शेराबाद के सुनसान रेगिस्तानी इलाके में रेत के टीलों के बीच एक पुरानी मिट्टी की झोपड़ी में बाबा रफीकत शाह नाम का 100 साल का फकीर अकेला रहता था। एक रात जब वह गहरी नींद में सो रहा था। दरवाजे पर जोर से दस्तक हुई। चौंक कर उठा और झेरे लब बोला। इस वीरान जगह पर इस वक्त कौन हो सकता है? दरवाजा खोला तो सामने दो जवान और हसीन लड़कियां खड़ी थी। वह बोली हम रास्ता भटक गई हैं। काफिले के साथ जा रही थी मगर रास्ता खो बैठी। क्या एक रात के लिए यहां पनाह मिल सकती है? बाबा रफीकट शाह ने एक लम्हे के लिए उन्हें हैरत से देखा। फिर बोला आ जाओ बेटियां आ जाओ। उसने झोपड़ी के

कोने में जगह दी। दोनों लड़कियां थकन से चूर फौरन लेट गई और सो गई। रात के आखिरी पहर एक लड़की को यूं महसूस हुआ जैसे कोई करीब खड़ा है। आंख खोली तो देखा कि बाबा रफीकर शाह उसके पास खड़ा अजीब नजरों से देख रहा है। वो चौंक कर बोली यहां क्या कर रहे हो? बाबा बोला बेटी लगा तुम्हें सर्दी लग रही है। यह चादर देने आया हूं। लड़की ने नाखुशी से चादर ली और दोबारा लेट गई। बाबा कुछ देर वहीं खड़ा ताकता रहा। फिर अपने बिस्तर पर वापस चला गया। सुबह जब लड़कियां जाने लगी तो बाबा ने रोका रास्ता लंबा है। तुम दोनों जवान हो। रात का वक्त मुनासिब नहीं। एक दिन और रुक जाओ। कल मैं

काफिले का इंतजाम कर दूंगा। लड़कियों ने पहले इंकार किया। मगर जब बाबा ने जिद की तो कुछ सोचकर मान गई। पूरा दिन बाबा उनसे नरमी और मुस्कान से बातें करता रहा। मगर उसकी नजरें कुछ और ही कहानी सुना रही थी। रात आई सब सो गए। आखिरी पहर बाबा फिर उठा और एक लड़की के करीब जाकर उसके माथे पर हाथ फेरने लगा। लड़की चौंक गई और गुस्से से बोली, “यह क्या कर रहे हो? बाबा ने बहाना बनाया, बेटी, तुम बिना तकिए के लेटी हो। गर्दन में दर्द ना हो, यह तकिया ले लो।” लड़की ने खामोशी से तकिया ले लिया। बाबा वापस जाकर लेट गया। मगर दिल में सोचता रहा। यह मेरा आखिरी मौका था। मगर

हाथ से निकल गया। कल कुछ और सोचना होगा। सुबह लड़कियों ने पूछा क्या जाने का इंतजाम हो गया? बाबा ने बहाना बनाया अभी नहीं कल एक काफिला गुजरेगा उसके साथ जाना। लड़कियां मान गई और एक रात और रुकने पर तैयार हो गई। बाबा के चेहरे पर खुशी की हल्की सी झलक उभरी। रात की तारीकी बढ़ती गई। दोनों लड़कियां अपने बिस्तरों पर लेट गई और नींद की कोशिश करने लगी। मगर बाबा रफीक शाह का दिल बेकरार था। वह लेटा तो जरूर मगर नजरें लगातार कोने में लेटी हुई लड़कियों पर टिकी थी। चुपके से उठा और आहिस्ता-आहिस्ता उनके करीब पहुंचा। पहले एक लड़की के बालों पर हाथ फेरने लगा।

लेकिन जैसे ही वह हल्की सी हिली तो डर गया कि कहीं जाग ना जाए। फौरन वहां से हटकर दूसरी लड़की के पास गया। उसका हाथ थाम लिया और चुपचाप उसे देखने लगा। तभी वह लड़की जाग गई और दहशत में चीख पड़ी। बाबा ने फौरन उसके मुंह पर हाथ रख दिया ताकि आवाज बाहर ना जाए। फिर जल्दी से अपने बिस्तर पर लौट कर लेट गया। लड़की का दिल तेज-तेज़ धड़क रहा था। वो सोचती रही कि आखिर वो मेरे पास क्यों आया था? किसी तरह रात कट गई। सुबह दोनों लड़कियां बाबा के पास गई और पूछा। क्या काफिला आ गया? क्या अब हम जा सकती हैं? बाबा ने आह भरी। नहीं शायद शाम तक आ जाए। लड़कियों ने एक दूसरे

को देखा और कहा ठीक है शाम तक रुक जाते हैं फिर निकलेंगे मगर उनके दिल में बेचैनी थी दोपहर तक बाबा रफीकत शाह दूर बैठा उन्हें घूरता रहा एक लड़की ने आहिस्ता से कहा इसकी नजरें अजीब लगती हैं हमें यहां से जल्द निकलना चाहिए दूसरी ने कहा हां वो रात मेरे करीब आया था मुझे भी अच्छा नहीं लगा शाम से पहले ही बाबा फिर आ गया और नरमी से बोला काफिला अब शायद सुबह आए। बेहतर है कि आज रात भी यहीं ठहर जाओ। लड़कियां तंग आ चुकी थी। नहीं हम अब नहीं रुक सकते। काफिला आए या ना आए हम निकल रहे हैं। बाबा बोला यह वीराना है। रात को दरिंदे भी घूमते हैं। तुम जवान लड़कियां

हो। अगर कुछ हो गया तो। लड़कियां कुछ लम्हों के लिए सोच में पड़ गई। फिर एक ने कहा बस यह आखिरी रात है। कल हम हर हाल में निकलेंगी। बाबा ने मुस्कुरा कर कहा, ठीक है। मगर उस मुस्कान में नरमी से ज्यादा नियत छुपी थी। रात हुई, लड़कियां लेट गई मगर जाग रही थी। उन्होंने तय कर लिया था कि सोना नहीं बस आंखें मुंह कर लेटे रहना है। बाबा भी बिस्तर पर था। मगर नजरें उन्हीं पर टिकी थी। जब उसे लगा कि वह सो गई हैं तो चुपके से उठा और उनके करीब पहुंचा। काफी देर तक उनके पास खड़ा रहा। फिर एक लड़की के कदमों के पास बैठकर उन्हें सहलाने लगा। लड़की हिली तो वह

घबराकर पीछे हट गया। फिर दूसरी बाबा रफीकट शाह का दिल बेचैन था। वो लेटा तो जरूर मगर नजरें लगातार कोने में लेटी लड़कियों पर थी। चुपके से उठा और आहिस्ता-आहिस्ता उनके करीब गया। पहले एक लड़की के माथे को छुआ। उसी लम्हे वह भी जाग गई। करवट बदल ली मगर कुछ बोली नहीं। बाबा वापस जाकर लेट गया। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। मगर चेहरे पर कोई शर्मिंदगीगी नहीं थी। सुबह दोनों लड़कियां सख्त लहजे में बाबा के पास आई। क्या अब काफिला आया है या फिर कोई और बहाना है? बाबा चुप रहा। फिर बोला अभी नहीं आया। शायद शाम तक आ जाए। लड़कियां झुंझुला गई। हमें पहले ही शक था। तुम हमें

किसी और वजह से रोक रहे हो। अब हम नहीं रुकेंगे। वह बाहर निकलने लगी तो बाबा उनके रास्ते में आ खड़ा हुआ। तुम यहां से नहीं जा सकती। रास्ता छोड़ो वरना हम चीखेंगी। बाबा की आवाज अब भी नरम थी मगर अंदाज बदल चुका था। तुम्हारी आवाज यहां सुनने वाला कोई नहीं है। लड़कियों ने गुस्से से कहा तुम हमारे बाप की उम्र के हो। कोई तो शर्म करो। बाबा बोला जो तुम्हें नजर आ रहा है वही सच नहीं। जिसकी तलाश में तुम बसरा जा रही हो। हो सकता है वह यहीं हो। यह सुनकर लड़कियां चौंक गई। तुम्हें कैसे पता कि हम किसी को ढूंढ रही हैं? बाबा ने कहा, अभी

सब कुछ नहीं बता सकता। लेकिन अगर तुम आज की रात यहीं ठहर जाओ, तो कल सब पता चल जाएगा और शायद तुम्हें बसरा जाने की भी जरूरत ना पड़े। लड़कियां उलझन में थी। वह सोचने लगी, “यह सब कुछ जानता कैसे है? मगर डर और बेतामादी उनके चेहरों पर साफ थी। धक्का देकर वह झोपड़ी से निकल गई। बाबा पीछे-पीछे आया। हाफता हुआ बोला अगर तुम चली गई तो सब बर्बाद हो जाएगा। काफी दूर जाकर लड़कियां थक गई और एक जगह बैठ गई। अचानक बाबा फिर पहुंच गया। सांसे तेज थी मगर आवाज धीमी। बस एक आखिरी बार कह रहा हूं। अगर तुम आज रात मेरे साथ इस झोपड़ी में रुक गई तो तुम्हें बसरा जाने की जरूरत

नहीं पड़ेगी। लड़कियों ने सख्त लहजे में पूछा। सीधी बात क्यों नहीं करते? बाबा ने गहरी सांस ली और कहा मैं जानता हूं तुम अपने शहर को ढूंढ रही हो। यह सुनकर दोनों साखित हो गई। हां हम अपने शहर को तलाश कर रही हैं। पर तुम्हें कैसे पता चला? बाबा ने संजीदगी से कहा मुझे सब पता है। मगर शर्त यह है कि तुम आज की रात यहीं रहो। तभी मैं सब बता सकता हूं। लड़कियां हैरान थी। डरी हुई भी और शक में भी। कुछ देर बाद एक ने कहा ठीक है बस यह आखिरी रात है इसके बाद अगर कुछ हुआ तो हम कुछ नहीं सुनेंगे बाबा के चेहरे पर अब एक अजीब सी खुशी थी जैसे कोई ख्वाब पूरा होने वाला हो वो वापस

झोपड़ी की तरफ चल पड़ा लड़कियां आगे-आगे बाबा पीछे उसकी चाल में अब कोई जल्दी ना थी मगर नजरें अब भी पुरानी नियत से भरी थी रात हुई लड़कियां चौकस थी लेटी तो थी मगर जाग रही थी बाबा भी बिस्तर पर था मगर दिल में तूफान ली। जब रात का आखिरी पहर आया बाबा उठा। पहले एक लड़की के पास गया। उसका हाथ पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया। लड़की ने फौरन हाथ झटका और गुस्से में मुंह फेर लिया। फिर वह दूसरी लड़की के करीब गया और उसे देखने लगा। कुछ पल बाद बाबा रफीका शाह वापस अपने बिस्तर पर लेट गया। उसके चेहरे पर कोई शर्मिंदगीगी ना थी। बस जैसे वह

किसी अंजाम का इंतजार कर रहा हो। सुबह की हल्की रोशनी मिट्टी भरी झोपड़ी में दाखिल हुई। लड़कियां अब भी जाग रही थी। नींद की जगह उनके चेहरों पर डर और बेचैनी थी। उन्होंने तय किया कि बिना कुछ कहे यहां से निकल जाना है। लेकिन जैसे ही वह झोपड़ी से बाहर निकली एक कोने में एक नौजवान बैठा नजर आया। साफ चमकता चेहरा सादा लिबास मगर पीठ उनकी तरफ। वो हैरान हुई। करीब जाकर पूछा। नौजवान ने जैसे ही चेहरा मोड़ा, दोनों लड़कियां चीख उठी। यह तो हमारा शौहर है। वो भागकर उससे लिपट गई। आंखों से आंसू बहने लगे। यह लम्हा किसी ख्वाब जैसा था। तुम यहां कैसे? हम तो समझे थे तुम खो चुके

हो। नौजवान ने नरमी से जवाब दिया। यह ख्वाब नहीं। मैं वापस आ गया हूं। फिर लड़कियों ने हैरत से पूछा। लेकिन तुम इस बाबा के घर में कैसे पहुंचे? और वो कहां गया? नौजवान ने कहा पहले उसे ढूंढ लो। उन्होंने झोपड़ी छान मारी मगर बाबा रफीका शाह कहीं ना था जैसे हवा में गायब हो गया हो। नौजवान ने गहरी सांस ली और कहा अब वक्त आ गया है कि तुम सब जान लो। वो बोलने लगा। कई साल पहले एक दिन मैं बाजार जा रहा था। रास्ते में एक बूढ़ा आदमी और एक खूबसूरत लड़की मिली। मैंने मजाक में कहा, “तुम इस बूढ़े से क्यों शादी की? तुम तो किसी जवान के साथ होनी चाहिए। बस वो लड़की

कुछ बड़बड़ाई और एक लम्हे में मेरा चेहरा उस बूढ़े जैसा हो गया और उसका चेहरा मेरा। लड़कियां यह सुनकर सन्न रह गई। नौजवान ने कहा यह मेरी सजा थी कि मैं एक फकीर की शक्ल में रहूं। लेकिन एक उम्मीद दी गई थी। अगर मेरी अपनी बीवी दिल से मुझे ढूंढती हुई इस वीराने तक पहुंचे और बिना मेरी असली पहचान जाने मेरे साथ कुछ वक्त गुजारे। तो यह सजा खत्म हो जाएगी। और हां, मैं खुद अपनी सच्चाई जाहिर नहीं कर सकता था। लड़कियों ने कांपती आवाज में पूछा, तो क्या तुम वही फकीर थे? नौजवान ने सर झुका कर कहा, हां, मैं ही था। यह सुनकर दोनों लड़कियां जैसे पत्थर की हो गई। फिर रोते

हुए उसके गले लग गई। हमें माफ कर दो। हम तुम्हें पहचान ना सकी। नौजवान ने कहा नहीं तुम्हारा कोई कसूर नहीं। तुम्हारा दिल सच्चा था और इसी सच्चाई ने मेरी कैद तोड़ दी। फिर तीनों ने मिलकर एक नई जिंदगी शुरू की। ऐसी जिंदगी जिसमें अब कोई फसला ना था। ना कोई राज ना शक सुबक। मोहब्बत अगर सच्ची हो तो वह हर आजमाइश, वक्त और फसले को पार करके वापस आती है। गरूर मोहब्बत को सज्जा बना देता है। लेकिन सब्र, वफा और खुलूस के साथ वही मोहब्बत इनाम बन जाती है। इंसान की असल पहचान उसके चेहरे में नहीं उसके दिल की सच्चाई में होती है। [संगीत]