70 साल के ससुर ने ज़िद की नौजवान नौकरानी से शादी की — एक साल बाद जब उसने DNA रिपोर्ट दिखाई, पूरा परिवार सन्न रह गया…

मेरे ससुर रघुनाथ जी अब 70 साल के हैं। माँजी कमला देवी के निधन के बाद वो पुणे के पुराने बंगले में अकेले रहने लगे। हमने उनकी देखभाल के लिए एक नौजवान घरेलू सहायिका अंजलि को रखा — 29 साल की, कोलकाता की रहने वाली, नटखट, फुर्तीली और मीठी ज़ुबान वाली।

शुरुआत में मैंने सोचा, “कोई तो है जो उनका ध्यान रखेगा, बस मामला हद पार न करे।” लेकिन कुछ ही महीनों में अंजलि की स्थिति बदलने लगी — वह सिर्फ एक नौकरानी नहीं रही, बल्कि रघुनाथ जी की हमराज और साथी बन गई।

रोज़ शाम को दोनों टहलने जाते, मंदिर जाते, और वो उन्हें “मेरी जान” कहकर पुकारते। एक दिन उन्होंने पूरा घर दंग कर दिया:

“मैं अंजलि से शादी करूंगा। वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है। कोई कुछ कहे तो बाद में पछताना मत!”

पूरा परिवार चौंक गया। देवर राहुल रोने लगा, मेरे पति विक्रम ने गुस्से में मेज़ पर हाथ मारा: “ये तो सरासर धोखा है!”

सबको यकीन हो गया कि अंजलि सिर्फ धन की लालची है, जो एक बूढ़े अमीर को फँसा रही है।

लेकिन ठीक एक महीने बाद, जब रघुनाथ जी शादी की तैयारियों पर अड़े रहे — तभी वो आंगन में गिर पड़े

उन्हें अस्पताल ले जाया गया। एक हफ्ते तक कोमा में रहने के बाद उनका निधन हो गया।

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काँपते हाथों से लिखा वसीयत और आखिरी तोहफ़ा…

अंतिम संस्कार के बाद, हमने उनका एक पुराना खत खोला — एक काँपते हाथों से लिखा वसीयतनामा:

“संपत्ति सभी बच्चों में बराबर बाँट देना। लेकिन पुणे वाला बंगला अंजलि और उसके बच्चे के नाम। यही उनकी शादी का तोहफ़ा समझो…”

हम चुप थे। दुख के साथ-साथ मन में सवाल भी उठ रहे थे — क्या ये बच्चा वाकई उनका था?


DNA रिपोर्ट ने कर दिया सब साफ़

कुछ ही दिनों बाद, अंजलि ने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एक DNA रिपोर्ट हमारे सामने रखी।

रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चा रघुनाथ जी का नहीं था।

हम सब अवाक रह गए।


सच्चाई जो उन्होंने कभी ज़ाहिर नहीं की…

रिपोर्ट देखने के बाद हमने उनके कमरे की तलाशी ली और एक पुरानी मेडिकल फ़ाइल मिली — बंबई अस्पताल की। उसमें लिखा था कि उन्हें प्रोस्टेट सर्जरी के बाद स्थायी रूप से नपुंसक घोषित किया गया था, कई साल पहले।

इसका मतलब था — वो जानते थे कि बच्चा उनका नहीं है। फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।

शायद उन्होंने जानबूझकर चुप्पी ओढ़ ली — सिर्फ़ इसलिए कि वो आख़िरी बार खुद को पति, प्रेमी और पुरुष महसूस करना चाहते थे। उन्हें पता था कि अंजलि उन्हें धोखा दे रही है, लेकिन उन्होंने उस झूठ को अपना सच मान लिया… ताकि वो प्यार, अपनापन और जीवनसाथी होने का अहसास दोबारा जी सकें।


आख़िर में, वो बस एक अकेले पिता थे… एक बूढ़ा दिल…

DNA रिपोर्ट और मेडिकल फ़ाइल देखने के बाद, मेरा गुस्सा पिघल गया। जो नाराज़गी अंजलि को लेकर थी, वो हवा हो गई।

क्योंकि जो इंसान पूरी ज़िंदगी अपने बच्चों के लिए जीता रहा, उसने अपनी अंतिम साँसों में सिर्फ़ इतना चाहा — कोई उसे चाहे… बिना शर्त…

शायद वो धोखा था। लेकिन उस धोखे में भी उन्हें थोड़ी सी ख़ुशी, थोड़ा सा सुकून मिला।

और यही उनकी अंतिम इच्छा थी…