🌳 मेरी पत्नी और उसका आत्मिक पति 🌳

(My Wife and Her Spiritual Husband – Indian Adaptation)

EPISODE 1

हमारी शादी से एक रात पहले, मैं आधी रात को अचानक किसी की कराह सुनकर जाग गया।
पहले मुझे लगा शायद सपना देख रहा हूँ। लेकिन जब मैंने बगल में देखा तो मेरी मंगेतर अनन्या बिस्तर पर नहीं थी।

वो आवाज़ बाथरूम से आ रही थी।
दिल में हल्की बेचैनी के साथ मैं धीरे-धीरे दरवाजे के पास पहुँचा। दरवाज़ा आधा खुला था।
और उस दरार से मैंने देखा…

वो टॉयलेट सीट पर बैठी थी, सिर पीछे झुका हुआ, होंठों पर हल्की मुस्कान, आँखें बंद… और उसके होंठों से कराह निकल रही थी।
लेकिन वहाँ कोई और नहीं था।
ना कोई फोन, ना कोई खिलौना। बस वो… और उसकी आवाज़ें।

जैसे ही उसने मुझे देखा, वो तुरंत सँभल गई, ऐसे जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
एक शब्द नहीं बोली, बस फ्लश दबाया और मेरे पास से गुज़रकर सीधा कमरे में चली गई।

मैं वहीं खड़ा रह गया… हक्का-बक्का।
ये वही लड़की थी जो मुझे शादी से पहले ब्रहमचर्य (celibacy) निभाने को कहती थी।
हमने साथ में नहाया, साथ सोए, लेकिन उसने कभी नज़दीक आने की कोशिश नहीं की।
और अब… हमारी शादी से एक रात पहले… ये सब?

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शादी की सुबह

सुबह उसने अचानक कहा:

“शादी के बाद मुझे अपना प्राइवेट कमरा चाहिए।”

मैं हैरान रह गया।
“क्या? हम आज शादी कर रहे हैं, और अलग-अलग कमरे में क्यों रहेंगे?”

उसका चेहरा सख़्त हो गया।

“अगर तुम मेरी बात नहीं मान सकते, तो शायद ये शादी ही नहीं होनी चाहिए।”

मैंने किसी तरह उसे मनाया, और शादी हो गई।


सुहागरात

रात को मैं उसके कमरे में गया—लेकिन दरवाज़ा बंद था।
मैंने धीरे से दस्तक दी।
कोई जवाब नहीं।
काफ़ी देर इंतज़ार किया… फिर थककर अपने कमरे लौट आया।


अगली सुबह

जब वो कमरे से बाहर आई, तो मैं हैरान रह गया।
उसके हाथ-पैर और चेहरे पर नीले निशान थे।

“अनन्या! ये क्या हुआ तुम्हें?”

वो मुस्कुराई और बोली:

“ओह, मैं कल जूते उतारते-उतारते गिर गई थी।”

लेकिन जब वो झुकी, तो उसकी पीठ पर मैंने गहरे लाल डंडे जैसे निशान देखे—जैसे किसी ने कोड़े से मारा हो।

उस रात जब मैंने पास आने की कोशिश की, उसने मेरा चेहरा मोड़ दिया।

“मूड में नहीं हूँ। फिर कभी…”

और कमरे से चली गई।
मेरे पास अब सवाल ही सवाल थे।


🌳 EPISODE 2 🌳

एक सुबह, मैं उसे सरप्राइज़ देने उसके कमरे के पास पहुँचा।
अंदर से कराह और रोने की आवाज़ आ रही थी।
लेकिन ये रोना अलग था—जैसे दर्द और सुख दोनों एक साथ।

मैंने धीरे से दरवाज़ा खटखटाया।
कोई जवाब नहीं।
फिर से खटखटाया। चुप्पी।

मैं लौट आया… लेकिन बेचैनी नहीं गई।
कुछ देर बाद वापस गया—इस बार दरवाज़ा खुला था।

वो ज़मीन पर लेटी थी। आँखें खुली… पर जैसे किसी और दुनिया में।
मैं उसके पास बैठा और झकझोरा।

“अनन्या! क्या हुआ?”

उसकी आँखें मेरे पीछे किसी को देख रही थीं—डर से भरी।
आख़िरकार उसने बुदबुदाया:

“मैं रो नहीं रही थी… फोन पर मूवी देख रही थी।”

झूठ साफ़ दिख रहा था।


उस शाम आईने में मैंने कुछ अजीब देखा।
मेरे पीछे से एक सफ़ेद परछाई गुज़री।
मुड़ा—कोई नहीं।
फिर आईने में देखा—कुछ नहीं।

तभी अनन्या आई और मुस्कुराकर बोली:

“आज रात हम साथ सोएँगे।”

मैंने राहत की साँस ली। लेकिन रात को उसने कमरे में लाल मोमबत्तियाँ जलाईं, गोल घेरे में, और कुछ मंत्र जैसे बुदबुदाने लगी।
मैंने पूछा, तो उसने हँसकर कहा:

“अरे बाबा, बस मूड बना रही हूँ।”

पर मेरे दिल ने कहा—ये कोई साधारण तैयारी नहीं थी… ये कोई अनुष्ठान था।


🌳 EPISODE 3 🌳

जब हम करीब आए… अचानक ठंडी हवा पूरे कमरे में भर गई।
मेरा शरीर सुन्न हो गया।
मेरे अंदर कोई इच्छा ही नहीं बची।

हमारी पहली रात… नाकाम रही।

उसके बाद महीनों तक मैं बिल्कुल असमर्थ रहा।
डॉक्टरों ने कहा सब नॉर्मल है—लेकिन सच ये था कि मैं… टूट चुका था।

एक सुबह आईने में देखा—मेरे सीने पर एक अजीब-सी लिखावट खुदी थी।
ना हिंदी, ना संस्कृत—कुछ प्राचीन लिपि।
मैंने धोने की कोशिश की—लेकिन मिटा ही नहीं।

अनन्या ने काँपते हुए कहा:

“मैंने ही लिखा था… सोते समय।”

पर मुझे पता था—ये इंसानी काम नहीं।


🌳 EPISODE 4 🌳

एक दिन उसने मुझे जूस दिया।
पीते ही मेरा शरीर सुन्न हो गया—और मैं गिर पड़ा।

आँखें खुलीं, तो देखा—वो अकेली खड़ी थी… किसी से बातें कर रही थी।
लेकिन कमरे में कोई और नहीं था।

आईने में गया—वो लिखावट ग़ायब थी।
लेकिन उसी वक्त पेशाब का दबाव आया।
जब नीचे देखा—तो मेरा पेशाब खून जैसा लाल था।

मैं बेहोश हो गया।

जब होश आया, तो देखा—कमरे में लाल मोमबत्तियाँ जली थीं।
मैंने उसका निजी कमरा खोला।

वो आईने के सामने खड़ी थी, पेट सहला रही थी, जैसे गर्भवती और कह रही थी:

“अब हम परिवार बनने वाले हैं… मेरे प्रिय।”

मैं जम गया।
हमने कभी संबंध ही नहीं बनाया।
तो ये बच्चा किसका था?


🌳 EPISODE 5 🌳

मैंने कैमरा उठाया और रिकॉर्ड करना शुरू किया।

आईने में मैंने देखा—उसके पीछे एक विशालकाय आदमी खड़ा था।
सिर पर सींग।
वो उसके पेट को सहला रहा था।

नंगी आँखों से—सिर्फ अनन्या।
लेकिन कैमरे में—वो राक्षसी पुरुष साफ़ दिखाई दे रहा था।

उसी रात… हमने पहली बार संबंध बनाए।
पर जब सब ख़त्म हुआ, मैंने देखा—वो सींग वाला आदमी भी उसके साथ था।
जैसे हम दोनों एक ही समय उसके भीतर थे।

उसके बाद से, मैं हर जगह परछाइयाँ देखने लगा।
घर में, दफ़्तर में… यहाँ तक कि सपनों में भी।

एक दिन कार चलाते हुए रियर-व्यू मिरर में देखा—वो सींग वाला आदमी पीछे की सीट पर बैठा था, गुस्से से मेरी तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए।

मैंने चीख़ते हुए कार घुमा दी—और नदी में जा गिरा।
और तभी… मैं जाग गया।

पसीने से तर-बतर।
“क्या ये सपना था?”

पर तभी… बाथरूम से फिर वही कराह सुनाई दी।
अनन्या… अकेली।

क्या ये सब सपना था?
या फिर… भगवान मुझे पहले ही चेतावनी दे रहे थे?

अब सवाल ये है…
क्या मुझे सचमुच ये शादी करनी चाहिए—
या ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल होगी?