दोपहर के करीब 11:00 बज रहे थे। शहर के बीचों-बीच बने ब्लू लीफ कैफे में हल्की-हल्की खुशबू ताजी कॉफी की फैल रही थी। सामने की दीवारों पर सजावटी लाइटें, सॉफ्ट म्यूजिक और भीड़ में बिजनेस सूट पहने युवा सब कुछ एकदम मॉडर्न और महंगा। इसी भीड़ में दरवाजे के बाहर धीरे-धीरे एक बुजुर्ग व्यक्ति कदम रखते हैं। सफेद बाल, झुर्रियों से भरा शांत चेहरा, धुले हुए लेकिन पुराने कपड़े, हल्का बेज कुर्ता, सफेद पायजामा और चप्पलों से झांकते फटे मोजे। हाथ में एक छोटा कपड़े का थैला जिसमें कुछ कागज और एक पुराना पर्स था। जैसे ही वह दरवाजे के अंदर आए, सामने खड़े

दो युवक अपनी टेबल पर हंसने लगे। एक ने कहा भाई लगता है गलती से गलियों वाला कोई बाबा यहां आ गया है। दूसरा बोला यह जगह करोड़पतियों की है। इन्हें फ्री में कॉफी चाहिए शायद। बुजुर्ग ने कुछ नहीं कहा। बस अपनी झुकी आंखों से काउंटर की ओर बढ़े जहां वेटर ऑनर डर ले रहा था। बेटा उन्होंने धीमी आवाज में कहा। मुझे एक कप कॉफी मिल जाएगी बिना दूध की। वेटर ने ऊपर देखा। फिर नीचे से ऊपर तक बुजुर्ग को निहारा। कपड़ों पर नजर गई। फिर पुराने जूतों पर। चेहरा तुरंत सिकुड़ गया। सर, यह फाइव स्टार कैफे है। उसने ठंडी आवाज में कहा, “यह कॉफी ₹350 की है और बैठने के लिए

रिजर्वेशन चाहिए। बुजुर्ग मुस्कुराए। पैसे हैं बेटा। बस बैठने की जगह चाहिए। बहुत दूर से आया हूं। वेटर ने तंज कसते हुए कहा। अच्छा। और कहां से आ गए बाबा जी आप? कोई एनजी ओ वाला इवेंट चल रहा है क्या? पास बैठी एक लड़की ने फुसफुसाकर कहा, आजकल भिखारी भी बड़ी जगहों में आ जाते हैं। बस कहानी बनाते हैं। बुजुर्ग ने एक गहरी सांस ली। उनकी आंखों में अपमान झलक रहा था। लेकिन उन्होंने आवाज में सलीका नहीं खोया। उन्होंने धीरे से कहा। बेटा मैं भिखारी नहीं हूं। बस थोड़ी देर बैठना चाहता था और एक कप कॉफी पीनी थी। शायद बहुत साल बाद वेटर हंस पड़ा। सर अगर सच में कॉफी पीनी

है तो बाहर वाली दुकान पर मिल जाएगी ₹20 में। यहां तो आपके जैसे लोगों के लिए टेबल फ्री नहीं होती। बुजुर्ग ने शांत स्वर में कहा। ठीक है बेटा। अगर मेरी जगह किसी और को परेशान कर रही है तो मैं चला जाता हूं। और वो मुड़ने लगे। लेकिन तभी पास की टेबल पर बैठा एक जवान आदमी बोला। अरे ऐसे कैसे भगा रहे हो किसी को? उसने तो बस कॉफी मांगी है। वेटर झुंझलाते हुए बोला सर मैं जानता हूं ऐसे लोगों को आते हैं कहानी सुनाकर सिंपैथी लेने। थोड़ी देर में कहेंगे बेटा मेरे पास पैसे नहीं है। हमारा एक्सपीरियंस है। बुजुर्ग ने बिना जवाब दिए धीरे-धीरे बाहर की ओर कदम बढ़ाए। उनकी चाल

थकी हुई थी। पर चेहरे पर अब भी गरिमा थी। वह दरवाजे तक पहुंचे ही थे कि अचानक कैफे का मालिक अंदर आया। 40 के करीब उम्र, सफेद शर्ट, ब्लैक कोट और चेहरे पर तेजी। वो दरवाजे के पास से गुजरा और उसकी नजर उसी बुजुर्ग पर पड़ी। वो ठिटक गया। उसने धीरे से कहा, “आप आप यहां कैसे?” बुजुर्ग पलटे। बस एक कप कॉफी पीनी थी बेटा। वो आदमी वहीं ठहर गया। उसके चेहरे पर रंग उड़ गया। वह अचानक झुक गया और सबके सामने बुजुर्ग के पैर छू लिए। पूरे कैफे में सन्नाटा छा गया। जो लोग हंस रहे थे अब चुप थे। वेटर के हाथ से ट्रे गिर पड़ी। बुजुर्ग बोले बेटा यह क्या कर रहे हो? वो आदमी कांपती

आवाज में बोला सर आपने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही रवि हूं जिसे आपने 20 साल पहले अपनी कंपनी से निकालने के बजाय पढ़ने का मौका दिया था। आपने कहा था रोजगार कभी किसी का भाग्य नहीं छीनता मौका देता है। आज मैं जो कुछ भी हूं आपकी वजह से हूं। पूरा कैफे अब खामोश था और सभी की आंखें उस दृश्य पर टिकी थी। वो वेटर जो अभी कुछ देर पहले उसे भिखारी बोलकर भगा रहा था। अब उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा था। मुंह से बस इतना निकला। सर मुझे माफ कर दीजिए। बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले, गलती तब होती है जब इंसानियत मर जाती है। तुम्हारी तो बस पहचान कमजोर थी।

कैफे के अंदर अब पूरा माहौल बदल चुका था। जहां कुछ मिनट पहले हंसी थी। अब वहां सन्नाटा था। हर चेहरा झुका हुआ। हर निगाह उस बुजुर्ग और रवि पर टिकी थी। जो अब जमीन पर झुक कर उस व्यक्ति के सामने खड़ा था। जिसे कुछ देर पहले वेटर ने भिखारी कहकर बाहर निकाल दिया था। रवि बुजुर्ग की आवाज धीमी लेकिन भावनाओं से भरी थी। इतने सालों बाद तुम्हें देख रहा हूं पर तुम्हें यह हाल देखकर अच्छा नहीं लगा। रवि की आंखों से आंसू बह निकले। सर मेरी हालत आपकी वजह से नहीं। आपके आशीर्वाद की वजह से है। अगर आप उस दिन मुझे माफ ना करते तो शायद मैं जिंदगी में

कभी संभल नहीं पाता। वेटर और बाकी ग्राहक हैरानी से सुन रहे थे। बुजुर्ग ने धीरे से कहा, वह दिन याद है मुझे। तुम मेरी कंपनी में नहीं थे। तुमसे गलती हुई थी कैश हैंडलिंग में। बाकी डायरेक्टर चाहते थे कि तुम्हें निकाल दूं। पर मैंने कहा हर इंसान को एक दूसरा मौका मिलना चाहिए। क्योंकि इंसान गलती से नहीं अपने सीखने से पहचान बनाता है। रवि ने सिर झुका कर कहा। आपके उन शब्दों ने मेरी जिंदगी बदल दी सर। मैंने आपकी कंपनी छोड़ी, पढ़ाई पूरी की और एक छोटा सा बिजनेस शुरू किया। धीरे-धीरे मेहनत की और आज यह कैफे उसी मेहनत का नतीजा है। लेकिन आज आप जैसे महान व्यक्ति

को पहचान ना पाने का गुनाह मुझसे हुआ और वह भी मेरे ही स्टाफ से। बुजुर्ग मुस्कुराए। कोई बात नहीं बेटा। पहचान से बड़ी चीज होती है इरादा और वह तुम्हारा हमेशा सच्चा रहा है। रवि ने तुरंत वेटर को बुलाया। अर्जुन जो गलती तुमने की है वह सिर्फ उस बुजुर्ग के साथ नहीं अपने आप से की है क्योंकि इंसानियत किसी की पोशाक से नहीं झलकती। अर्जुन की आंखें भर आई। वो झुक कर बुजुर्ग के पैरों पर हाथ रखकर बोला सर मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मुझे लगा आप यहां फ्री कॉफी मांगने आए हैं। कभी सोचा नहीं था कि जिसके पैर मैं छू रहा हूं वह मेरी सोच से कहीं ऊपर है। बुजुर्ग ने उसके

सिर पर हाथ रखा। बेटा गलतफहमी अगर सच को जन्म दे दे तो उसे माफी की जरूरत नहीं होती। आज तुम्हें जो सबक मिला है वही तुम्हें कल किसी और को सिखाना होगा। रवि ने तुरंत कहा। सर अब कॉफी मैं खुद बनाऊंगा अपने हाथों से। वह भी उसी तरह जैसे आप पिया करते थे बिना दूध की। बुजुर्ग मुस्कुराए। अच्छा तुम्हें अब भी याद है? रवि हंसा आंसू के बीच से। कैसे भूल सकता हूं सर? जब मैं आपकी कंपनी में था तो रोज सुबह आप खुद ऑफिस के पेंट्री में जाकर कॉफी बनाते थे और कहते थे कॉफी का असली स्वाद उसमें नहीं होता कि वह कितनी महंगी है बल्कि उसमें होता है। किस भावना से

परोसी जाती है। रवि ने खुद कॉफी बनाई। काला कॉफी, बिना दूध, बिना शक्कर। वो ट्रे लेकर बुजुर्ग के सामने आया। दोनों हाथों से कप थमाते हुए बोला सर आज मैं यह कॉफी अपने सबसे बड़े गुरु को परोस रहा हूं। बुजुर्ग ने धीरे से कप उठाया। एक सिप लिया फिर मुस्कुराए। स्वाद वही है। बस परिस्थितियां बदली है। उन्होंने कहा लेकिन मुझे खुशी है बेटा कि तुम्हारे अंदर का इंसान आज भी जिंदा है। कैफे में बैठे हर शख्स की आंखें अब नम थी। किसी ने कहा हमने आज जो देखा वह एक कहानी नहीं एक आईना था। दूसरे ने कहा सच में किसी की सादगी को कभी कम मत आकना। रवि ने

स्टाफ से कहा आज से हमारे कैफे का एक नया नियम होगा। अगर कोई बुजुर्ग, मजदूर या गरीब हमारे दरवाजे पर आएगा तो पहले उसे बैठाया जाएगा और कॉफी फ्री में दी जाएगी। क्योंकि इज्जत का स्वाद कॉफी से बड़ा होता है। पूरा कैफे तालियों से गूंज उठा। बुजुर्ग ने शांत मुस्कान के साथ कहा, बेटा, अब तुम्हारे कॉफी की खुशबू सिर्फ बींस से नहीं तुम्हारे कर्मों से भी आएगी। रवि ने कॉफी के आखिरी घूंट को धीरे-धीरे बुजुर्ग के सामने रखा और बोला, “सर, अब तो आप बताइए, इतने साल बाद अचानक यहां कैसे?” बुजुर्ग हल्के से मुस्कुराए। उनकी आंखों में एक गहराई थी। जैसे कोई

पुराना दरवाजा खुलने वाला हो।” उन्होंने कहा रवि मुझे डॉक्टर ने कहा था कि अब मुझे ज्यादा सफर नहीं करना चाहिए। दिल की बीमारी बढ़ चुकी है। लेकिन मैं एक आखिरी काम करना चाहता था उस जगह को देखने जहां से मेरी एक उड़ान शुरू हुई थी। रवि ने हैरानी से पूछा। उड़ान बुजुर्ग बोले हां बेटा। यह कैफे पहले मेरी कंपनी का ऑफिस था। यहीं पर तुम्हारे जैसे सैकड़ों नौजवान अपने सपनों की शुरुआत करते थे। फिर जब मेरी उम्र बढ़ी, मैंने सब कुछ छोड़ दिया। संपत्ति, शेयर, मकान सब अपने कर्मचारियों के नाम कर दिया। मैं बस इतना चाहता था कि जहां से मेरी मेहनत शुरू हुई, वहीं पर

अपनी आखिरी कॉफी पी लूं। कैफे में सन्नाटा था। हर शब्द जैसे दीवारों से टकराकर लोगों के दिलों में उतर रहा था। वेटर अर्जुन की आंखों से आंसू गिरने लगे। वो धीरे से बोला, “सर, हमें पता ही नहीं था कि आप इतने बड़े इंसान हैं। बुजुर्ग मुस्कुराए। बड़ा वो नहीं होता बेटा जो ऊंचाई पर पहुंच जाए। बड़ा वो होता है जो नीचे गिरने के बाद भी इंसान बना रहे। रवि ने धीरे से कहा, “सर, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं? आपका घर, आपका इलाज। मैं सब संभाल लूंगा। बुजुर्ग ने सिर हिलाया, मदद। नहीं बेटा मुझे किसी मदद की नहीं एक वादा चाहिए। रवि ने चौंक कर पूछा वादा बुजुर्ग बोले वादा

करो कि तुम अपने इस कैफे में कभी किसी को उसके कपड़ों, पैसे या चेहरे से जज नहीं करोगे क्योंकि जो इंसान सिर्फ बाहर देखता है, वह अंदर से कभी नहीं बढ़ता। रवि ने हाथ जोड़कर कहा, “सर, मैं वादा करता हूं, “यह कैफे अब सिर्फ कॉफी की नहीं, इंसानियत की खुशबू भी फैलाएगा।” इतने में एक बुजुर्ग महिला अंदर आई। सफेद साड़ी, हाथ में एक बैग और चेहरे पर चिंता की लकीरें। वो जैसे ही अंदर आई, बुजुर्ग ने उन्हें देखा, उनकी आंखों में एक चमक आ गई। लता उन्होंने पुकारा। महिला ने पलट कर देखा और सन्न रह गई। तुम उसकी आवाज कांप गई। रवि कुछ समझ नहीं पा रहा था। महिला

पास आई और बुजुर्ग के हाथ थाम लिए। तुमने कहा था आखिरी कॉफी साथ पीना चाहते हो? बुजुर्ग ने सिर हिलाया। हां और आज वही दिन है। वो दोनों एक दूसरे के सामने बैठे जैसे जिंदगी के दो सिरों के बीच का सफर पूरा हो गया हो। रवि ने धीरे से दोनों के सामने कॉफी रख दी। वो बोला सर अब यह कॉफी मेरी नहीं आपके नाम की है। हरिमोहन ब्लेंड आज से इस कैफे में यह स्पेशल कॉफी सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगी जो किसी अनजान की मदद करेंगे। पूरा कैफे तालियों से गूंज उठा। वेटर अर्जुन आगे बढ़ा और बोला सर आपकी वजह से आज मुझे अपनी सोच पर शर्म नहीं गर्व महसूस हो रहा है। बुजुर्ग

मुस्कुराए।