामने बैठा था उसने भी पूछा मैनेजर साहब क्या सब ठीक है लेकिन रजनीश के पास अब कोई जवाब नहीं था वह अब तक खुद को राजा समझ रहा था लेकिन असली राजा तो वह
बुजुर्ग था जिसे सबने गरीब समझकर अनदेखा कर दिया अगली सुबह वही समय 1115 राजस्थानी ग्रामीण बैंक की शाखा में माहौल कुछ अलग था कल की घटना अब तक कुछ कर्मचारियों के बीच कानाफूसी बन चुकी थी पर किसी को भी अंदाजा नहीं था कि आज क्या होने वाला है दरवाजा खुलता है बद्री प्रसाद मीणा जी फिर से अंदर दाखिल होते हैं लेकिन इस बार उनके साथ है एक प्रभावशाली व्यक्ति जो पूरा सूट पहने हुए हैं हाथ में लेदर का ब्रीफ केस और आंखों में रॉब साफ नजर आता है वह व्यक्ति था अरविंद जोशी बैंक के मुख्य क्षेत्रीय अधिकारी जोनल ऑफिसर जैसे ही दोनों अंदर आए बैंक का
माहौल जैसे थमसा गया हर कोई उन्हें देखने लगा कविता जिसने कल उन्हें छिड़का था झेप कर सिर झुका लेती है रजनीश सिंह को जैसे किसी ने ठंडी बर्फ में डुबो दिया हो उसकी सांसें तेज हो जाती है बिना कुछ कहे बद्री प्रसाद जी सीधा रजनीश सिंह के केबिन की ओर बढ़ते हैं रजनीश खुद बाहर आकर उन्हें रोकने की कोशिश करता है बाबा जी मैं मैं माफी चाहता हूं मुझे नहीं पता था कि आप बद्री प्रसाद शांति से लेकिन सक्ति के साथ जानना जरूरी नहीं होता बेटा समझना जरूरी होता है कल तुमने मुझे मेरे कपड़ों से परखा मेरी उम्र से आकलन किया अब भुगतो उसका नतीजा अरविंद जोशी आगे बढ़ते हैं और
एक फॉर्मल नोटिस रजनीश को सौंपते हैं रजनीश सिंह आप इस बैंक की शाखा प्रबंधक की जिम्मेदारी से तुरंत हटाए जा रहे हैं आपकी स्थानांतरण रिपोर्ट तैयार है पूरे बैंक में सन्नाटा छा गया बद्री प्रसाद जी ने रणदीप को बुलाया और कहा तुमने इंसानियत और जिम्मेदारी को समझा मैं चाहता हूं कि अब तुम इस शाखा के नए प्रबंधक बनो रणदीप एकदम हैरान रह गया मैं लेकिन हां तुम बद्री प्रसाद जी ने मुस्कुरा कर कहा बैंक को ऐसे लोगों की जरूरत है जो इज्जत देना जानते हैं पहचान से नहीं व्यवहार से रणदीप की आंखें भर आई पूरे स्टाफ ने तालियों के साथ उसका स्वागत किया पूरे बैंक में तालियों
की गूंज अब एक नए अध्याय की शुरुआत बन चुकी थी रणदीप चौहान एक साधारण ईमानदार कर्मचारी अब इस शाखा का नया मैनेजर बन चुका था और वह भी सिर्फ अपनी इंसानियत सम्मान भाव और कर्तव्य निष्ठा के बल पर रजनीश सिंह जो कल तक खुद को राजा समझता था आज चुपचाप खड़ा था सिर झुका हुआ आंखों में शर्म उसने फिर एक बार बद्री प्रसाद जी के सामने हाथ जोड़ दिए साहब मुझे माफ कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई बद्री प्रसाद जी ने उसकी तरफ देखा और कहा माफी तब मिलती है जब इंसान खुद से लड़कर बदलने की ठने इस बार तुम सजा समझकर सीख लो तुम्हें ट्रांसफर किया जा रहा है एक गांव
की शाखा में जहां तुम शायद समझ स को कि इज्जत कमाई जाती है मांगी नहीं जाती फिर उन्होंने पूरी शाखा को संबोधित करते हुए कहा आज से इस बैंक में कोई भी ग्राहक उसके कपड़े बोलचाल या पहचान से नहीं आका जाएगा यहां हर व्यक्ति बराबर है चाहे वह किसान हो या कारोबारी बुजुर्ग हो या युवा कविता जो कल उन्हें तिरस्कार से देख रही थी अब शर्म से सिर झुकाए उनके पास आई बाबा जी मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपकी सादगी को कमजोरी समझ लिया बद्री प्रसाद जी ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया गलती हर कोई करता है बेटी लेकिन अगर उससे कुछ सीखा जाए तो वह अनुभव बन जाती है उस दिन के बाद
उदयपुर की यह बैंक शाखा सिर्फ एक बैंक नहीं रही वह बन गई सम्मान और इंसानियत की मिसाल ग्राहकों का व्यवहार बदल गया कर्मचारियों की सोच बदल गई और सबसे बड़ी बात बैंक की पहचान बदल गई बद्री प्रसाद मीणा समय-समय पर बिना बताए बैंक आते रहे कभी ग्राहक बनकर कभी एक आम इंसान की तरह ताकि यह सुनिश्चित कर सके कि कोई और बुजुर्ग कोई और आम इंसान फिर से अपमानित ना हो कभी किसी को उसके कपड़ों उम्र या चाल से मत आं किए असली पहचान इंसान के संस्कारों और व्यवहार में होती है ना कि उसके पहनावे में
News
जिंदगी से हार चुकी थी विधवा महिला… नौकर ने हौसला दिया, फिर जो हुआ, पूरी इंसानियत हिला दिया/hi
विधवा महिला जिंदगी से हार चुकी थी। नौकर ने हौसला दिया। फिर आगे जो हुआ इंसानियत को हिला देने वाला…
जिस अस्पताल में गर्भवती महिला भर्ती थी… वहीं का डॉक्टर निकला तलाकशुदा पति, फिर जो हुआ /hi
दोस्तों, जिस अस्पताल में पति डॉक्टर था, उसी अस्पताल में उसकी तलाकशुदा पत्नी अपनी डिलीवरी करवाने के लिए भर्ती हुई…
पिता की आखिरी इच्छा के लिए बेटे ने 7 दिन के लिए किराए की बीवी लाया…/hi
एक बेटे ने मजबूरी में पिता की आखिरी इच्छा के लिए एक औरत को किराए की बीवी बनाया। लेकिन फिर…
अपने बेटे की सलाह मानकर उसने एक अजनबी से शादी कर ली… और उस रात जो हुआ… उसका उन्हें पछतावा हुआ।/hi
शाम का समय था। मुकेश काम से थकाहारा घर लौटा। दरवाजा खुलते ही उसका 4 साल का बेटा आयुष दौड़…
“वह एक गिरे हुए बुज़ुर्ग की मदद करने वाली थी… और उसे निकालने वाले थे! तभी सीईओ अंदर आया और बोला — ‘पापा!’”/hi
“अरे ओ बुज़ुर्ग! रास्ते से हटो! देख नहीं रहे, कितनी भीड़ है?”तीखी और घमंडी आवाज़ ने पहले से ही तनाव…
लेकिन यह बात अजीब थी—लगभग एक साल हो गया, मुझे एक भी रुपया नहीं मिला। मैं अब भी हर महीने मिलने वाली अपनी छोटी-सी पेंशन पर ही निर्भर हूँ।/hi
मुझे अब 69 साल हो चुके हैं। मेरा छोटा बेटा हर महीने पैसे भेजता है, फिर भी मेरे हाथ में…
End of content
No more pages to load






