हमारे साथ धर्मेंद्र के फैंस हैं जो लुधियाना से आए हैं। महिलाएं लगातार रो रही हैं। हम इन महिलाओं से बात करते हैं। आप आज ये रो क्यों रही यहां पे? ऐसे ही ना दुनिया में ऐसा पैदा होगा इसी शेरनी ने पैदा किया। चील जैसा कलेजा धरती जैसा कलेजा चील लिया उठा। ऐसा कौन सा आसमान दरख्त है जो धर्म जी को खा गया। आप कहां से आए हैं? कहां से? लुधियाने से पंजाब से आज 15 दिन हो गए बैठे पहले झूठी खवाई उड़ी मैं जहाज का टिकट बनाया वो कैंसिल हो गया मेरे को चंडीगढ़ चढ़ना पड़ता था जहाज निकल गया वो मेरे 11 हज़ार मिट्टी हो गई अब मैं गाड़ी की रेल से आई हूं

10 दिन से हमारे घर पे रह रही हैं इनके खोपड़े हमारे घर पे 10 दिन से रह रही है ये आप लोग कितने लोग हैं जो यहां पर 15 दिन से इंतजार कर रहे हो नहीं ये तो ये तो 10 पांच छह जने हैं ये देखो देखो ये दो मां बेटी आई हैं। ये आप क्या कहना चाहेंगे? मेरी मां घड़ी को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे? मैं तो पहले भी मिल चुकी हूं उनसे। पहले भी मिल चुकी हूं उनसे। मुझे उन्होंने बर्थडे पे मिठाई खिलाई थी। अपने हाथों से गले लगाया था। मैं दिल्ली से आई हूं। तो बहुत प्यार करती थी। एक बार तो देखने को भी नहीं मिला आप लोगों को। ऐसे दुख है कि धर्मेंद्र जी की अंतिम यात्रा नहीं निकली।

उसका इतना मुंह बाहर होता। दुनिया उसको दुआ करती। माथा टेकते उसकी एक लास्ट बार सूरत देखते खूबसूरत ऐसी ऐसी दुनिया में सूरत धर्म जी नहीं रहे 3:00 बजे मालूम पड़ा हम लोग क्या मालूम कैसे निकल के आए ये देखो जरा पावर हाउस में ये देखिए धर्मेंद्र जी की फोटो है यहां पर साथ में जो है इनकी ये जो हमें बाइट दे रही है ये दादी यहां पर मौजूद है कहां पर मिली थी आप उधर पावर हाउस में पावर हाउस में आप मिले थे देखिए ये इनको घर पर मिले थे यहां पर इनको देखिए ये ये घर पर मिले थे यह यहां पर तो अलग-अलग यहां पर फैंस आए हैं। कोई लुधियाना से आए हैं। कोई पंजाब अभी इनका

पता भी नहीं चला। कितना दुख है अंतिम यात्रा निकाली ऐसा लग रहा है आपको? बहुत बहुत दुख हुआ। हमें उनको में नहीं देख लेते। हम स्कूल छुड़वा के मेरे को इधर लेके आए उनको मिलने के लिए। पहले 11वीं में छुड़ाया। अब 12वीं क्लास से छुड़वा दिया स्कूल। मैं तो इधर ही रहती। बहुत दुख हुआ है। किसी को मालूम हमको तो अभी मालूम पड़ा। दुख क्यों नहीं होगा। किसी को मालूम भी नहीं पड़ा इतना बड़ा उनको ट्रक पर जो है उनका एक अंतिम यात्रा हो जाते का दर्शन हमें हो जाता ना तो हमारे दिल को तसल्ली मिल जाती लेकिन हमें वो भी दर्शन नहीं हुआ तो हमें दिल को तसल्ली नहीं है।

वो भी देओल और शनिदेव से हमें शिकायत रहेगी। जिंदगी भर कभी उनकी फिल्में हम नहीं देखेंगे। अब की तरह उन्होंने उनका अंतिम संस्कार किया है। गलत किया है। लग रहा है कि ट्रक पर जो है उनका पार्थिव शरीर रखा जाना चाहिए था। फूल पे हाथ लगा हाथ लगा कुछ भी नहीं मिला जैसे श्री का किया ऐसे उनका करना चाहिए था समझ में नहीं आ रहा इनका एक फोटो भी नहीं लगाया इधर बिल्कुल उनका फोटो नहीं है धर्म जी का जो अंतिम उनकी अंतिम यात्रा है उनके पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा है वो लोगों को देखना देखने के लिए लोग ललायित थे उनके फैंस हैं यहां पर पंजाब से 15-15 दिन से

आके यहां पर बैठे हुए हैं लेकिन लेकिन धर्म जी के अंतिम संस्कार, अंतिम यात्रा का दर्शन नहीं हो पाया। इनका इसको बहुत दुख है। यह वो तमाम फैंस हैं जो यहां पर पंजाब, लुधियाना, मलेरकोटला, पटियाला से आए हुए हैं और बहुत ज्यादा यह दुख है और बहुत ज्यादा दुख होने के साथ-साथ धर्मेंद्र जी का एक गाना गाना। तुम जो चले गए तो होगी बड़ी खराबी। चलो दिल में बंद कर ले। दरिया में फेंक दे चा समंदर में फेंक दिया अब तो समंदर में फेंक दिया अब तो नहीं हम साथी हैं ये वादा है अपना जो कुछ है सब आधा है दुख सुख के हम साथी हैं ये वादा है यहां पर रो भी रही है और यहां पर गाना भी

गाया जा रहा है धर्मेंद्र जी को याद किया जा रहा है। एक दुख इनके मन में है कि अगर उनकी अंतिम यात्रा निकलती जूहू उनके बंगले से यहां पवन हंस तक तो इनको ज्यादा अच्छा लगता। तसल्ली होती मन को शांति मिलती। लेकिन वो मन की शांति इनको नहीं मिल पाई। जो ये गुपचुप तरीके से इनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके लिए इनको दुख है। जी चोर थे जो चोरी से जला दिया। क्या नुकसान किया? ये धर्म जी ने क्या नुकसान किया इनका। बेटे बेटियों के दो हम कभी भी सिंदूर भरा तो धर्म जी के नाम का भरा कभी हम खुशी से सजे हैं तो धर्म जी के लिए बिल्कुल बहुत दुख है और ऐसा ही जो दुखी जो

दर्शक हैं वो हम आपको यहां पर दिखाते हैं। इस पवनहंस की गली में जहां तक आपकी नजर जाएगी सिर्फ और सिर्फ जो लोग हैं वो आपको यहां पर नजर आएंगे। ऊपर सीढ़ियों पर लोग बैठे हुए हैं। ट्रकों पर लोग बैठे हुए हैं और पूरे रास्ते में जो लोग हैं वो आपको यहां पर नजर आएंगे। लोगों के मन में बहुत ज्यादा गुस्सा इस बात का है कि उनकी अंतिम यात्रा जो है वो नहीं देख पाए। आपको लगता है धर्म जी की अंतिम यात्रा ट्रक पर निकलनी चाहिए थी। ज्यादा लोग देख पाते? हां चाहिए थी। सबको देख सकता हर आदमी को वो इंतजार में है देखने के लिए लेकिन देख नहीं पाया।

आपको लगता है ऐसा होना चाहिए था ताकि उनके फैंस उनको देख सकते। बिल्कुल बिल्कुल होना चाहिए था। जो है अंतिम संस्कार किया जाना उनके नहीं नहीं ये गलत है लोगों को दिखना चाहिए था क्योंकि धर्म धर्म जी की जो फैन फॉलोइंग है वो काफी ज्यादा है इंडिया के अंदर तो मेरे अकॉर्डिंग जो लोगों को दिखना चाहिए था कितनी भीड़ है इतने समर्थक आए हैं यहां पे आप कहां से बिलोंग करते हैं मैं अलीगढ़ से बिलोंग करता हूं मैं स्पेशली धर्मेंद्र जी के लिए आया हूं इधर अलीगढ़ से बिलोंग करते हैं धर्मेंद्र जी के लिए आए हैं। आपको लगता है सर ट्रक पर पार्थिव शरीर का आना यहां पर लोगों को

देखना भीड़ का उनको देखना बहुत जरूरी था। देखना तो है लेकिन भीड़ इतना नहीं लगना चाहिए। बहुत ज्यादा वीर है। सब लोग फैन आए हैं। इतने फैंस आए हुए हैं। तो यहां पर बहुत सारे फैंस हैं। आप क्या कहेंगे सर? सर काली से आए हैं हम। धर्मेंद्र के बहुत बड़े फैन हैं। बहुत दिन से हम उनको ज्यादा कर रहे हैं। बिल्कुल बिल्कुल आप क्या कहेंगे सर? तो यहां पर देख रहे कंस्ट्रक्शन उसके ऊपर लोग बैठे हुए हैं और लोग जो हैं एक झलक पाना चाहते हैं। धर्म जी के अंतिम संस्कार का। पार्थिव शरीर का जो अंतिम यात्रा है वो धर्म जी की नहीं निकली। गुपचुप तरीके से

धर्म जी का जो है यहां पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। लोगों को इस बात का दुख है कि काश वो धर्म जी के पार्थिव शरीर को एक बार देख पाते। काश वो धर्म जी को जो है एक बार उनके पार्थिव शरीर को उनके ट्रक को वो देख सकते लेकिन वो मौका इन्हें नहीं मिला। तो आज धर्म जी धर्मेंद्र ही मैन का अंतिम संस्कार हो गया और आज वो हमेशा हमेशा के लिए हमें इस दुनिया से छोड़कर विदा हो गए। कैमरामैन साईं दत्त के साथ जय प्रकाश सिंह टीवी नाइन भारतवर्ष।